19 फरवरी के पिछले छठे समन को नजरअंदाज करते हुए केजरीवाल ने कहा था कि मामला अब अदालत के पास है और जांच एजेंसी को इंतजार करना चाहिए। लेकिन जांच एजेंसी ने सातवां समन उन्हें भेज दिया। आप ने पहले कहा, "ईडी ने खुद अदालत का दरवाजा खटखटाया। बार-बार समन भेजने के बजाय ईडी को अदालत के फैसले का इंतजार करना चाहिए।"
ईडी दरअसल, दिल्ली शराब नीति को अंतिम रूप देने से पहले हुई बैठकों और रिश्वतखोरी के आरोपों जैसे मुद्दों पर केजरीवाल का बयान दर्ज करना चाहता है। एजेंसी का दावा है कि आप ने 2022 में गोवा में अपने विधानसभा चुनाव अभियान के हिस्से के रूप में इसी नीति के जरिए मिली 45 करोड़ रुपये की रिश्वत का इस्तेमाल किया। केजरीवाल यह कहते रहे हैं कि जांच एजेंसी की कार्रवाई "अवैध" है। उन्होंने कहा कि वो सहयोग करने के लिए तैयार हैं, लेकिन उनका आरोप है कि एजेंसी का इरादा उन्हें गिरफ्तार करना और चुनाव प्रचार करने से रोकना है। आप का यह भी आरोप है कि केंद्र सरकार अपनी एजेंसियों के जरिए पार्टी पर हमला करने की कोशिश कर रही है।
सीबीआई के बंद लिफाफे में क्या है
दिल्ली अदालत ने 5 फरवरी को सीबीआई को रद्द हो चुकी दिल्ली शराब नीति को बनाने और लागू करने में कथित अनियमितताओं की चल रही जांच पर अगले दो सप्ताह के भीतर एक विस्तृत स्थिति रिपोर्ट सीलबंद कवर में दाखिल करने का निर्देश दिया था। उसी रिपोर्ट को सीबीआई ने गुरुवार को दाखिल किया है।
अदालत ने सीबीआई से यह स्टेटस रिपोर्ट तब मांगी, जब विशेष जज एमके नागपाल ने सीबीआई की एक रिपोर्ट पर ध्यान दिया, जिसमें कहा गया था कि अदालत के समक्ष दायर तीन आरोपपत्रों में नामित 16 आरोपियों से जुड़ी जांच पूरी हो गई है और अदालत आरोप तय करने पर दलीलें सुनने के लिए आगे बढ़ सकती है।
आरोपी चनप्रीत सिंह की ओर से पेश वकील चिराग मदान ने कहा, "हम अपनी दलीलें पेश करना शुरू कर सकते हैं और फिर किसी भी कमी को पूरा करने के लिए, सीबीआई आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 173 (8) के तहत एक रिपोर्ट दाखिल कर सकती है।"
यह मामला दिल्ली सरकार की रद्द की जा चुकी नई शराब नीति से संबंधित है। इसके जरिए केजरीवाल सरकार ने दिल्ली के शराब व्यवसाय को पुनर्जीवित करने और व्यापारियों के लिए बिक्री आधारित व्यवस्था को लाइसेंस शुल्क-आधारित व्यवस्था में बदलने का मकसद बताया था। इस नीति में शराब की खरीद पर छूट और ऑफर भी पेश किए गए थे। दिल्ली में ऐसा पहली बार हुआ था। लेकिन इस नीति को लेकर भाजपा ने भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे। दिल्ली के उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना ने इस मामले की जांच का आदेश दिया था। दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया इसी मामले में इस समय जेल में हैं। आप का पूर्व प्रवक्ता विजय नायर और अन्य नेता भी जेल में हैं।
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