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फाइल फोटो

कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता गौरव वल्लभ ने इस्तीफा दिया, कहा मैं सनातन विरोधी नारे नहीं लगा सकता 

कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता गौरव वल्लभ ने गुरुवार 4 अप्रैल को पार्टी से अपना इस्तीफा दे दिया है। उनका इस्तीफा चौंकाने वाला है क्योंकि वह विभिन्न मंचों से कांग्रेस पार्टी का मजबूती से समर्थन और भाजपा का जमकर विरोध करते रहे हैं। 
लोकसभा चुनाव के दौरान जब पार्टी अपने सब से मुश्किल दौर से गुजर रही है तब उनके इस्तीफे से पार्टी को धक्का लगा है। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि गौरव वल्लभ अब भाजपा में शामिल हो सकते हैं। हालांकि, गौरव वल्लभ ने अभी तक इस बात की पुष्टि नहीं की है।

अपने इस्तीफे को लेकर गौरव वल्लभ ने कहा है कि कांग्रेस पार्टी आज जिस प्रकार से दिशाहीन होकर आगे बढ़ रही है,उसमें मैं ख़ुद को सहज महसूस नहीं कर पा रहा। मैं ना तो सनातन विरोधी नारे लगा सकता हूं और ना ही सुबह-शाम देश के वेल्थ क्रिएटर्स को गाली दे सकता। 
इसलिए मैं कांग्रेस पार्टी के सभी पदों व प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफ़ा दे रहा हूं। गौरव वल्लभ को कांग्रेस ने राजस्थान विधानसभा चुनाव 2023 में उदयपुर सीट से मैदान में उतारा था। चुनाव में उनके लिए राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने चुनाव प्रचार किया था। चुनाव में वह भाजपा के ताराचंद जैन से 32 हजार से ज्यादा वोटों से हार गए थे। 

इससे पहले 2019 के झारखंड विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस ने गौरव वल्लभ को जमशेदपुर पूर्वी सीट से टिकट दिया था। कांग्रेस ने उन्हें पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास के खिलाफ मैदान में उतारा था। तब भी वह चुनाव में जीत नहीं पाए थे। 42 वर्षीय गौरव वल्लभ जोधपुर के रहने वाले हैं, लेकिन वह जमशेदपुर को अपनी कर्मभूमि मानते हैं। वह वित्तीय मामलों के अच्छे जानकार माने जाते हैं। 

इस्तीफे में लिखा, पार्टी के स्टैंड से असहज महसूस कर रहा हूं

कांग्रेस के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को लिखे अपने इस्तीफे में गौरव वल्लभ ने लिखा है कि भावुक हूं, मन व्यथित है। काफी कुछ कहना चाहता हूं, लिखना चाहता हूं। बताना चाहता हूं। लेकिन, मेरे संस्कार ऐसा कुछ भी कहने से मना करते हैं जिससे दूसरों को कष्ट पहुंचे। फिर भी मैं आज अपनी बातों को आपके समक्ष रख रहा हूं, क्योंकि मुझे लगता है कि सच को छुपाना भी अपराध है, और मैं अपराध का भागी नहीं बनना चाहता। 

मैं वित्त का प्रोफेसर हूं। कांग्रेस पार्टी की सदस्यता हासिल करने के बाद पार्टी ने राष्ट्रीय प्रवक्ता बनाया।  कई मुद्दों पर पार्टी का पक्ष दमदार तरीके से देश की महान जनता के समक्ष रखा, लेकिन पिछले कुछ दिनों से पार्टी के स्टैंड से असहज महसूस कर रहा हूं। 

जब मैंने कांग्रेस पार्टी ज्वाइन किया तब मेरा मानना था कि कांग्रेस देश की सबसे पुरानी पार्टी है, जहां पर युवा, बौद्धिक लोगों की, उनके आइडिया की क़द्र होती है।  लेकिन पिछले कुछ वर्षों में मुझे यह महसूस हुआ कि पार्टी का मौजूदा स्वरूप नये आइडिया वाले युवाओं के साथ ख़ुद को एडजस्ट नहीं कर पाती।

पार्टी का ग्राउंड लेवल कनेक्ट पूरी तरह से टूट चुका है, जो नये भारत की आकांक्षा को बिल्कुल भी नहीं समझ पा रही है। जिसके कारण न तो पार्टी सत्ता में आ पा रही और ना ही मज़बूत विपक्ष की भूमिका ही निभा पा रही हैं। इससे मेरे जैसा कार्यकर्ता हतोत्साहित होता है।

बड़े नेताओं और ज़मीनी कार्यकर्ताओं के बीच की दूरी पाटना बेहद कठिन है जो कि राजनैतिक रूप से जरूरी है। जब तक एक कार्यकर्ता अपने नेता को डायरेक्ट सुझाव नहीं दे सकता तब तक किसी भी प्रकार का सकारात्मक परिवर्तन संभव नहीं है। 
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कई लोग सनातन के विरोध में बोलते हैं

