जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र उमर ख़ालिद को दिल्ली दंगों के मामले में गिरफ़्तार कर लिया गया है।
याद दिला दें कि इस साल फरवरी में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में सांप्रदायिक दंगे हुए थे। इन दंगों में 53 लोंगों की मौत हुयी थी और सैकड़ों घायल हुये थे। भारतीय जनता पार्टी के नेता कपिल मिश्रा ने एक जुलूस निकाला था और वरिष्ठ पुलिस अफ़सरों को खुले आम कहा था कि यदि उन्होंने शाहीन बाग में धरने पर बैठी महिलाओं को नहीं हटाया तो कुछ भी हो सकता है। उसके बाद ही उत्तर पूर्व दिल्ली में सांप्रदायिक दंगे भड़के थे। बहरहाल, चार्जशीट में कपिल मिश्रा का नाम नहीं है। साथ ही सरकार में मंत्री अनुराग ठाकुर का भी नाम नहीं है जिन्होंने नारा लगवाया था 'देश के ग़द्दारों को, गोली मारा सालों को।'
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क्या कहना है पुलिस का?
'युनाइटेड अगेन्स्ट हेट' नामक संस्था ने खालिद की गिरफ़्तारी की पुष्टि करते हुए कहा है, 'दिल्ली पुलिस ने एक बयान में कहा है, 11 घंटों की पूछताछ के बाद दिल्ली पुलिस की विशेष सेल ने दिल्ली दंगों में साजिशकर्ता के रूप में उमर खालिद को गिरफ़्तार किया है। दिल्ली पुलिस जिस तरह जाँच के नाम पर विरोध प्रदर्शनों को अपराध के रूप में पेश कर रही है, उसका एक और पीड़ित मिल गया।' उमर खालिद इस संस्था से जुड़े हुए हैं।इसके पहले दिल्ली पुलिस ने दंगों से जुड़े एक दूसरे मामले में जेएनयू के इस पूर्व छात्र पर अनलॉफ़ुल एक्टीविटीज़ प्रीवेन्शन एक्ट यानी (यूएपीए) लगा दिया था।
पुलिस ने खालिद से दंगों के मामले में पिछले महीने भी लंबी पूछताछ की थी। उस समय भी पूछताछ का केंद्र बिंदु साजिश ही था।
भड़काऊ भाषण का आरोप
पुलिस का कहना है कि उमर खालिद ने दिल्ली के दो अलग-अलग जगहों पर भड़काऊ भाषण दिए थे और लोगों से अपील की थी कि वे घरों से बाहर निकलें और सड़कों को जाम कर दें।इंडियन एक्सप्रेस में रविवार को छपी एक खबर में कहा गया था कि दिल्ली पुलिस की चार्जशीट में यह कहा गया है कि उमर खालिद ने देवांगना कलिता और नताशा नरवाल को विरोध प्रदर्शन के 'टिप्स' दिए। ये दोनों ही पिंजड़ा तोड़ आन्दोलन से जुड़ी हुई हैं और जेएनयू की पूर्व छात्रा हैं।
क्या है चार्जशीट में?
दिल्ली पुलिस की चार्जशीट में यह भी कहा गया है कि खालिद के संगठन युनाइटेड अगेन्स्ट हेट ग्रुप जामिया कोऑर्डिनेशन कमेटी और पिंजड़ा तोड़ ने एक साथ मिल कर दिल्ली के अलग-अलग जगहों पर प्रदर्शन किया था।इस पूरे मामले में पुलिस की भूमिका संदिग्ध इसलिए लग रही है कि उसने भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के महासचिव सीताराम येचुरी, सामाजिक कार्यकर्ता योगेंद्र यादव, मशहूर अर्थशास्त्री जयति घोष, दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफ़ेसर अपूर्वानंद और फ़िल्मकार राहुल राय के नाम भी दंगों में दाखिल अपनी पूरक चार्जशीट में डाले हैं।
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