कुछ समय पहले तक कोरोना नियंत्रण के जिस दिल्ली मॉडल के लिए वाहवाही लूटी जा रही थी उसी दिल्ली में अब 24 घंटे में रिकॉर्ड 4 हज़ार से ज़्यादा पॉजिटिव केस आए हैं। इससे क़रीब ढाई महीने पहले 23 जून को सबसे ज़्यादा 39 हज़ार 47 मामले रिकॉर्ड किए गए थे। लेकिन बाद में एक समय ऐसा लगने लगा था कि कोरोना नियंत्रित हो गया है और जुलाई महीने में हर रोज़ संक्रमण के मामले 1 हज़ार से भी कम आने लगे थे। तब एम्स के निदेशक रणदीप गुलेरिया ने कहा था कि रोज़ाना संक्रमण के घटते मामलों के मद्देनज़र लगता है कि दिल्ली कोविड-19 के शीर्ष स्तर को छू चुकी है। लेकिन ऐसा नहीं था। अब फिर से दिल्ली में कोरोना संक्रमण के रिकॉर्ड केस आए तो सवाल तो उठता है कि क्या दिल्ली में संक्रमण की दूसरी लहर आ गई है?
एक दिन में रिकॉर्ड 4039 मामले आने के बाद दिल्ली में कोरोना संक्रमण के मामले 2 लाख 1 हज़ार 174 से ज़्यादा हो गए हैं। मृतकों की संख्या 4618 हो गई है। फ़िलहाल दिल्ली में एक्टिव केस 22 हज़ार से ज़्यादा हो गए हैं।
यह स्थिति जुलाई महीने में उस स्थिति से ज़्यादा ख़राब है जब हर रोज़ एक हज़ार से कम केस आने लगे थे और एक समय एक्टिव केस की संख्या 10 हज़ार से भी कम हो गई थी। हाल के दिनों में बढ़ते संक्रमण के मामलों के बाद यह कहा जाने लगा है कि संख्या इसलिए बढ़ी है क्योंकि टेस्टिंग ज़्यादा की जा रही है। ख़ुद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि संक्रमण के मामलों की बढ़ती संख्या से दिल्लीवासियों को घबराना नहीं चाहिए क्योंकि टेस्टिंग बढ़ाने के कारण ज़्यादा मामले आने लगे हैं।
रिपोर्ट के अनुसार गुरुवार को दिल्ली में क़रीब 54 हज़ार टेस्टिंग की गई। पिछले एक हफ़्ते से राज्य में हर रोज़ औसत रूप से क़रीब 35 हज़ार टेस्टिंग की जा रही है। बता दें कि जब जून में दिल्ली में सबसे ज़्यादा संक्रमण के मामले आए थे तब टेस्टिंग क़रीब 18000 ही की जा रही थी। इसका मतलब साफ़ है कि पॉजिटिविटी रेट कम हुई है। कोरोना संक्रमण के मामले में इस बार जो तेज़ी आई है उसमें मृत्यु दर कम है। जून में जब संक्रमण के मामले हर रोज़ क़रीब 3000 आ रहे थे तब 60-80 मौतें हो रही थीं, लेकिन दिल्ली में पिछले एक हफ़्ते में क़रीब 20 मौतें ही हो रही हैं।
हाल तक विशेषज्ञ यह मानते रहे हैं कि दिल्ली में कोरोना की दूसरी लहर नहीं आई है। लेकिन पिछले एक हफ़्ते में और गुरुवार को आए 24 घंटों के ताज़ा आँकड़ों से पता चलता है कि स्थिति बदली है।
कई मीडिया रिपोर्टों में अब आशंका जताई जा रही है कि संक्रमण की दूसरी लहर की स्थिति बन गई है। हाल के दिनों में संक्रमण के मामले बढ़ने के बाद ख़ुद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा है कि दिल्ली में कोरोना के मरीज़ फिर से बढ़ रहे हैं और इसके लिए क़दम उठाने ज़रूरी हैं।
लेकिन यही आम आदमी पार्टी की सरकार जब संक्रमण के मामले कम हुए तब यह दावा करने लगी थी कि कोरोना पर दिल्ली सरकार ने काबू पाया लिया है और इसे ‘दिल्ली मॉडल’ का नाम दिया गया। सोशल मीडिया पर तो जैसे पीठ थपथपाने और जयजयकार करने की होड़ ही शुरू हो गई। इस प्रचार का यह असर रहा कि कुछ और राज्यों में भी दिल्ली मॉडल की चर्चा होने लगी और प्रशंसा होने लगी। जब संक्रमण के मामले कम हुए तो केजरीवाल सरकार बाज़ार से लेकर मॉल तक खोलने की बात करने लगी। उससे भी लगा कि सबकुछ ठीक-ठाक है।
अब स्थिति यह है कि बाज़ार और मॉल खोल दिए गए हैं और उसके साथ ही रेस्टोरेंट और वहाँ शराब परोसने की इजाज़त तक दे दी गई है।
जब पिछले कुछ दिनों से तीन हज़ार से ज़्यादा केस आने लगे हैं तो इसी बीच सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों के सख़्त नियम के साथ दिल्ली मेट्रो को भी शुरू कर दिया गया है। लेकिन चिंता की बात यह है कि दिल्ली में संक्रमण के मामले फिर काफ़ी ज़्यादा हो गए हैं।
दिल्ली एम्स के निदेशक रणदीप गुलेरिया ने इसी हफ़्ते कहा था कि देश के कई हिस्सों में संक्रमण की दूसरी लहर आ गई है। बता दें कि देश में 24 घंटे में 95 हज़ार 735 पॉजिटिव केस आए हैं और 1172 मरीज़ों की मौत हुई। अब तक 44 हज़ार 65 हज़ार 864 पॉजिटिव केस आ चुके हैं और 75 हज़ार 62 लोगों की मौत हो चुकी है। 34 लाख 71 हज़ार मरीज़ ठीक हुए हैं और फ़िलहाल 9 लाख 19 हज़ार संक्रमित हैं।
अब देश में जहाँ-जहाँ ज़्यादा संक्रमण के मामले आ रहे हैं उनमें महाराष्ट्र, आँध्र प्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक, तेलंगाना जैसे राज्यों के साथ ही दिल्ली भी शामिल है।
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