तिहाड़ जेल से रिहा होने के अगले ही दिन शुक्रवार को भीम आर्मी चंद्रशेखर आज़ाद दिल्ली के जामा मसजिद के बाहर पहुँच गए। वह वहाँ विवादास्पद नागरिकता क़ानून के ख़िलाफ़ प्रदर्शन में शामिल हुए। उनके साथ सैकड़ों समर्थक थे। गुरुवार को ही दिल्ली की एक अदालत ने उनको इस शर्त पर ज़मानत दी है कि वह चार हफ़्ते तक दिल्ली में नहीं रहेंगे। कोर्ट ने यह भी कहा कि चंद्रशेखर एक महीने तक कोई धरना-प्रदर्शन नहीं कर सकते हैं। अदालत ने दिल्ली में विधानसभा चुनाव को देखते हुए सुरक्षा के बारे में चिंता जताई थी।
लेकिन शुक्रवार को चंद्रशेखर आज़ाद न केवल दिल्ली के जामा मसजिद में पहुँचे, बल्कि उन्होंने बड़ी संख्या में मौजूद अपने समर्थकों को संबोधित भी किया। उन्होंने इस क़ानून के ख़िलाफ़ प्रदर्शन जारी रखने की बात कही। उन्होंने संविधान की प्रस्तावना को पढ़ा और नागरिकता क़ानून को 'काला क़ानून' क़रार देते हुए इसको रद्द करने की माँग की।
पुलिस का कहना है कि तिहाड़ जेल से रिहा होने के 24 घंटे में चंद्रशेखर को दिल्ली छोड़ना है। इस हिसाब से 24 घंटे की समय सीमा ख़त्म होने में अभी कुछ घंटे का समय बाक़ी है क्योंकि उन्हें गुरुवार शाम को ही रिहा किया गया है। 'एनडीटीवी' की रिपोर्ट के अनुसार पुलिस का कहना है कि चंद्रशेखर जामा मसजिद में कोई प्रदर्शन नहीं कर रहे हैं।
भीम आर्मी प्रमुख आज़ाद ने कहा, 'हम इस तानाशाही क़ानून के ख़िलाफ़ हैं और अंत तक इसका विरोध करेंगे। वे (सरकार) जो कर रहे हैं वह असंवैधानिक है, और हमें इसका विरोध करने का पूरा अधिकार है।'
जामा मसजिद के बाहर इकट्ठा हुए चंद्रशेखर के समर्थकों और भीम आर्मी के सदस्यों ने कहा कि वे एक माह तक दिल्ली में आज़ाद के प्रवेश पर पाबंदी को चुनौती देंगे। 'द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, जेएनयू के एक छात्र और भीम आर्मी के सदस्य जतिन गोरया ने कहा, 'आदेश में कहा गया कि जामा मसजिद पाकिस्तान में नहीं है, इसलिए आज़ाद वहाँ जा सकते हैं। लेकिन एक दिन बाद उन्होंने कहा कि वह शाहीन बाग़ नहीं जा सकते हैं और यह कि एक माह तक उन्हें सहारनपुर में रहना होगा। तो एक तरह से उन पर पाबंदी लगाई गई, उन्हें डिटेन किया गया। हम इसे हाई कोर्ट में चुनौती देंगे।'
बता दें कि दो दिन पहले यानी बुधवार को सुनवाई के दौरान इस कोर्ट ने पुलिस के ख़िलाफ़ सख्त टिप्पणी की थी। इसने कहा था कि 'आप ऐसे पेश आ रहे हैं जैसे जामा मसजिद पाकिस्तान में है। यदि यह पाकिस्तान में भी था तो आप वहाँ जाकर प्रदर्शन कर सकते थे। बँटवारे से पहले पाकिस्तान भी भारत का ही हिस्सा था।'
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