कांग्रेस के वरिष्ठ नेता
जयराम रमेश ने कथित तौर पर एफसीआरए का उल्लंघन करने के लिए प्रमुख थिंक टैंक सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च (सीपीआर) का
लाइसेंस निलंबित करने के लिए बुधवार को नरेंद्र मोदी सरकार की आलोचना की।
जयराम रमेश ने ट्वीट करते
हुए कहा कि 'एक टॉप रिसर्च इंस्टिट्यूट जो मई 2014 के बाद से
ही सत्ता का करीबी था, लेकिन अब
उसे उसकी स्वतंत्र सोच के लिए परेशान किया जा रहा है। श्री मोदी केवल उनके गुणगान
करने वालों को ही चाहते हैं, वे, उनकी नीतियों पर किसी भी तरह के सवाल उठाने वालों
को बर्दाश्त नहीं करेंगे, चाहे वे कितने भी पेशेवर क्यों न हो। यही नया
भारत है।
हिंदुस्तान टाइम्स में
छपी खबर में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च के
लाइसेंस को रद्द करने के पीछे का कारण एफसीआरए के कुछ प्रावधानों का पालन नहीं किया
जाना है। प्रथम दृष्टया साक्ष्यों के आधार पर सोमवार को निलंबन का आदेश दिया गया। लाइसेंस
रद्द किये जाने के बाद जांच की जाएगी, उसके बाद आगे की कार्रवाई पर निर्णय लिया जाएगा।
थिंक-टैंक सीपीआर और
ऑक्सफैम इंडिया पिछले साल सिंतंबर में हुए आयकर सर्वेक्षण के बाद से ही जांच के
दायरे में थे। यह 1973 से भारत की 21 वीं सदी की चुनौतियों पर ध्यान केंद्रित करने
के वाली रिसर्च में शामिल रहा है।
एफसीआरए लाइसेंस 180
दिनों तक के लिए निलंबित किए जा सकते हैं। इस
साल की शुरुआत में ही, 6,000 से अधिक एनजीओ के
लाइसेंस केंसिल कर दिए गये थे। इन्होंने सरकार के इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट
का दरवाजा खटखटाया था। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने उनकी याचिकाओं को खारिज कर
दिया था।
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