आगामी दिल्ली चुनाव से पहले रोहिंग्या और अवैध बांग्लादेशी प्रवासियों के मुद्दे पर बीजेपी और आम आदमी पार्टी आपस में उलझ रही हैं। दोनों दल मुद्दे को लपकने की कोशिश में हैं और अब इसी बीच दिल्ली के स्कूली बच्चों को भी इसमें घसीट लिया गया लगता है। दिल्ली सरकार ने स्कूलों से कहा कि वे 'अवैध बांग्लादेशी प्रवासी' बच्चों के नामांकन को रोकें। इसने कहा है कि किसी छात्र की नागरिकता की स्थिति के बारे में कोई भी संदेह होने पर पुलिस और अन्य अधिकारियों को सूचित करें।
सरकार ने दिल्ली के स्कूलों से क्या कहा है, यह जानने से पहले यह जान लीजिए कि आख़िर कथित अवैध बांग्लादेशी प्रवासियों के मुद्दे पर बीजेपी और आप के बीच क्या राजनीति चल रही है। दरअसल, बीजेपी और आम आदमी पार्टी दोनों ही दल कथित अवैध बांग्लादेशी प्रवासियों वह रोहिंग्या के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने में लगे हैं और एक दूसरे को उनका हितैशी होने का आरोप लगा रहे हैं।
मुख्यमंत्री आतिशी ने एक्स पर केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी द्वारा रोहिंग्या प्रवासियों को ईडब्ल्यूएस फ्लैट दिए जाने के बारे में 2022 की पोस्ट के साथ आदेश की एक तस्वीर पोस्ट की। अपनी पोस्ट में उन्होंने कहा, 'एक तरफ भाजपा के नेता हैं, जो रोहिंग्या को बांग्लादेश से सीमा पार करवाकर दिल्ली लाते हैं और उन्हें दिल्लीवासियों के लिए ईडब्ल्यूएस फ्लैट और सुविधाएं देते हैं। दूसरी तरफ, दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार है जो यह सुनिश्चित करने के लिए हर संभव कदम उठा रही है कि रोहिंग्या को दिल्लीवासियों का अधिकार न मिले।'
उन्होंने आगे कहा, 'आज दिल्ली सरकार के शिक्षा विभाग ने सख्त आदेश पारित किया है कि दिल्ली के सरकारी स्कूलों में किसी भी रोहिंग्या को प्रवेश नहीं दिया जाना चाहिए।' उन्होंने कहा कि हम दिल्ली के लोगों के अधिकारों को छीनने नहीं देंगे।
हम किसी हालत में बीजेपी को दिल्ली में रोहिंग्यों को नहीं बसाने देंगे। दिल्ली के ग़रीबों के फ्लैट, उनके रोज़गार, उनके हक़ की सुविधाएं किसी हालत में बीजेपी को रोहिंग्यों को नहीं देने देंगे। https://t.co/8ZPWjMIRDS
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) December 23, 2024
हालाँकि पुरी ने बाद में साफ़ किया था कि किसी भी रोहिंग्या प्रवासी को दिल्ली में घर नहीं दिया गया। गृह मंत्रालय ने पोस्ट के बाद अपनी स्थिति स्पष्ट की थी और कहा था कि उनके निर्वासन का मामला संबंधित देश के साथ उठाया गया है।
पूर्व मुख्यमंत्री और आप के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने भी एक्स पर कहा, 'हम किसी भी हालत में भाजपा को रोहिंग्या को दिल्ली में बसाने की अनुमति नहीं देंगे। हम उन्हें किसी भी हालत में दिल्ली के गरीबों के फ्लैट, रोजगार और सुविधाएं रोहिंग्या को देने की अनुमति नहीं देंगे।'
आम आदमी पार्टी की नेता प्रियंका कक्कड़ दिल्ली में रोहिंग्या के मुद्दे पर बीजेपी को घेरने की कोशिश कर रही हैं तो बीजेपी भी रोहिंग्या के मुद्दे पर आम आदमी पार्टी को निशाना बना रही है।
कक्कड़ ने कहा कि देश में अगर रोहिंग्या हैं तो यह केन्द्र सरकार की जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि दिल्ली के संसाधन पर सिर्फ दिल्ली वाले का हक है और किसी भी रोहिंग्या को हक नहीं है।
बीजेपी नेता प्रवेश वर्मा ने कहा कि बांग्लादेशी और रोहिंग्या कांग्रेस, टीएमसी और आप को समर्थन करते हैं। उन्होंने कहा कि दिल्ली पुलिस ने रैकेट का भंडाफोड़ किया है और ये रोहिंग्या व बांग्लादेशी आम आदमी पार्टी के लिए काम करते हैं। उन्होंने आरोप लगाया है कि आम आदमी पार्टी साजिश कर रही है।
बीजेपी सांसद मनोज तिवारी ने कथित बांग्लादेशी घुसपैठियों और रोहिंग्याओं के मुद्दे पर कहा, 'इन लोगों के खिलाफ देशद्रोह का मामला दर्ज होना चाहिए और इन्हें बख्शा नहीं जाना चाहिए। जिस तरह से अरविंद केजरीवाल अवैध घुसपैठियों के मतदान को रोकने के लिए चुनाव आयोग गए हैं, हमें पूरा विश्वास है कि इस गिरोह के तार अरविंद केजरीवाल और उनके विधायकों से जरूर जुड़े होंगे।'
इस बीच, अब सरकार ने 'अवैध बांग्लादेशी प्रवासी' बच्चों के नामांकन को रोकने को कहा है। द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार उप शिक्षा निदेशक (स्कूल) संजय सुभाष कुमार द्वारा हस्ताक्षरित एक परिपत्र में कहा गया है, 'स्कूलों को सख्त प्रवेश प्रक्रिया सुनिश्चित करनी चाहिए, अवैध बांग्लादेशी प्रवासियों के नामांकन को रोकने के लिए छात्रों के दस्तावेजों का सत्यापन करना चाहिए, विशेष रूप से अवैध बांग्लादेशी प्रवासियों के अनधिकृत प्रवेश का पता लगाने और रोकने के लिए अधिक जांच की जानी चाहिए।' इस परिपत्र में सरकार, सरकारी सहायता प्राप्त और गैर-सहायता प्राप्त मान्यता प्राप्त निजी स्कूलों के प्रमुखों को संबोधित किया गया है।
परिपत्र में कहा गया है कि सभी स्कूलों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि प्रवासी बच्चों को स्कूलों में प्रवेश देते समय सभी ज़रूरी दस्तावेज जमा किए गए हैं, सत्यापित किए गए हैं। हालाँकि सर्कुलर में उन दस्तावेजों का उल्लेख नहीं है जो एक छात्र या उसके माता-पिता को यह साबित करने के लिए पेश करने होंगे कि वे देश में कानूनी रूप से रह रहे हैं।
रिपोर्ट के अनुसार शिक्षा उपनिदेशकों (जिला और जोन) को उन सभी मामलों के बारे में साप्ताहिक रिपोर्ट पेश करने के लिए भी कहा गया है, जहां किसी छात्र की नागरिकता की स्थिति सत्यापित नहीं है। दिल्ली सरकार ने द इंडियन एक्सप्रेस के सवालों का जवाब नहीं दिया।
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