आम आदमी पार्टी ने एमसीडी चुनावों में 2017 के अपने प्रदर्शन की तुलना में अपना वोट शेयर काफ़ी बढ़ाया है और सीटें भी। इस बार बीजेपी ने भी वोट शेयर बढ़ाया, लेकिन वह सीट नहीं बढ़ा पाई। दरअसल, उसकी सीटें इस बार काफ़ी ज़्यादा घट गई हैं।
भले ही बीजेपी की टैली 2017 के 272 वार्डों में से 181 की जगह अब 250 वार्डों में से 104 तक सिमट गई हो, लेकिन इस साल उसका वोट शेयर 36% से बढ़कर 39% हो गया है। नगर निगम चुनावों में आप का वोट शेयर बढ़कर 42% हो गया है, जो 2017 के एमसीडी चुनाव में क़रीब 26% था। 2017 में 272 वार्डों में आम आदमी पार्टी की 48 सीटें आई थीं जबकि इस वर्ष 250 वार्डों में से 134 सीटें आई हैं। पिछले चुनाव में तीन निकाय- दक्षिण, उत्तर और पूर्व थे। इन तीनों को एक एमसीडी में एकीकृत करने के कारण सीटों की कुल संख्या 272 से घटकर 250 हो गई है।
इस बीच, कांग्रेस का वोट शेयर 21% से कम होकर 12% तक गिर गया है। इससे पता चलता है कि आप और बीजेपी दोनों ने कांग्रेस के वोट शेयर में सेंध लगाई है। आम तौर पर देखा जाता है कि मतदाता विधानसभा चुनावों और नगरपालिका चुनावों में अलग तरह से सोचते हैं और मतदान करते हैं। और ऐसे चुनावों में परिणाम शायद ही कभी समान पैटर्न पर आते हैं।
'द इंडियन एक्सप्रेस' की रिपोर्ट के अनुसार 2022 के नगरपालिका चुनावों में आप का वोट शेयर 2020 के विधानसभा चुनावों में उसके वोट शेयर 54% से काफी कम है। हालाँकि नगर निगम चुनावों में बीजेपी का वोट शेयर मोटे तौर पर 2020 के विधानसभा चुनावों के प्रदर्शन के समान है, तब उसका वोट शेयर 41% था। तीन प्रमुख दलों में कांग्रेस एकमात्र ऐसी पार्टी है जिसका 2020 और 2015 के विधानसभा चुनावों (क्रमशः 12% और 10%) की तुलना में नगरपालिका चुनावों में बेहतर वोट शेयर है।
2017 के चुनाव में क्या आया था नतीजा
2017 के एमसीडी चुनाव में बीजेपी को 181 वार्डों में जीत मिली थी जबकि आम आदमी पार्टी को 48, कांग्रेस को 30 और अन्य को 13 वार्डों पर जीत मिली थी। 2017 में बीजेपी को 36.02 फीसदी, आम आदमी पार्टी को 26.21 फीसदी, कांग्रेस को 21.21 फीसदी, बसपा को 4.43 फीसदी और निर्दलीयों और अन्य पार्टियों के उम्मीदवारों को लगभग 12 फीसदी वोट मिले थे।
2017 के एमसीडी चुनाव के नतीजों को आम आदमी पार्टी के लिए बड़ा झटका माना गया था क्योंकि दिल्ली की सत्ता में होते हुए भी उसे बीजेपी के हाथों करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा था। लेकिन इस बार उसे जीत मिली है।
साल 2012 तक दिल्ली में एकीकृत नगर निगम था लेकिन दिल्ली की तत्कालीन शीला दीक्षित सरकार ने इसे उत्तरी, दक्षिणी और पूर्वी नगर निगमों में बांट दिया था। मौजूदा केंद्र सरकार ने इन्हें फिर से एकीकृत कर दिया था। 2012 के एमसीडी चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस के बीच ही लड़ाई रही थी क्योंकि तब आम आदमी पार्टी अस्तित्व में नहीं आई थी।
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