जैसे भड़काऊ भाषण और बयानबाज़ी से दिल्ली हिंसा भड़की वैसे भड़काऊ नारे और गतिविधियाँ हिंसा के बाद भी जारी रही। क्या इसकी कल्पना की जा सकती है कि जिस हिंसा में लगातार मौतें हो रही हों उसी बीच आपत्तिजनक नारे लगे और रैलियाँ निकले! वह भी एक चुने हुए प्रतिनिधि द्वारा। एक विधायक द्वारा। इस मामले में सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ है जिसमें दिख रहा है कि नये-नये चुने गए बीजेपी विधायक अभय वर्मा रैली निकाल रहे हैं। एक ट्वीट में वीडियो के साथ दावा किया गया है कि वह लक्ष्मी नगर के मंगल बाज़ार से अपने समर्थकों के साथ मार्च कर रहे हैं। वीडियो में साफ़ सुना जा सकता है कि इसमें भड़काऊ नारे लगाए जा रहे हैं। यह काफ़ी आपत्तिजनक है। ऐसे में जब हिंसा बढ़ती जा रही हो तो ऐसे नारे लगाने और लगवाने वाले के ख़िलाफ़ क्या कार्रवाई नहीं होनी चाहिए? सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को ही एक मामले में सुनवाई के दौरान संकेत दिए हैं कि भड़काऊ नारे और बयानबाज़ी करने वाले नेताओं को गिरफ़्तार किया जाना चाहिए।
यह हिंसा जाफराबाद-मौजपुर-करावल नगर में हुई है। इसमें 20 लोग मारे गए हैं और 250 से ज़्यादा घायल हुए हैं। इसमें एक पुलिसकर्मी की भी मौत हो गई है। अब जो वीडियो वायरल हुआ है उसमें उसी पुलिसकर्मी की मौत को लेकर भड़काऊ नारे लगाए जा रहे हैं। वीडियो में इन नारों को लगाते सुना जा सकता है- 'पुलिस के हत्यारों को... गोली मारो ... को' और 'जो हिंदू हित की बात करेगा... वही देश पर राज करेगा'। इसके साथ ही 'वंदे मातरम', हमारा विधायक कैसा हो... अभय वर्मा जैसा हो', एक ही नारा एक ही नाम... जय श्री राम जय श्री राम' नारे लगाए जा रहे हैं।
Challenge all media organisations - newspapers & channels to write/telecast that a newly elected MLA was leading this mob
— Nagendar Sharma (@sharmanagendar) February 25, 2020
Challenge all liberal handles to demand his arrest from Amit Shah
If you can't... then stop sermonising on what is happening in Delhi... https://t.co/LdI6NlwECC
इस विधायक वाले वीडियो में जो नारा 'पुलिस के हत्यारों को... गोली मारो ... को' लगाया जा रहा है बिल्कुल वैसा ही नारा दिल्ली चुनाव के दौरान बीजेपी नेता और केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने भी लगाया था। तब उन्होंने चुनावी रैली में नारा लगाया था- 'देश के गद्दारों को...' इस पर भीड़ ने '...गोली मारो... को' बोलकर इस नारे को पूरा किया था। चुनाव आयोग ने मामूली कार्रवाई भी की थी। इसके बाद बीजेपी के कई नेता ऐसे भी भड़काऊ बयानबाज़ी करते सुने गए थे। प्रवेश वर्मा ने नागरिकता क़ानून के ख़िलाफ़ प्रदर्शन करने वालों के बारे में कहा था कि 'ये लोग घरों में घुसेंगे और बहन व बेटियों का रेप करेंगे।'
लेकिन इन पर बीजेपी की ओर से कोई कार्रवाई नहीं हुई। चुनाव के बाद ख़ुद अमित शाह ने माना था कि ऐसे नफ़रत वाले बयानों से नुक़सान हुआ।
ज़ाहिर है कार्रवाई नहीं होने से बीजेपी नेताओं में इसको लेकर कोई डर नहीं है। तभी हिंसा को लेकर भड़काऊ बयान आ रहे हैं। हिंसा शुरू होने से एक दिन पहले ही यानी रविवार को भी ऐसा एक 'भड़काऊ' भाषण दिया गया था।
सड़क पर बैठ कर किया जा रहा यह प्रदर्शन रविवार को तब तक शांतिपूर्ण था जब तक कि बीजेपी नेता कपिल मिश्रा ने प्रदर्शनकारियों के विरोध में वहाँ नागरिकता क़ानून के समर्थन में रैली नहीं निकाली थी। मिश्रा ने अपने समर्थकों के साथ जब रैली निकाली तो उस दौरान नागरिकता क़ानून का विरोध करने वालों के साथ झड़प हुई। दोनों ओर से पत्थरबाज़ी हुई। मिश्रा ने वीडियो जारी किया और फिर प्रदर्शनकारियों को धमकी भी दी थी। इस वीडियो में दिख रहा है कि एक पुलिस अफ़सर के बगल में खड़े कपिल मिश्रा वहाँ पर धमकी देते हैं। वह पुलिस अफ़सर को संबोधित करते हुए कहते हैं, '...आप सबके (समर्थक) बिहाफ़ पर यह बात कह रहा हूँ, ट्रंप के जाने तक तो हम शांति से जा रहे हैं लेकिन उसके बाद हम आपकी भी नहीं सुनेंगे यदि रास्ते खाली नहीं हुए तो... ठीक है?'
अब हिंसा काफ़ी फैल चुकी है और नया वीडियो आया है। इसमें बीजेपी के नेता ही रैली निकालते दिख रहे हैं। तो बीजेपी इन पर कार्रवाई करती क्यों नहीं दिख रही है?
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