26 जनवरी, 2021 को किसानों की ट्रैक्टर रैली के दौरान हुई हिंसा के मामले में दिल्ली पुलिस ने चार्जशीट दायर कर दी है। चार्जशीट में पुलिस ने कहा है कि किसान आंदोलनकारियों की साज़िश लाल क़िला पर कब्जा करने और इसे आंदोलन की नई जगह बनाने की थी और इस साज़िश का तानाबुना नवंबर-दिसंबर, 2020 में बुना गया। हिंसा के बाद दिल्ली पुलिस ने कई लोगों को गिरफ़्तार किया था।
चार्जशीट को दिल्ली की तीस हज़ारी अदालत में दायर किया गया है और अदालत 28 मई को इस मामले में सुनवाई करेगी।
निशान साहिब फ़हराया था
बता दें कि केंद्र सरकार के कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ 26 नवंबर, 2020 से दिल्ली के बॉर्डर्स पर चल रहे किसानों के आंदोलन के दौरान ही इस साल 26 जनवरी को ट्रैक्टर रैली का आयोजन किया गया था। इस रैली के दौरान कई किसान बैरिकेड तोड़कर दिल्ली में घुस गए थे और लाल क़िले पर निशान साहिब फ़हरा दिया था।
राजधानी में जहां-तहां घुसी किसान आंदोलनकारियों की भीड़ को तितर-बितर करने के लिए दिल्ली पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े थे और लाठियां भी भांजी थीं। इस दौरान सरकारी संपत्ति को भी ख़ासा नुक़सान हुआ था।
चार्जशीट के मुताबिक़, लाल क़िले पर हुई हिंसा एक सोची-समझी साज़िश का हिस्सा थी और साज़िश को सफल बनाने के लिए कई बुजुर्ग किसानों को इसमें शामिल किया गया था। चार्जशीट कहती है कि ट्रैक्टर रैली के लिए 26 जनवरी का दिन केंद्र सरकार को देश और दुनिया में बदनाम करने के लिए चुना गया था।
फ़ोन कॉल का हवाला
पुलिस के मुताबिक़, यह कहा गया था कि जो शख़्स लाल क़िले पर झंडा फहराएगा, उसे मोटा पैसा दिया जाएगा। हिंसा में शामिल एक अभियुक्त की बेटी की फ़ोन कॉल को भी चार्जशीट में शामिल किया गया है और कहा गया है कि वह फ़ोन पर किसी से बातचीत के दौरान कह रही है कि उसके पिता को 50 लाख रुपये मिलेंगे।
ट्रैक्टर ख़रीद में तेज़ी
चार्जशीट कहती है कि प्रदर्शन से पहले पंजाब में बड़े पैमाने पर ट्रैक्टर्स की ख़रीद की गई। नवंबर, 2020 में यह 43 फ़ीसद थी जबकि दिसंबर, 2020 में यह 94 फ़ीसद हो गयी। हरियाणा में भी ट्रैक्टर ख़रीद में तेज़ी आई थी।
पंजाबी अभिनेता दीप सिद्धू और कुछ अन्य लोगों को चार्जशीट में अभियुक्त बनाया गया है। दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच की टीम ने दीप सिद्धू और दूसरे अभियुक्त इक़बाल सिंह को घटनास्थल पर लाकर उनसे यह जानने की कोशिश की थी कि लाल क़िले पर निशान साहिब को फहराए जाने की घटना को किस तरह अंजाम दिया गया था।
किसानों के आंदोलन को छह महीने का वक़्त पूरा हो चुका है लेकिन अभी तक इस मामले में कोई हल नहीं निकला है।
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