कोरोना टीकाकरण का जो अभियान शनिवार को शुरू हुआ है उसमें दुष्प्रभाव के कम से कम 52 मामले सामने आए हैं। इसमें से अधिकतर सामान्य दुष्प्रभाव हैं जबकि एक मामले में एक व्यक्ति को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा है। दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने रविवार को ख़ुद इसकी जानकारी दी है। उन्होंने कहा है कि एक मामला गंभीर था जिसमें मरीज़ को एम्स में भर्ती कराया गया है।
बता दें कि भारत में शनिवार को शुरू हुए कोरोना टीकाकरण अभियान के पहले दिन 1 लाख 91 हज़ार लोगों को टीका लगाया गया। अभियान की शुरुआत दिल्ली एम्स में सैनिटेशन वर्कर मनीष कुमार को पहला टीका लगाकर की गई। एम्स, दिल्ली के निदेशक रणदीप गुलेरिया को भी कोरोना वैक्सीन लगाई गई। प्रधानमंत्री मोदी ने इस टीकाकरण की शुरुआत की है। पहले दिन के इसी टीके के बाद ख़बरें आती रहीं कि वैक्सीन के दुष्परिणाम सामने आ रहे हैं।
इसी बीच सत्येंद्र जैन की आज सफ़ाई आई है। उन्होंने एएनआई से कहा, 'कल 51 छोटी घटनाएँ आई हैं, जहाँ कुछ मामूली जटिलताएँ थीं और एक थोड़ी गंभीर थी। गंभीर वाले मामले में एम्स में भर्ती कराया गया था। कल रात तक उन्हें वहाँ भर्ती रखा गया था।' उन्होंने कहा कि भर्ती किये गये मरीज 22 वर्ष के हैं और वह अस्पताल में भी सिक्योरिटी गार्ड के तौर पर काम करते हैं। उन्हें आईसीयू में भर्ती किया गया था और अब हालत स्थिर बनी हुई है।
बता दें कि दिल्ली में क़रीब 4000 स्वास्थ्य कर्मियों को टीका लगाया गया है। दिल्ली सरकार के तहत आने वाले अस्पतालों में ऑक्सफ़ोर्ड-एस्ट्राज़ेनेका द्वारा विकसित और सीरम इंस्टीट्यूट द्वारा तैयार कोविशील्ड वैक्सीन लगाई गई है। केंद्र सरकार के तहत आने वाले छह अस्पतालों में भारत बायोटेक की कोवैक्सीन का टीका लगाया गया है। कोवैक्सीन का टीके का ट्रायल अभी तीसरे चरण में है।
भारत में कोरोना की दो वैक्सीन के इस्तेमाल की मंजूरी दी गई है। इनमें से एक को ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और ऐस्ट्राज़ेनेका ने तैयार किया है जबकि दूसरी को भारत बायोटेक ने।
भारत बायोटेक की कोवैक्सीन पर हाल में विवाद हुआ था। कथित तौर पर उस वैक्सीन के तीसरे चरण के आँकड़ों के बिना ही उसको मंजूरी दिए जाने पर सवाल उठे। सवाल इसलिए उठे क्योंकि कोवैक्सीन के तीसरे चरण के ट्रायल में शामिल रहे विशेषज्ञों के पास ही कोई डेटा नहीं थे। ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ़ इंडिया यानी डीसीजीआई ने तीन जनवरी को सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंडिया की कोविशील्ड के साथ ही भारत बायोटेक की कोवैक्सीन को 'सीमित इस्तेमाल' की मंजूरी दी है।
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प्रधानमंत्री मोदी ने भारत बायोटेक की वैक्सीन को लेकर हुए विवाद के संबंध में कहा कि ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ़ इंडिया ने पूरी तरह संतुष्ट होने के बाद ही दोनों वैक्सीन को स्वीकृति दी है इसलिए लोग अफ़वाहों से दूर रहें।
प्रधानमंत्री ने स्वास्थ्य कर्मियों, फ्रंटलाइन वर्कर्स और वैज्ञानिकों की तारीफ़ की और वैक्सीन को लेकर अफ़वाह फैलाने वालों को चेताया।
बता दें कि रिपोर्टों में वैक्सीन को लेकर आशंकाओं की भी ख़बरें हैं। 'एनडीटीवी' की रिपोर्ट के अनुसार जिनको पहली वैक्सीन लगाई गई उन्होंने भी इसकी पुष्टि की। रिपोर्ट के अनुसार एम्स में पहला टीका लगवाने वाले मनीष कुमार ने कहा, 'उनमें (कर्मचारियों में) से कई डरे हुए थे। इसलिए, मैं अपने सीनियर्स के पास गया और मैंने कहा कि मुझे पहले वैक्सीन दी जाए। मैं अपने सहयोगियों को साबित करना चाहता था कि डरने की कोई ज़रूरत नहीं है। मेरी पत्नी ने मुझसे कहा भी कि वैक्सीन नहीं लगवाओ। मैंने उसे बताया कि यह सिर्फ़ एक इंजेक्शन है। खुराक लेने के बाद मैंने अपनी माँ से कहा कि वह मेरी पत्नी को बताए कि मैं सुरक्षित हूँ।'
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'कोवैक्सीन की जगह कोविशील्ड लगवाएँगे'
राम मनोहर लोहिया अस्पताल के रेजिडेंट डॉक्टरों ने माँग की कि उनको कोवैक्सीन नहीं, बल्कि कोविशील्ड वैक्सीन लगाई जाए क्योंकि कोविशील्ड ने प्रोटोकॉल के तहत ट्रायल के तीनों चरण पूरे कर लिए हैं। भारत बायोटेक की कोवैक्सीन के तीसरे चरण का ट्रायल अभी भी जारी है। हालाँकि, केंद्र सरकार ने इन आशंकाओं को दरकिनार कर दिया है। लेकिन राम मनोहर लोहिया अस्पताल के रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन ने मेडिकल सुपरिंटेंडेंट को पत्र लिखा है। अस्पताल के रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन के उपाध्यक्ष डॉ. निर्मलय महापात्रा ने कहा कि बहुत से डॉक्टरों ने शनिवार को शुरू किए गए देशव्यापी अभियान के लिए अपने नाम नहीं दिए हैं।
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