दिल्ली सरकार के 11 अधिकारियों को उपराज्यपाल ने शनिवार को सस्पेंड कर दिया। इनमें एक आईएएस अधिकारी भी शामिल है। इन सभी पर आरोप है कि ये अधिकारी केजरीवाल सरकार की नई शराब नीति को लागू कराने में शामिल थे। नई शराब नीति को खुद केजरीवाल सरकार ने वापस ले लिया है। लेकिन अब यह मामला और बड़ा हो गया है। इसकी आंच में कई लोग झुलस सकते हैं।
उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने सभी 11 अफसरों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही करने को भी मंजूरी दी है।
जिन पर कार्रवाई की गई, उनमें तत्कालीन आबकारी आयुक्त, 2012 एजीएमयूटी बैच के आईएएस अधिकारी अरवा गोपी कृष्ण, और तत्कालीन उप आबकारी आयुक्त, 2003 बैच के दानिक्स अधिकारी आनंद कुमार तिवारी सबसे वरिष्ठ ब्यूरोक्रेट थे, जिन्हें सस्पेंड किया गया।
उपराज्यपाल ने इनके अलावा 3 अन्य दानिक्स अधिकारियों और आबकारी विभाग के 4 अधिकारियों के खिलाफ भी कार्यवाही का भी आदेश दिया।
एलजी हाउस के सूत्रों ने बताया कि एलजी विनय कुमार सक्सेना ने यह फैसला आबकारी नीति के क्रियान्वयन में संबंधित अधिकारियों की ओर से गंभीर चूक को देखते हुए लिया है।
सूत्रों ने कहा इन अफसरों में टेंडर को अंतिम रूप देने में कथित अनियमितताएं और चुनिंदा शराब ठेकेदारों को टेंडर के बाद के लाभों को लेने में मदद की। सतर्कता निदेशालय (डीओवी) ने भी अपनी जांच रिपोर्ट में यह बात कही है।
सूत्रों ने कहा कि दिल्ली की नई आबकारी नीति का फायदा केजरीवाल सरकार ने छह शराब ठेकेदारों को कराया। इन लोगों ने आपस में कर्टेल बनाया और पैसे कमाए। बताया जाता है कि इन्हीं ठेकेदारों ने आम आदमी पार्टी से जुड़े लोगों को भी पार्टी फंड के लिए पैसे दिए। हालांकि इसकी पुष्टि किसी भी स्तर पर नहीं की जा सकती। लेकिन बीजेपी ने यह आरोप खुलकर लगाया है।
दिल्ली सरकार ने पिछले हफ्ते, पिछली आबकारी नीति 2021-22 यह कहते हुए वापस लाने का फैसला किया था। मौजूदा लाइसेंसधारियों को 31 अगस्त तक एक महीने का मौका देते हुए नई नीति के तहत काम समेटने को कहा गया।
वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई चीफ सेक्रेटरी नरेश कुमार और सतर्कता विभाग की जांच रिपोर्ट के बाद हुई है। चीफ सेक्रेटरी ने 8 जुलाई को उपराज्यपाल और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को भ्रष्टाचार और टीओबीआर नियम 57 के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए एक रिपोर्ट सौंपी थी। रिपोर्ट में बड़े भ्रष्टाचार और आबकारी विभाग पर आबकारी मंत्री के निर्देश पर अनुचित लाभ देने का भी आरोप लगाया गया था। आबकारी मंत्री मनीष सिसोदिया जो अब सीबीआई और दिल्ली पुलिस के ईओडब्ल्यू के निशाने पर हैं।
आबकारी विभाग द्वारा आबकारी नीति के संबंध में उनके द्वारा उठाए गए सात सवालों पर मुख्य सचिव को जवाब देने के बाद कृष्णा का तबादला कर दिया गया था।
इस रिपोर्ट के बाद, एलजी ने पिछले हफ्ते जुलाई में कुमार को नीति के अवैध निर्माण और कार्यान्वयन में अधिकारियों और सिविल सेवकों की भूमिका पर एक विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया।
सूत्रों ने कहा कि अधिकारी भी जांच के दायरे में हैं क्योंकि उन्होंने यह जानने के बावजूद कि "गैरकानूनी गतिविधियां चल रही हैं और कैबिनेट की ओर से सिसोदिया द्वारा एलजी की मंजूरी के बिना बदलाव किए जा रहे हैं, संबंधित प्राधिकरण को सूचित नहीं किया।
हालांकि सिसोदिया सारे आरोपों से इनकार कर रहे हैं। अब उनका कहना है कि सारे फैसले पिछले उपराज्यपाल के दफ्तर में लिए गए थे। क्योंकि अंतिम फैसला वहीं से हुआ था।
बहरहाल, दिल्ली सरकार शराब नीति के मामले में बुरी तरह फंस गई है। इस मामले की आंच आम आदमी पार्टी पर आ रही है। यह पार्टी और इसके मुखिया अरविंज केजरीवाल भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन चलाकर सत्ता में आए थे। वही पार्टी अब भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना कर रही है।
अपनी राय बतायें