दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को अब 12 जुलाई तक जेल में रहना पड़ेगा। अदालत ने उन्हें शनिवार को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया। दिल्ली की एक अदालत ने उनको बुधवार को तीन दिन की सीबीआई हिरासत में भेज दिया था और शनिवार को पेश करने को कहा गया था।
अदालत ने शनिवार को सीबीआई की याचिका स्वीकार कर ली और कथित शराब नीति घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में केजरीवाल को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया। आप प्रमुख 12 जुलाई तक जेल में रहेंगे और दोपहर करीब 2 बजे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए उन्हें फिर से दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में पेश किया जाएगा।
केंद्रीय जांच ब्यूरो यानी सीबीआई ने दिल्ली के सीएम की 14 दिन की न्यायिक हिरासत की मांग करते हुए कहा था कि जांच और न्याय के हित में उनकी हिरासत ज़रूरी है।
सीबीआई ने अपनी रिमांड अर्जी में दावा किया कि अरविंद केजरीवाल ने हिरासत में पूछताछ के दौरान सहयोग नहीं किया। जांच एजेंसी ने यह भी कहा कि केजरीवाल ने जानबूझकर ऐसे जवाब दिए जो रिकॉर्ड में मौजूद सबूतों के विपरीत थे। इसने कहा, 'जब उनसे सबूतों के बारे में पूछा गया तो उन्होंने दिल्ली की नई आबकारी नीति 2021-22 के तहत थोक विक्रेताओं के लिए लाभ मार्जिन को 5 प्रतिशत से बढ़ाकर 12 प्रतिशत करने के बारे में सही स्पष्टीकरण नहीं दिया।'
केजरीवाल का प्रतिनिधित्व कर रहे अधिवक्ता विक्रम चौधरी ने अदालत को बताया कि कथित शराब नीति घोटाले की जांच 2022 से चल रही है, लेकिन उनकी गिरफ़्तारी 2024 में की गई।
उन्होंने कहा, 'केजरीवाल को मार्च 2024 में गिरफ्तार किया गया था। उन्हें सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम जमानत दी थी। सुनवाई की पिछली तारीख पर सीबीआई ने कहा था कि उसने जनवरी में सबूत एकत्र किए थे, उन्होंने कहा कि उन्होंने अप्रैल में मंजूरी प्राप्त की थी। उन्होंने यह भी कहा कि उन्होंने मुझे पहले गिरफ्तार नहीं किया क्योंकि वे सुप्रीम कोर्ट के दायरे से बाहर नहीं जाना चाहते थे।' अधिवक्ता ने अदालत से सीबीआई को मामले के संबंध में एकत्र किए गए सभी सबूतों को रिकॉर्ड पर रखने का निर्देश देने का आग्रह किया।
सीबीआई ने इसी हफ्ते केजरीवाल की गिरफ्तारी से पहले पहले ही एजेंसी ने उनसे तिहाड़ जेल में पूछताछ की थी। 21 मार्च को ईडी द्वारा आबकारी नीति से जुड़े कथित धन शोधन मामले में गिरफ्तार किए गए केजरीवाल को मंगलवार को झटका लगा था, जब दिल्ली उच्च न्यायालय ने ईडी के मामले में उन्हें जमानत देने के निचली अदालत के आदेश पर रोक लगा दी थी।
ईडी कथित धन के लेन-देन की जांच कर रहा है, जबकि सीबीआई के मामले में सरकारी कर्मचारियों द्वारा भ्रष्टाचार और रिश्वत लेने की बात साबित करनी होगी। सीबीआई ने 2022 में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत भ्रष्टाचार का मामला दर्ज किया था, लेकिन इसमें केजरीवाल को आरोपी नहीं बनाया गया था।
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