अपने इस्तीफे को लेकर लिखे पत्र में गौरव वल्लभ ने लिखा है कि, धर्म एव हतो हन्ति धर्मो रक्षति रक्षितः तस्माधर्मो न हन्तव्यो मा नो धर्मो हतोऽवधीत् ॥

उन्होंने लिखा है कि, अयोध्या में प्रभु श्रीराम की प्राण प्रतिष्ठा में कांग्रेस पार्टी के स्टैंड से मैं क्षुब्ध हूं। मैं जन्म से हिंदू और कर्म से शिक्षक हूं, पार्टी के इस स्टैंड ने मुझे हमेशा असहज किया, परेशान किया, पार्टी व गठबंधन से जुड़े कई लोग सनातन के विरोध में बोलते हैं, और पार्टी का उसपर चुप रहना, उसे मौन स्वीकृति देने जैसा है। इन दिनों पार्टी गलत दिशा में आगे बढ़ रही है। 
एक ओर हम जाति आधारित जनगणना की बात करते हैं, वहीं दूसरी ओर संपूर्ण हिंदू समाज के विरोधी नजर आ रहे हैं। यह कार्यशैली जनता के बीच पार्टी को एक खास धर्म विशेष के ही हिमायती होने का भ्रामक संदेश दे रही है। यह कांग्रेस के मूलभूत सिद्धांतों के खिलाफ है। 

आर्थिक मामलों पर वर्तमान समय में कांग्रेस का स्टैंड हमेशा देश के वेल्थ क्रिएटर्स को नीचा दिखाने का, उन्हें गाली देने का रहा है। आज हम उन आर्थिक उदारीकरण, निजीकरण व वैश्वीकरण (एलपीजी) नीतियों के खिलाफ हो गए हैं जिसको देश में लागू कराने का पूरा श्रेय दुनिया ने हमें दिया है। देश में होने वाले हर विनिवेश पर पार्टी का नज़रिया हमेशा नकारात्मक रहा। क्या हमारे देश में बिज़नेस करके पैसा कमाना ग़लत है ? 
जब मैंने पार्टी की सदस्यता ग्रहण की थी, उस वक्त मेरा ध्येय सिर्फ यही था कि आर्थिक मामलों में अपनी योग्यता व क्षमता का देशहित में इस्तेमाल करूंगा। हम सत्ता में भले नहीं हैं, लेकिन अपने मैनीफेस्टो से लेकर अन्य जगहों पर देशहित में पार्टी की आर्थिक नीति-निर्धारण को बेहतर तरीके से प्रस्तुत कर सकते थे। लेकिन, पार्टी स्तर पर यह प्रयास नहीं किया गया, जो मेरे जैसे आर्थिक मामलों के जानकार व्यक्ति के लिए किसी घुटन से कम नहीं है। 

उन्होंने लिखा है कि, पार्टी आज जिस प्रकार से दिशाहीन होकर आगे बढ़ रही है, उसमें मैं खुद को सहज महसूस नहीं कर पा रहा। मैं ना तो सनातन विरोधी नारे लगा सकता हूं और ना ही सुबह-शाम देश के वेल्थ क्रिएटर को गाली दे सकता हूं। इसलिए मैं कांग्रेस पार्टी के सभी पदों व प्राथमिक सदस्यता से भी इस्तीफा दे रहा हूं। 

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इस्तीफे के समय को लेकर उठ रहे हैं सवाल

कांग्रेस के तेजतर्रार प्रवक्ता रहे गौरव वल्लभ विभिन्न मंचों से कांग्रेस के पक्ष में बोलते रहे हैं। वह भाजपा और पीएम मोदी पर भी लगातार अपने बयानों से हमले करते रहे हैं। टीवी डिबेट हो या सोशल मीडिया वे कांग्रेस का पक्ष मजबूती से रखते रहे हैं। वह भाजपा और केंद्र सरकार के प्रमुख आलोचकों में गिने जाते रहे हैं। 
ऐसे में उनके इस्तीफे से कई सवाल उठ रहे हैं। सबसे बड़ा सवाल है कि लोकसभा चुनाव के बीच अचानक से उन्होंने इस्तीफा क्यों दिया और जो कमियां आज उन्हें कांग्रेस में दिख रही हैं वह क्या कुछ महीने पहले तक नहीं दिख रही थी। 
उन्हें कांग्रेस में तब भी कमियां नहीं दिखा थी जब कांग्रेस ने राजस्थान विधानसभा चुनाव 2023 में गौरव वल्लभ को उदयपुर सीट से मैदान में उतारा था। राजनैतिक विश्लेषकों का कहना है कि कांग्रेस की जो नीतियां आज है वही 2023 में भी थी, फिर भी उन्होंने उस समय इस्तीफा नहीं दिया था। 
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क़मर वहीद नक़वी
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