दिल्ली के विधानसभा चुनाव में नेताओं की विषैली जुबान का असर परिवारों तक पहुंचने लगा है। दिल्ली की जनता के द्वारा चुनकर विधानसभा में भेजे गये विधायकों द्वारा निर्वाचित मुख्यमंत्री को आतंकवादी कहा जाएगा तो क्या यह उसके परिवार को नहीं अखरेगा। आम लोगों की तो इसे लेकर लगातार प्रतिक्रियाएं आ ही रही हैं। बात हो रही है, दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल की।
दिल्ली विधानसभा के चुनाव प्रचार में पहले पश्चिमी दिल्ली के बीजेपी सांसद प्रवेश वर्मा ने केजरीवाल को आतंकवादी कहा और उसके बाद केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि केजरीवाल के आतंकवादी होने के बहुत सबूत हैं। इस पर केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल ने बीजेपी नेताओं की आलोचना की है और कहा है कि लोग उन्हें मुंहतोड़ जवाब देंगे।
हर्षिता ने न्यूज़ एजेंसी एएनआई से बातचीत में कहा, ‘वे कहते हैं कि राजनीति गंदी है लेकिन यह गंदी राजनीति का नया स्तर है।’ हर्षिता ने सवाल पूछा, ‘क्या स्वास्थ्य सुविधाएं फ़्री करना आतंकवाद है, क्या बच्चों को पढ़ाना आतंकवाद है? क्या लोगों के लिये बिजली और पानी उपलब्ध कराना आतंकवाद है?’
जनता पर छोड़ा फ़ैसला: केजरीवाल
बीजेपी सांसद प्रवेश वर्मा ने कुछ दिन पहले दिल्ली में एक चुनावी जनसभा में कहा था, ‘दिल्ली में कई नटवरलाल और केजरीवाल जैसे आतंकवादी छुपे बैठे हैं। मुझे नहीं समझ आ रहा कि हमें कश्मीर के आतंकवादियों से लड़ना चाहिए या दिल्ली में केजरीवाल जैसे आतंकवादियों से।’केजरीवाल की बेटी हर्षिता ने न्यूज़ चैनल ‘आज तक’ से कहा कि अगर किसी के पिता दिन-रात मेहनत करें और उन्हें आतंकवादी कहा जाए तो उसे कैसा लगेगा।
सुनीता और हर्षिता ने कहा, ‘उन्हें (बीजेपी नेताओं को) आरोप लगाने दीजिये, उन्हें 200 सांसद और 11 मुख्यमंत्री लाने दीजिए। केवल हम नहीं, 2 करोड़ आम लोग भी आम आदमी पार्टी के लिये प्रचार कर रहे हैं। वे उन्हें 11 फ़रवरी को दिखा देंगे कि वे आरोपों के आधार पर वोट देते हैं या काम के आधार पर।’ हर्षिता ने बातचीत में यह भी कहा कि जब वह छोटी थीं तो उनके पिता उन्हें भगवद्गीता पढ़ाते थे।
सुनीता केजरीवाल ने कहा, ‘मुझे लगता है कि लोग उन्हें (बीजेपी नेताओं) मुंहतोड़ जवाब देंगे। हमारी शादी को 25 साल हो गये हैं। वह (अरविंद) हमेशा कहते हैं कि समाजसेवा उनका जूनून है। जो लोग अभी कुछ भी बोल रहे हैं वे भी जानते हैं कि वे झूठ बोल रहे हैं। या तो वे किसी दबाव में हैं या उनके पास ख़ुद की कोई पहचान नहीं है।’
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