loader

क्या बीजेपी ने आप विधायकों से कराया था इस्तीफा, बीजेपी से क्यों जुड़े?

आम आदमी पार्टी के 8 विधायकों ने शुक्रवार को इस्तीफ़ा क्यों दिया था? क्या उन्होंने आप को नुक़सान पहुँचाने के इरादे से ऐसा किया था और क्या इसके पीछे बीजेपी थी? इन विधायकों ने भले ही आम आदमी पार्टी पर भरोसा नहीं होने का आरोप लगाया है, लेकिन एक दिन बाद ही इन्होंने बीजेपी में शामिल होकर कुछ और संकेत दे दिए। तो सवाल है कि क्या यह सब बीजेपी की रणनीति थी?

इस सवाल का जवाब हाल के घटनाक्रमों को जानकर भी मिल सकता है। इन घटनाक्रमों को जानने से पहले यह जान लें कि आख़िर शनिवार को क्या हुआ है। आप को बड़ा झटका देते हुए पार्टी से इस्तीफा देने वाले आठ विधायक शनिवार को बीजेपी में शामिल हो गए। यह सब दिल्ली विधानसभा चुनाव से कुछ दिन पहले हो रहा है। 

ताज़ा ख़बरें

बीजेपी में शामिल होने वाले विधायकों में महरौली से नरेश यादव, त्रिलोकपुरी से रोहित कुमार, जनकपुरी से राजेश ऋषि, कस्तूरबा नगर से मदन लाल, आदर्श नगर से पवन शर्मा, बिजवासन से बीएस जून, मादीपुर से गिरीश सोनी और पालम से भावना गौड़ शामिल हैं। इन्होंने एक दिन पहले ही शुक्रवार को आम आदमी पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था। 

आप के पूर्व नेता बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बैजयंत पांडा और दिल्ली इकाई के प्रमुख वीरेंद्र सचदेवा की मौजूदगी में भाजपा में शामिल हुए। नए सदस्यों का स्वागत करते हुए पांडा ने इसे ऐतिहासिक दिन बताया और कहा कि इन नेताओं ने खुद को 'आप-दा' से मुक्त कर लिया है। उन्होंने आगे कहा कि 5 फरवरी को होने वाले चुनावों के बाद दिल्ली भी आप से मुक्त हो जाएगी।

आप छोड़ने वाले आठ विधायकों में से सात को आगामी चुनाव लड़ने के लिए टिकट नहीं दिया गया था और कथित तौर पर वे पार्टी के फ़ैसले से नाराज़ थे। हालाँकि, महरौली के विधायक नरेश यादव को पहले टिकट दिया गया था, लेकिन पंजाब कुरान बेअदबी मामले में उनके खिलाफ आरोप साबित होने के बाद उन्होंने टिकट वापस कर दिया था। इसके बाद पार्टी ने उनकी जगह महेंद्र चौधरी को टिकट दिया। नरेश यादव ने आख़िरकार शुक्रवार को इस्तीफ़ा दे दिया। 
आप से इस्तीफ़ा देने के बाद विधायकों ने कहा था कि उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष को भी अपना त्यागपत्र सौंप दिया है।
पालम की भावना गौड़ ने अपने त्यागपत्र में पार्टी प्रमुख अरविंद केजरीवाल पर अपनी निराशा जताई और कहा था, 'मेरा आप पर विश्वास नहीं रहा।' उन्होंने आप के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल को लिखे पत्र में कहा था कि वह इसलिए इस्तीफा दे रही हैं, क्योंकि उनका केजरीवाल और पार्टी पर से भरोसा उठ गया है। कस्तूरबा नगर विधायक मदन लाल ने भी यही कहा। 
दिल्ली से और ख़बरें

एक रिपोर्ट के अनुसार नरेश यादव ने कहा था, 'आप का उदय भ्रष्टाचार के खिलाफ हुए अन्ना आंदोलन से भारतीय राजनीति से भ्रष्टाचार को मुक्त करने के लिए हुआ था। लेकिन अब मैं बहुत दुखी हूं कि भ्रष्टाचार आम आदमी पार्टी बिल्कुल भी कम नहीं कर पाई, बल्कि आप ही भ्रष्टाचार के दलदल में लिप्त हो चुकी है।'

पवन शर्मा ने कहा था कि आम आदमी पार्टी जिस विचारधारा पर बनी थी, उस विचारधारा से भटक चुकी है और इस वजह से आप की दुर्दशा देख कर मन बहुत दुखी है।

भूपेंदर सिंह जून ने कहा था कि आप की स्थापना जिन मूल्यों पर की गई थी, अब उन नैतिक मानदंडों की घोर उपेक्षा चिंताजनक है और पार्टी ने आपराधिक पृष्ठभूमि वालों को टिकट दिया। मदनलाल ने कहा था कि मेरा आप से भरोसा पूरी तरह से खत्म हो चुका है, इसलिए मैं पार्टी से इस्तीफा दे रहा हूं। रोहित मेहरौलिया ने कहा कि 'जिन्हें बाबासाहब आंबेडकर की केवल फोटो चाहिए, उनके विचार नहीं, ऐसे मौका-परस्त और बनावटी लोगों से आज से मेरा नाता खत्म। मैं आप की प्राथमिक सदस्यता सहित सभी पदों से इस्तीफा देता हूं।' राजेश ऋषि ने कहा था, 'आप भ्रष्टाचार मुक्त शासन, पारदर्शिता और जवाबदेही के सिद्धांतों पर आधारित थी। पार्टी से मैंने इन मूल्यों से एक महत्वपूर्ण दूरी देखी है। पार्टी करप्शन और भाई-भतीजावाद का कटोरा बन गई है।' लेकिन विधायक पद से शुक्रवार को इस्तीफ़ा देने वाले ये नेता शनिवार को ही बीजेपी में शामिल हो गए।

ख़ास ख़बरें

विधायकों के आप से इस्तीफ़े पर आप विधायक ऋतुराज झा ने शुक्रवार को बीजेपी पर विधायकों को लालच देने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा था, 'मुझे भी पार्टी छोड़ने का लालच दिया गया था। लेकिन मैं आखिरी दम तक आप में रहूंगा।'

अरविंद केजरीवाल की पार्टी दिल्ली में लगातार तीसरी बार पांच साल का कार्यकाल हासिल करने की कोशिश में है और उसे भाजपा से कड़ी चुनौती मिल रही है, जो पिछले 27 सालों से राजधानी में सत्ता से बाहर है। कांग्रेस भी कड़ी टक्कर देने की तैयारी कर रही है और उसे उम्मीद है कि वह चौंकाने वाली जीत हासिल करेगी। 

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

अपनी राय बतायें

दिल्ली से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें