दिल्ली के जहांगीरपुरी में बुलडोजर चलाने की कार्रवाई के बाद दिल्ली बीजेपी नेताओं के अमित शाह से मिलने पर विपक्षी नेता यदि क्रोनोलॉजी समझाने लगें तो कोई अचरज नहीं! आज घटनाएँ ही उस तरह से चली हैं।
कुछ दिन पहले शोभायात्रा के दौरान हिंसा हुई थी। विवाद चल रहा था कि एक दिन पहले मंगलवार को दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष ने बुलडोजर से कार्रवाई के लिए दिल्ली नगर निगम को ख़त लिखा। आज यानी बुधवार को बुलडोजर की कार्रवाई शुरू भी हो गई। सुप्रीम कोर्ट की रोक लगी तो भी काफ़ी देर तक कार्रवाई चलती रही। देश भर में तीखी प्रतिक्रिया हुई। सीधे सवाल उठा बीजेपी आलाकमान पर। और फिर इसके कुछ घंटों बाद दिल्ली में बीजेपी के शीर्ष नेताओं ने केंद्रीय गृह मंत्रालय के मुख्यालय में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की।
इस बैठक को लेकर कुछ भी तर्क दिए जाएँ, लेकिन इसकी टाइमिंग को लेकर सवाल उठ रहे हैं। रिपोर्ट है कि अमित शाह ने अपनी पार्टी के नेताओं के साथ क़रीब एक घंटे तक चर्चा की। एएनआई की रिपोर्ट के अनुसार बैठक में दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष आदेश गुप्ता, सांसद रमेश बिधूड़ी, विधायक राम बीर बिधूड़ी और नेता मनिंदर सिंह सिरसा शामिल थे। रिपोर्ट के अनुसार नेताओं ने बातचीत पर कुछ भी खुलासा नहीं किया और सिरसा ने इतना ही कहा है कि 'यह एक नियमित बैठक थी'।
लेकिन दिल्ली में आज दिन भर चले घटनाक्रमों को देखते हुए क्या यह कहा जा सकता है कि यह नियमित बैठक थी? इस सवाल का जवाब तो बीजेपी ही दे सकती है, लेकिन दिन भर चले घटनाक्रम तो कुछ संकेत दे ही सकते हैं।
मंगलवार को दिल्ली बीजेपी के अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने उत्तरी एमसीडी के मेयर को पत्र लिखकर अवैध निर्माणों को चिन्हित करने और उन्हें गिराने की मांग की थी। गुप्ता ने नगर निकाय से 'दंगाइयों' द्वारा अवैध निर्माण की पहचान करने और उन्हें ध्वस्त करने के लिए कहा।
उत्तरी एमसीडी की ओर से उत्तर पश्चिम जिले के डीसीपी को पत्र लिखकर अतिक्रमण हटाने के अभियान के लिए 400 पुलिसकर्मियों की तैनाती करने की मांग की गई थी। इसमें महिला पुलिस कर्मचारियों की भी मांग शामिल थी।
कार्रवाई उस जहांगीरपुरी में की गई जहाँ बीते गुरुवार को हनुमान जयंती के मौक़े पर निकाले गए जुलूस के दौरान हिंसा हुई थी।
तोड़फोड़ की टीम सैकड़ों पुलिसकर्मियों के साथ सुबह जहांगीरपुरी पहुंची। इसके तुरंत बाद सुप्रीम कोर्ट के समक्ष एक याचिका लगाई गई और फिर शीर्ष अदालत ने उस कार्रवाई पर स्टे दे दिया और यथास्थिति बनाए रखने के लिए कहा। लेकिन मीडिया में रिपोर्टें आती रहीं कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी काफ़ी देर तक बुलडोजर से कार्रवाई जारी रखी गयी।
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तीखी प्रतिक्रिया हुई है। किसी ने इसे 'बुलडोजर की राजनीति' क़रार दिया तो किसी ने कहा कि लोकतंत्र पर हमला है। किसी ने आरोप लगाया कि क्या अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश की भी परवाह नहीं है? देश के प्रधानमंत्री और गृहमंत्री पर सवाल उठे।
अदालत के आदेश के बाद भी कार्रवाई जारी रहने पर याचिकाकर्ताओं के वकील दुष्यंत दवे ने सीजेआई के सामने फिर से इस मामले को रखा। सीजेआई ने सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री से कहा कि वह संबंधित अफसरों तक अदालत के इस आदेश को पहुंचाएं। इस तरह कुछ ही देर में अदालत ने दो बार इस मामले में निर्देश जारी किया। तब जाकर जहाँगीरपुरी में कार्रवाई रुकी।
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