पर्यावरण के मुद्दों पर काम करने वाली कार्यकर्ता दिशा रवि को मंगलवार को जमानत मिल गई है। दिशा रवि को पटियाला हाउस कोर्ट के जज धर्मेंद्र राणा ने 1 लाख रुपये के निजी मुचलके पर जमानत दी है। इसी अदालत ने बीते शुक्रवार को दिशा को तीन दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया था।
दिशा पर आरोप है कि उसने एक टूलकिट को तैयार करने और इसे सोशल मीडिया पर आगे बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई है। पुलिस का दावा है कि इस टूलकिट के पीछे सिख अलगाववादी संगठन पोएटिक जस्टिस फ़ाउंडेशन (पीजेएफ़) का हाथ है।
दिशा रवि के वकील ने अदालत को बताया कि उनकी मुवक्किल का परिवार जमानत के लिए एक लाख रुपये नहीं दे पाएगा क्योंकि यह उनकी सामर्थ्य से बाहर है। दिशा को जब अदालत में लाया गया तो वह अपने रिश्तेदारों को देखकर रो पड़ीं। दिल्ली पुलिस ने मंगलवार को इसी अदालत में एक और याचिका दायर कर दिशा रवि की हिरासत को चार दिन के लिए बढ़ाए जाने की मांग की थी।
मंगलवार को दिल्ली पुलिस ने दिशा रवि के साथ ही टूलकिट मामले में अभियुक्त बनाए गए पुणे के इंजीनियर शांतनु मुलुक और मुंबई की वकील निकिता जैकब से पूछताछ की। मुलुक और निकिता को बॉम्बे हाई कोर्ट ने अग्रिम जमानत दे दी थी।
दिल्ली पुलिस के मुताबिक़, दिशा ने निकिता जैकब और शांतनु के साथ मिलकर टूलकिट को तैयार किया था। इस टूलकिट को स्वीडन की पर्यावरणविद् ग्रेटा तनबर्ग (थनबर्ग) ने ट्वीट किया था। दिशा रवि ने अदालत को बताया था कि उसने इस टूलकिट को नहीं बनाया है और वह सिर्फ़ किसानों का समर्थन करना चाहती थी। दिशा के मुताबिक़, 3 फ़रवरी को उसने इस टूलकिट की दो लाइनों को एडिट किया था।
पटियाला हाउस कोर्ट ने बीते शनिवार को दिशा के वकील और दिल्ली पुलिस की दलीलों को सुनने के बाद फ़ैसला सुरक्षित रख लिया था। सुनवाई के दौरान जज धर्मेंद्र राणा ने कहा था कि वह इस मामले में तब तक आगे नहीं बढ़ सकते जब तक वह ख़ुद पूरी तरह संतुष्ट नहीं हो जाते।
जज ने बताया था अटकलें
सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस की ओर से यह कहे जाने पर कि दिशा किसानों की ट्रैक्टर रैली के दौरान अलगाववादियों के साथ मिलकर हिंसा फैलाने की साज़िश रच रही थी, जज ने कहा था कि यह एक तरह की अटकलें ही हैं। जज ने ‘टूलकिट क्या है’ से लेकर कई सवाल दिल्ली पुलिस के वकील से पूछे थे।
जज ने पूछा था, “आपने जो सबूत इकट्ठा किए हैं वे क्या हैं और इससे किस तरह दिशा और 26 जनवरी को हुई हिंसा के तार जुड़ते हैं। आपने टूलकिट में दिशा की भूमिका होने की बात कही है और कहा है कि वह अलगाववादियों के संपर्क में है।”
दिशा की ओर से पेश हुए वकील सिद्धार्थ अग्रवाल ने कहा था कि उनकी मुवक्किल का किसी भी अलगाववादी संगठन से कोई संपर्क नहीं है और पुलिस के पास कोई सबूत नहीं है। उन्होंने कहा था कि पीएफ़जे के साथ हुई चैट पुलिस के पास है। उन्होंने सवाल उठाया कि इस संगठन को अभी तक बैन क्यों नहीं किया गया है।
राष्ट्रपति को लिखी चिट्ठी
चिट्ठी पर हस्ताक्षर करने वालों में राजस्थान हाई कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश वी. के. कोकजे, दिल्ली हाई कोर्ट के रिटायर्ड मुख्य न्यायाधीश राजेंद्र मेनन और गुजरात हाई कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश एस. एम. सोनी प्रमुख हैं।
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