बीजेपी दिल्ली में नए अध्यक्ष की तलाश में जुटी हुई है। दिल्ली में जल्द ही एमसीडी के चुनाव होने वाले हैं और पार्टी एक नए चेहरे के साथ इस चुनाव में उतरना चाहती है। साल 2020 के विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद बीजेपी ने आदेश गुप्ता को पार्टी का अध्यक्ष बनाया था। बीते कुछ दिनों में बीजेपी ने कई राज्यों में अध्यक्षों को बदला है। उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और उत्तराखंड में नए नेताओं को प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी गई है और अगला नंबर दिल्ली का है।
दिल्ली में बीजेपी का अध्यक्ष कौन होगा इसे समझने से पहले यहां की सियासत को भी समझना होगा। अपनी विधानसभा वाले केंद्र शासित प्रदेश दिल्ली में पूर्वांचल से लेकर उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार के साथ ही बंगाल से लेकर झारखंड और हिमाचल प्रदेश से लेकर पंजाब और कई राज्यों के लोग सालों से रहते आए हैं। अब वे यहां के मतदाता भी हैं।
इसके साथ ही तमाम जातियों, बिरादरियों, धर्मों के लोग भी यहां रहते हैं। ऐसे में दिल्ली में चेहरा तय करने के लिए हर राजनीतिक दल को तमाम समीकरणों को देखते हुए अच्छी-खासी दिमागी कसरत करनी पड़ती है।
देश के तमाम राज्यों में फतेह हासिल कर रही बीजेपी दिल्ली में करारी हार का घूंट पीने को मजबूर है। साल 2014 में मोदी-शाह युग के उदय के बाद से बीजेपी ने ऐसे राज्यों में भी सरकार बनाई है जहां उसकी सरकार बनने की कल्पना ही की जा सकती थी। ऐसे राज्यों में त्रिपुरा का नाम प्रमुख है।
1993 में हुए पहले विधानसभा चुनाव में दिल्ली में बीजेपी की सरकार बनी थी लेकिन 1998 में कांग्रेस के हाथों मिली हार के बाद शिकस्त का जो सिलसिला शुरू हुआ वह आम आदमी पार्टी के आने के बाद आगे बढ़ता चला गया।
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साल 2015 और 2020 के विधानसभा चुनाव में पूरा जोर लगाने के बाद भी बीजेपी 3 और 8 सीटों के आंकड़े तक ही पहुंच सकी। लेकिन अब पार्टी ऐसा नेता चाहती है जो आम आदमी पार्टी को हराकर उसे जीत दिला सके।
बीते सालों में बीजेपी ने वरिष्ठ नेता विजय कुमार मल्होत्रा से लेकर हर्षवर्धन, विजय गोयल, विजेंद्र गुप्ता, सतीश उपाध्याय, पूर्वांचल से आने वाले मनोज तिवारी तक को अपना चेहरा बनाया है लेकिन पार्टी यहां की सत्ता में वापसी नहीं कर सकी। पहले जहां शीला दीक्षित उसकी राह का रोड़ा बनी रहीं वहीं अब अरविंद केजरीवाल उसकी मुसीबत बन गए हैं।
कुछ महीने पहले यह चर्चा चली थी कि केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी को दिल्ली में बीजेपी अपना चेहरा बनाएगी लेकिन अब शायद पार्टी दिल्ली के किसी सांसद के नाम पर दांव लगाएगी।
प्रवेश साहिब सिंह वर्मा
दिल्ली बीजेपी के सांसद प्रवेश साहिब सिंह वर्मा, मनोज तिवारी, गौतम गंभीर, मीनाक्षी लेखी, रमेश बिधूड़ी इस पद की दौड़ में हैं। प्रवेश साहिब सिंह वर्मा को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का भरोसेमंद माना जाता है और प्रवेश वर्मा लगातार दो बार दिल्ली में बड़े अंतर से चुनाव जीत चुके हैं। जाट बिरादरी से आने वाले प्रवेश साहिब सिंह वर्मा के पिता साहिब सिंह वर्मा दिल्ली के मुख्यमंत्री भी रहे थे और दक्षिणी दिल्ली से लेकर नजफगढ़, महरौली, बवाना, नरेला, नांगलोई, महिपालपुर बिजवासन के इलाकों में जाट मतदाता बड़ी संख्या में हैं।
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रमेश बिधूड़ी
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मनोज तिवारी
मनोज तिवारी एक लोकप्रिय पूर्वांचली चेहरे हैं और दिल्ली में पूर्वांचली मतदाताओं की तादाद अच्छी खासी हो चुकी है। लक्ष्मी नगर से लेकर नरेला और तिगड़ी, खानपुर, संगम विहार होते हुए द्वारका और नज़फ़गढ़ तक देखेंगे तो आपको पूर्वांचल के मतदाता मिलेंगे। इसी तरह सीमापुरी से लेकर करावल नगर और बुराड़ी आदि तमाम सीटों पर इस समुदाय के वोट अच्छी संख्या में हैं।
क्योंकि बीजेपी वैश्य समुदाय से आने वाले आदेश गुप्ता को अध्यक्ष बना चुकी है इसलिए इस बार उम्मीद है कि वैश्य बिरादरी के किसी नेता को पार्टी इस बार अध्यक्ष नहीं बनाएगी। ऐसी स्थिति में चांदनी चौक से सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री हर्षवर्धन की उम्मीदें कमजोर दिखती हैं।
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मीनाक्षी लेखी
दो बार नई दिल्ली सीट से जीत चुकीं केंद्रीय मंत्री मीनाक्षी लेखी भी दिल्ली बीजेपी के अध्यक्ष पद की दौड़ में हैं। मीनाक्षी लेखी पंजाबी समुदाय से आती हैं। इस समुदाय की नई दिल्ली से लेकर दक्षिणी दिल्ली के पॉश इलाकों में अच्छी खासी आबादी है। क्रिकेटर से राजनेता बने गौतम गंभीर को भी पार्टी दिल्ली में अध्यक्ष बना सकती है। हालांकि उनके पास सियासत का ज्यादा अनुभव नहीं है।
2017 में बीजेपी ने उत्तरी दिल्ली में 104 में से 64, दक्षिण दिल्ली में 104 में से 70 और पूर्वी दिल्ली में 64 में 47 सीटें जीतकर लगातार तीसरी बार नगर निगम में अपना परचम फहराया था। आम आदमी पार्टी तीनों नगर निगमों में कुल मिलाकर 49 और कांग्रेस 31 सीटें जीत सकी थी।
इस बार दिल्ली में फिर से तीनों नगर निगमों को एकीकृत कर दिया गया है। आम आदमी पार्टी ने आरोप लगाया था कि बीजेपी लगातार एमसीडी चुनाव को टालती जा रही है लेकिन अब जब चुनाव होंगे तो देखना होगा कि आम आदमी पार्टी बीजेपी को कितनी टक्कर दे पाती है।
लेकिन बीजेपी को किसी बड़े चुनावी चेहरे को केजरीवाल के सामने करना होगा जो उसे एमसीडी चुनाव में फिर से जीत दिलाने के साथ ही 2024 के लोकसभा और 2025 की शुरुआत में होने वाले विधानसभा चुनाव में भी जीत दिला सके।
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