सूचना और प्रचार निदेशालय (डीआईपी) ने आम आदमी पार्टी को 163.62 करोड़ रुपए की वसूली का नोटिस दिया है। वसूली का यह नोटिस कथित तौर पर राजनीतिक विज्ञापनों को सरकारी विज्ञापन के रूप में प्रकाशित करने के आरोप में दिया गया है।
डीआईपी ने वसूली नोटिस में कहा है कि दिल्ली में सरकार चला रही आम आदमी पार्टी को नोटिस जारी होने के 10 दिनों के भीतर इस राशि का भुगतान करना होगा।
न्यूज़ एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, नोटिस में कहा गया है कि अगर आम आदमी पार्टी के संयोजक ऐसा नहीं करते हैं तो दिल्ली के उपराज्यपाल के द्वारा दिए गए पुराने आदेश के मुताबिक पार्टी की संपत्तियों की कुर्की सहित सभी कानूनी कार्रवाई समय पर की जाएगी।
उपराज्यपाल ने दिया था निर्देश
याद दिलाना होगा कि बीते साल दिसंबर में दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने मुख्य सचिव को निर्देश दिया था कि आम आदमी पार्टी से 97 करोड़ रुपए वसूल किए जाएं। कहा गया था कि राजनीतिक विज्ञापनों को सरकारी विज्ञापन के रूप में प्रकाशित करके दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के द्वारा साल 2015 में, दिल्ली हाई कोर्ट के द्वारा साल 2016 में दिए गए आदेशों का उल्लंघन किया है।
उपराज्यपाल ने मुख्य सचिव से कहा था कि इस संबंध में कमेटी ऑन कंटेंट रेगुलेशन इन गवर्नमेंट एडवरटाइजिंग (सीसीआरजीए) की सिफारिशों का पालन किया जाए।
क्या कहा था सुप्रीम कोर्ट ने?
साल 2015 में दिए गए आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि सरकारी विज्ञापनों में सिर्फ राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और भारत के चीफ जस्टिस की ही फोटो लगेगी। अदालत ने अपने आदेश में कल्याणकारी योजनाओं वाले विज्ञापनों में राज्यों में सत्ताधारी पार्टियों के नेताओं की तस्वीरें लगाने पर रोक लगा दी थी। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद केंद्र सरकार ने साल 2017 में 3 सदस्यों की सीसीआरजीए कमेटी का गठन किया था। इस कमेटी का काम विज्ञापन के कंटेंट को रेगुलेट करना था।
डीआईपी ने 16 सितंबर 2016 को बताया था कि आम आदमी पार्टी सरकार द्वारा विज्ञापनों में कुल 97,14,69,137 करोड़ रुपए खर्च किए जाने हैं और इसमें से 42,26,81,265 करोड़ रुपए का भुगतान किया जा चुका है और 54,87,87,872 करोड़ का भुगतान होना बाकी है। 30 मार्च, 2017 को डीआईपी ने आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल को पत्र लिखकर निर्देश दिया था कि वह सरकारी खजाने में 42.26 करोड़ रुपए तत्काल प्रभाव से जमा करा दें।
इस मामले में उपराज्यपाल सक्सेना ने कहा था कि 5 साल और 8 महीने बाद भी आम आदमी पार्टी ने इस आदेश का पालन नहीं किया। यह बेहद गंभीर मुद्दा है कि आम आदमी पार्टी ने विज्ञापनों में खर्च की गई रकम को सरकारी खजाने में जमा नहीं कराया।
द इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, सतर्कता निदेशालय ने अपनी जांच में पाया था कि डीआईपी ने 42,26,81,265 करोड़ रुपए की वसूली तो नहीं की बल्कि इसके उलट इसने बचे हुए 54,87,87,872 करोड़ रुपए का भी भुगतान कर दिया।
आप ने किया था पलटवार
उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना के द्वारा आम आदमी पार्टी से 97 करोड़ रुपए वसूल किए जाने के निर्देश पर आम आदमी पार्टी ने कहा था कि उपराज्यपाल के पास ऐसी कोई ताकत नहीं है कि वह इस तरह का कोई आदेश पारित करें और इस तरह के आदेशों की कोई अहमियत कानून की निगाह में नहीं है।
आम आदमी पार्टी ने कहा था कि बीजेपी शासित राज्य गुजरात, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, असम ने अपने विज्ञापन दूसरे राज्यों में दिए हैं और इनकी कीमत 22000 करोड़ है।
पार्टी ने कहा था कि दिल्ली सरकार से 97 करोड़ रुपए वसूलने की बात की जा रही है लेकिन यह 22000 करोड़ रुपए कब वसूले जाएंगे। उन्होंने कहा कि बीजेपी बताए कि वह 22000 करोड़ रुपए कब राज्य सरकारों को वापस करेगी और तब हम 97 करोड़ रुपए दे देंगे।
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