दिल्ली में 24 घंटे में फिर से कोरोना संक्रमण के रिकॉर्ड 2224 मामले आए हैं। शहर में यह एक दिन में अब तक की सबसे ज़्यादा संख्या है। इसके साथ ही शहर में अब तक संक्रमण के कुल मामले 41 हज़ार 182 हो गए हैं और 1327 लोगों की मौत हो चुकी है। मुंबई के बाद दिल्ली दूसरा ऐसा शहर है जहाँ कोरोना संक्रमण के कुल मामले 40 हज़ार के पार पहुँच गए हैं। मुंबई में संक्रमित लोगों की संख्या 55 हज़ार से ज़्यादा हो गई है।
हालाँकि दिल्ली में संक्रमण के इन कुल मामलों में से 15 हज़ार से ज़्यादा कोरोना मरीज़ ठीक भी हो चुके हैं। अभी भी क़रीब 24 हज़ार लोग संक्रमित हैं। संक्रमण से सबसे ज़्यादा प्रभावित राज्यों में दिल्ली तीसरे स्थान पर है। पहले स्थान पर महाराष्ट्र है जहाँ क़रीब 1 लाख 5 हज़ार संक्रमण के मामले आए हैं व 3830 लोगों की मौत हुई है और दूसरे स्थान पर तमिलनाडु है जहाँ 42 हज़ार 687 संक्रमण के मामले आए हैं व 397 लोगों की मौत हुई है।
दिल्ली में बेतहाशा बढ़ रहे कोरोना संक्रमण के मामले ने चिंताएँ बढ़ा दी हैं। चाहे वह केजरीवाल सरकार हो या फिर केंद्र सरकार। दिल्ली में स्थिति ख़राब होती दिखने पर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने एक हफ़्ते में दो बार बैठकें की हैं। रविवार को ही बैठक में कई अहम फ़ैसले लिए गए।
देश के गृह मंत्री अमित शाह ने दिल्ली के मुख्यमंत्री के साथ बैठक के बाद कहा कि दिल्ली में कोरोना वायरस टेस्ट को अब तीन गुना बढ़ाया जाएगा। इसके साथ ही अस्पतालों के बेड की कमी को पूरा करने के लिए ट्रेन के पाँच सौ डब्बे दिये जाएँगे जिसमें मरीज़ों का इलाज किया जाएगा। इसके साथ ही उन्होंने कहा, 'दिल्ली के निजी अस्पतालों में कोरोना संक्रमण के इलाज के लिए निजी अस्पतालों के कोरोना बेड में से 60% बेड कम रेट में उपलब्ध कराने, कोरोना उपचार व कोरोना की टेस्टिंग के रेट तय करने के लिए डॉ. पॉल की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई गयी है जो कल तक अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी।'
बैठक में देश के स्वास्थ्य मंत्री से लेकर दिल्ली के लेफ्टिनेंट गवर्नर, उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, एम्स के निदेशक रणदीप गुलेरिया सहित कई मंत्री और उच्चाधिकारी शामिल हुए।
दिल्ली में कोरोना टेस्ट के कम होने को लेकर तीन दिन पहले ही अदालत द्वारा दिल्ली सरकार को फटकार लगाने के बाद हुई इस बैठक में यह फ़ैसला लिया गया है। दिल्ली में कोरोना संक्रमण, जाँच व्यवस्था, अस्पतालों की हालत पर 'भयावह और दयनीय' स्थिति कहकर सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार की खिंचाई की थी।
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा था कि राजधानी में कोरोना के मरीज़ों का इलाज जानवरों से भी बदतर ढंग से हो रहा है। शीर्ष अदालत की तीन जजों की बेंच ने कोरोना मरीजों के इलाज में हो रही लापरवाहियों का स्वत: संज्ञान लिया है। बेंच में शामिल जस्टिस एम.आर. शाह ने कहा, ‘एक मामले में तो शव कूड़ेदान में मिला। यह क्या हो रहा है।’
बता दें कि संक्रमण के काफ़ी तेज़ी से बढ़ने की आशंका जताई जा रही है। चार दिन पहले ही मनीष सिसोदिया ने कहा था, ‘15 जून तक कोरोना संक्रमण के 44 हज़ार मामले हो जाएँगे और क़रीब 6, 600 बेड की आवश्यकता होगी, 30 जून तक मामले 1 लाख तक पहुँच जाएँगे और 15 हज़ार बेड की आवश्यकता होगी, 15 जुलाई तक क़रीब सवा दो लाख तक मामले हो जाएँगे और 33 हज़ार बेड की ज़रूरत होगी और 31 जुलाई तक दिल्ली में क़रीब साढ़े पाँच लाख केस पहुँच जाएँगे और इसके लिए 80 हज़ार बेड की ज़रूरत होगी।’
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