जांच एजेंसी सीबीआई शनिवार को दिल्ली सरकार के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के दिल्ली सचिवालय में स्थित दफ्तर पर पहुंची। सिसोदिया ने ट्वीट कर इस बात की जानकारी दी। सिसोदिया ने कहा कि जांच एजेंसी ने उनके घर और दफ्तर में छापे मारे थे, लॉकर की तलाशी ली थी और यहां तक कि उनके गांव में तक छानबीन की थी लेकिन उनके खिलाफ कुछ नहीं मिला था और न ही मिलेगा क्योंकि उन्होंने कुछ गलत नहीं किया है।
सिसोदिया ने कहा कि उन्होंने ईमानदारी से दिल्ली के बच्चों की शिक्षा के लिए काम किया है।
याद दिलाना होगा कि दिल्ली सरकार के द्वारा लाई गई और फिर वापस ली गई आबकारी नीति के मामले में बीते साल सीबीआई ने सिसोदिया के घर की तलाशी लेने के साथ ही बैंक के लॉकर को भी खंगाला था। ईडी ने भी इस मामले में कई जगहों पर छापेमारी की थी।
सीबीआई ने इस बात से इनकार किया कि उसने सिसोदिया के घर पर किसी तरह की छापेमारी की है। एजेंसी ने कहा है कि सीबीआई की टीम दस्तावेज लेने के लिए दिल्ली के उप मुख्यमंत्री के दफ्तर गई थी और यह कोई छापा नहीं था।
आम आदमी पार्टी ने ट्वीट कर कहा है कि सीबीआई ने अब तक यह नहीं बताया कि पिछली छापेमारी में उसे क्या मिला था।
नई आबकारी नीति को लेकर दिल्ली में पिछले कई महीनों तक जबरदस्त बवाल चला था। इस मामले में मनीष सिसोदिया के सहयोगी और कारोबारी दिनेश अरोड़ा सरकारी गवाह बने थे।
सीबीआई की एफआईआर
सीबीआई ने इस मामले में एफआईआर दर्ज की थी। एफआईआर में अमित अरोड़ा, दिनेश अरोड़ा और अर्जुन पांडे को उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया का करीबी सहयोगी बताया था। सीबीआई ने एफआईआर में आरोप लगाया था कि ये तीनों शराब लाइसेंस धारियों से इकट्ठा किए गए धन को मैनेज करने और इसे डाइवर्ट करने के काम में शामिल थे।
जबकि ईडी ने दावा किया था कि मनीष सिसोदिया सहित तीन दर्जन से अधिक वीआईपी लोगों ने कथित तौर पर डिजिटल सुबूतों को मिटाने के लिए 140 से अधिक मोबाइल फोन बदले थे।
जांच एजेंसी ईडी ने बीते साल दिसंबर में इस मामले में चार्जशीट दायर की थी और इसमें सिसोदिया के साथ ही तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव की बेटी के. कविता और आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह का नाम शामिल किया गया था।
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