दिल्ली में कोरोना वायरस टेस्ट को अब तीन गुना बढ़ाया जाएगा। इसके साथ ही अस्पतालों के बेड की कमी को पूरा करने के लिए ट्रेन के पाँच सौ डब्बे दिये जाएँगे जिसमें मरीज़ों का इलाज किया जाएगा। देश के गृह मंत्री अमित शाह ने दिल्ली के मुख्यमंत्री के साथ बैठक के बाद यह जानकारी दी। इसके साथ ही उन्होंने कहा, 'दिल्ली के निजी अस्पतालों में कोरोना संक्रमण के इलाज के लिए निजी अस्पतालों के कोरोना बेड में से 60% बेड कम रेट में उपलब्ध कराने, कोरोना उपचार व कोरोना की टेस्टिंग के रेट तय करने के लिए डॉ. पॉल की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई गयी है जो कल तक अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी।' गृह मंत्री ने इसको लेकर ट्वीट किया।
दिल्ली में कोरोना से संक्रमित मरीजों के लिए बेड की कमी को देखते हुए केंद्र की मोदी सरकार ने तुरंत 500 रेल्वे कोच दिल्ली को देने का निर्णय लिया है।
— Amit Shah (@AmitShah) June 14, 2020
इन रेलवे कोच से न सिर्फ दिल्ली में 8000 बेड बढ़ेंगे बल्कि यह कोच कोरोना संक्रमण से लड़ने के लिए सभी सुविधाओं से लेस होंगे।
दिल्ली में कोरोना टेस्ट के कम होने को लेकर दो दिन पहले ही अदालत द्वारा दिल्ली सरकार को फटकार लगाने के बाद हुई इस बैठक में यह फ़ैसला लिया गया है। कोरोना की स्थिति पर एक हफ़्ते में यह दूसरी बार है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री ने देश के गृहमंत्री अमित शाह के साथ बैठक की है। इसमें देश के स्वास्थ्य मंत्री से लेकर दिल्ली के लेफ्टिनेंट गवर्नर, उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, एम्स के निदेशक रणदीप गुलेरिया सहित कई मंत्री और उच्चाधिकारी शामिल हुए।
यह बैठक ऐसे समय में हुई है जब दिल्ली में संक्रमण काफ़ी तेज़ी से फैल रहा है। हाल के दिनों में कोरोना संक्रमण के क़रीब 1800-1900 केस आने लगे हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, अब तक दिल्ली में 38 हज़ार 958 संक्रमण के मामले आ चुके हैं और 1271 लोगों की मौत हुई है। एक सरकारी पैनल ने ही अनुमान लगाया है कि दिल्ली में इस महीने के आख़िर में 1 लाख तक कोरोना के मामले आ सकते हैं और हाल में दिल्ली के उप मुख्यमंत्री ने कहा था कि जुलाई के आख़िर में क़रीब 5.5 लाख तक मामले आ सकते हैं। यह काफ़ी चिंता करने वाली स्थिति है।
तीन दिन पहले ही मनीष सिसोदिया ने कहा था, ‘15 जून तक कोरोना संक्रमण के 44 हज़ार मामले हो जाएँगे और क़रीब 6, 600 बेड की आवश्यकता होगी, 30 जून तक मामले 1 लाख तक पहुँच जाएँगे और 15 हज़ार बेड की आवश्यकता होगी, 15 जुलाई तक क़रीब सवा दो लाख तक मामले हो जाएँगे और 33 हज़ार बेड की ज़रूरत होगी और 31 जुलाई तक दिल्ली में क़रीब साढ़े पाँच लाख केस पहुँच जाएँगे और इसके लिए 80 हज़ार बेड की ज़रूरत होगी।’
दो दिन पहले ही दिल्ली में कोरोना संक्रमण, जाँच व्यवस्था, अस्पतालों की हालत पर 'भयावह और दयनीय' स्थिति कहकर सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार की खिंचाई की थी।
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा था कि राजधानी में कोरोना के मरीजों का इलाज जानवरों से भी बदतर ढंग से हो रहा है। शीर्ष अदालत की तीन जजों की बेंच ने कोरोना मरीजों के इलाज में हो रही लापरवाहियों का स्वत: संज्ञान लिया है। बेंच में शामिल जस्टिस एम.आर. शाह ने कहा, ‘एक मामले में तो शव कूड़ेदान में मिला। यह क्या हो रहा है।’
अदालत ने अरविंद केजरीवाल सरकार से कहा कि वह कोरोना वायरस की टेस्टिंग कम क्यों हो रही है, इस बारे में जवाब दे। शीर्ष अदालत ने कहा, ‘आपकी टेस्टिंग हर दिन 7 हज़ार से नीचे होते हुए 5 हज़ार तक क्यों चली गई जबकि मुंबई और चेन्नई ने अपनी टेस्टिंग को 16 हज़ार से 17 हज़ार तक बढ़ा दिया है।’ अदालत ने दिल्ली सरकार और दिल्ली के एलएनजेपी अस्पताल को नोटिस जारी किया है और जवाब माँगा है।
बता दें कि लेफ्टिनेंट गवर्नर अनिल बैजल ने इस सप्ताह की शुरुआत में ही दिल्ली सरकार के उस आदेश को रद्द कर दिया था जिसमें केंद्र सरकार के अस्पतालों को छोड़कर दिल्ली के सभी अस्पतालों को राज्य के निवासियों के लिए आरक्षित कर दिया था। उन्होंने केवल कोविड-19 के लक्षण वाले लोगों की जाँच के निर्णय को भी उलट दिया था और कहा था कि बिना लक्षण वाले मामले का भी परीक्षण किया जाएगा।
अपनी राय बतायें