दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा है कि न तो ईडी को असीमित ताक़त मिली हुई है और न ही अधिकारियों के पास अपनी इच्छानुसार गिरफ्तारी का अधिकार है। इसने गुरुवार को कहा कि धन शोधन निवारण अधिनियम यानी पीएमएलए की धारा 50 के तहत समन जारी करने के ईडी के अधिकार में किसी व्यक्ति को गिरफ्तार करने का अधिकार शामिल नहीं है।
हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि पीएमएलए की धारा 19 के तहत गिरफ्तारी की शक्ति है लेकिन यह भी अनियंत्रित शक्ति नहीं है। इसने कहा है कि अधिकारियों के पास अपनी मर्जी और इच्छानुसार गिरफ्तारी का अधिकार नहीं है।
हाईकोर्ट का यह आदेश एडुकॉम्प मामले में ईडी की सूचना रिपोर्ट ईसीआईआर को रद्द करने की मांग करने वाले आशीष मित्तल की याचिका पर सुनवाई करते हुए आया है। हालाँकि हाईकोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया। याचिका में यह निर्देश देने की मांग की गई थी कि ईडी को उनके खिलाफ कोई भी कठोर कदम उठाने से रोका जाए।
द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार हाईकोर्ट ने कहा कि पीएमएलए की धारा 50 के तहत ईडी अधिकारियों को शपथ पर बयान दर्ज करने के लिए किसी भी व्यक्ति को बुलाने का अधिकार है। इस आदेश के साथ किसी भी व्यक्ति को बुलाया जाएगा, वह उपस्थित होने, जवाब देने और सच्चाई से बयान देने के लिए बाध्य होगा।
उच्च न्यायालय ने यह भी जोर देकर कहा कि पीएमएलए की धारा 50 के तहत समन जारी करने की शक्ति धारा 19 के तहत गिरफ्तारी की शक्ति से भिन्न और अलग है।
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