फीस बढ़ोतरी के ख़िलाफ़ जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) के छात्रों का प्रदर्शन जारी है। मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने इस विवाद को सुलझाने के लिए एक कमेटी का गठन किया था और कमेटी के सदस्यों से कहा था कि वह छात्रों और जेएनयू प्रशासन से बात करके इस विवाद को हल करे। बुधवार को जेएनयू के छात्रों का एक प्रतिनिधिमंडल मानव संसाधन विकास मंत्रालय के दफ़्तर पहुंचा और कमेटी से मिलकर उन्हें सारी समस्याएं बताईं।
कमेटी से मिलने के बाद जेएनयू छात्र संघ ने कहा कि उन्होंने कमेटी को जेएनयू में चल रहे आंदोलन के बारे में जानकारी दी है। छात्र नेताओं ने कहा कि जब तक उनकी माँगें पूरी नहीं हो जाती हैं तब तक कैंपस के अंदर उनका प्रदर्शन जारी रहेगा।
बुधवार को जेएनयू के जो छात्र प्रदर्शन करने के लिए पुलिस मुख्यालय जा रहे थे पुलिस पहले उन्हें वसंत कुंज पुलिस स्टेशन ले गई और फिर उन्हें आईटीओ स्थित पुलिस मुख्यालय ले जाया गया।
छात्रों के प्रदर्शन के बाद दिल्ली पुलिस ने दो एफ़आईआर दर्ज की हैं। लोकसभा में भी विपक्षी दलों के सांसदों के द्वारा इस मुद्दे को उठाया जा चुका है। विपक्षी सांसदों ने कहा था कि छात्रों की आवाज को दबाने की कोशिश की जा रही है और उन्होंने बढ़ी हुई हॉस्टल फ़ीस को वापस लेने की माँग की थी। जेएनयू छात्र संघ ने कहा था कि छात्रों के ख़िलाफ़ कोई भी प्रशासनिक कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए।
सोमवार को जेएनयू के छात्रों ने जोरदार प्रदर्शन किया था और कई जगहों पर बैरिकेड को तोड़ दिया था। पुलिस के जेएनयू कैंपस के बाहर धारा 144 लागू करने के बाद भी भी छात्रों ने मार्च निकाला था। इस दौरान पुलिस ने कई छात्रों को हिरासत में ले लिया था और कई की बेरहमी से पिटाई की थी। इससे पहले यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह के दिन भी हजारों छात्रों ने प्रदर्शन किया था।
प्रदर्शनकारी छात्रों का कहना है कि वे शांतिपूर्ण तरीके से मार्च निकाल रहे थे लेकिन दिल्ली पुलिस ने उन पर लाठीचार्ज कर दिया। छात्रों का कहना है कि उनकी आवाज़ को दबाने की कोशिश की जा रही है। छात्रों का कहना है कि वे बीते कई दिनों से फ़ीस बढ़ोतरी का विरोध कर रहे हैं लेकिन उनकी बात नहीं सुनी जा रही है। उनका यह भी कहना है कि विश्वविद्यालय में बड़ी संख्या में छात्र ग़रीब परिवारों से आते हैं, ऐसे में फ़ीस बढ़ने पर ये छात्र कैसे अपनी पढ़ाई पूरी कर पायेंगे।
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