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दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) के चुनाव के बीच ही दिल्ली की एंटी करप्शन ब्रांच यानी एसीबी ने बड़ी कार्रवाई की है। एसीबी ने एमसीडी चुनाव में टिकट के बदले पैसे मांगने के आरोप में बुधवार को आम आदमी पार्टी के विधायक अखिलेश पति त्रिपाठी के साले समेत तीन लोगों को गिरफ्तार किया है। न्यूज़ एजेंसी एएनआई के मुताबिक, आम आदमी पार्टी की कार्यकर्ता शोभा खारी ने पार्टी से एमसीडी चुनाव में टिकट देने की मांग की थी।
उनके पति गोपाल खारी ने आरोप लगाया है कि विधायक त्रिपाठी ने टिकट देने के बदले 90 लाख रुपए देने की मांग की। गोपाल खारी ने इस मामले में दी शिकायत में कहा है कि उन्होंने अखिलेश पति त्रिपाठी को 35 लाख जबकि वजीरपुर सीट से आम आदमी पार्टी के विधायक राजेश गुप्ता को 20 लाख रुपए रिश्वत के तौर पर दिए।
अखिलेश पति त्रिपाठी दिल्ली की मॉडल टाउन सीट से विधायक हैं। इस मामले में विधायक अखिलेश पति त्रिपाठी और राजेश गुप्ता को पूछताछ के लिए एसीबी जल्द ही समन भेज सकती है।
एमसीडी के चुनाव के लिए 4 दिसंबर को मतदान होगा और नतीजे 7 दिसंबर को आएंगे।
गोपाल खारी ने शोभा खारी के लिए वार्ड 69 कमला नगर से टिकट मांगा था। गोपाल खारी ने कहा है कि वह आम आदमी पार्टी से 2014 से जुड़ा है। उसने पुलिस को दी शिकायत में कहा है कि वह 9 नवंबर को विधायक अखिलेश पति त्रिपाठी से मिला था और अपनी पत्नी के लिए टिकट मांगा था।
गोपाल खारी ने शिकायत में आगे कहा है कि अखिलेश पति त्रिपाठी ने टिकट के लिए 90 लाख रुपए की रिश्वत मांगी। इस पर गोपाल खारी ने विधायक के निर्देश के मुताबिक 35 लाख रुपए उसके एक आदमी को दे दिए और 20 लाख रुपए दूसरे विधायक राजेश गुप्ता को दिए गए।
गोपाल खारी ने दावा किया है कि उसने विधायक त्रिपाठी से कहा कि वह बचे हुए 35 लाख रुपए टिकट मिलने के बाद देगा। लेकिन 12 नवंबर को जब किसी और शख्स को टिकट मिल गया तो विधायक के रिश्तेदार ओम सिंह ने गोपाल खारी से संपर्क किया और वादा किया कि उन्हें अगले चुनाव में जरूर टिकट मिलेगा और उनका पैसा लौटा दिया जाएगा।
गोपाल खारी ने इसकी ऑडियो और वीडियो रिकॉर्डिंग पुलिस को सौंप दी है। इसके 3 दिन बाद पुलिस और एसीबी के लोगों ने गोपाल खारी के घर पर जाल बिछाया और यहां पर तीनों लोगों को 33 लाख रुपए के साथ रंगे हाथों पकड़ लिया। ये लोग इस रकम को लौटाने के लिए आए थे। इसके बाद एसीबी ने प्रीवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट के तहत मुकदमा भी दर्ज कर लिया।
एसीबी की कार्रवाई के तुरंत बाद दिल्ली में बीजेपी के सांसद रमेश बिधूड़ी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की। उन्होंने कहा कि जो लोग टिकट बांटते वक्त 90 लाख रुपए लेंगे, वह जनप्रतिनिधि जनता की क्या सेवा करेंगे। उन्होंने कहा कि अरविंद केजरीवाल एक वक्त में राइट टू रिकॉल की बात कहते थे और अब वह अपने विधायक अखिलेश पति त्रिपाठी के बारे में क्या फैसला लेंगे, इसका इंतजार है। बिधूड़ी ने आरोप लगाया कि यह सिर्फ एक मामला नहीं है, एमसीडी के चुनाव में आम आदमी पार्टी ने 90 फीसद से ज्यादा टिकट 70 लाख से 1 करोड़ रुपए में बेची हैं।
इस मामले में आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने कहा है कि आम आदमी पार्टी कभी भी किसी भी दोषी को बचाने के लिए न खड़ी थी और न रहेगी। उन्होंने कहा कि इस मामले में जांच होनी चाहिए, किसी को अनावश्यक तंग न किया जाए और जो भी दोषी पाया जाए, उसे सख्त से सख्त सजा दी जाए। जबकि उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा है कि बीजेपी इस बात को जानती है कि वह एमसीडी का चुनाव हार रही है और आम आदमी पार्टी जीत रही है। उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी में उम्मीदवारों की बड़ी तादाद थी और इस घटनाक्रम से पता चलता है कि पैसे का लेन-देन होने के बाद भी उस शख्स को टिकट नहीं मिला और यह साफ हो गया है कि आम आदमी पार्टी में टिकट नहीं बिकता।
इस मामले में दो वीडियो भी सामने आए हैं। हालांकि इन वीडियो की पुष्टि नहीं की गई है।
पहले वीडियो में एक शख्स कहता है कि विधायक जी से मेरी बात हुई थी अखिलेश भाई से, आप भैया को बोल देना सामान पहुंच गया है, मैं उधर बोल देता हूं।
दूसरे वीडियो में दिख रहे एक शख्स को आप विधायक अखिलेश पति त्रिपाठी का सहयोगी बताया जा रहा है। उसे वीडियो में कैश को गिनते हुए दिखाया गया है। इस वीडियो में एक शख्स किसी को फोन पर ओम कहकर पुकारता है और कहता है कि वह प्रिंस से बात कर ले। प्रिंस ओम से कहता है कि ये लोग दो लाख रुपए कम बता रहे हैं। इस दौरान पूछने पर कि यह कितने पैसे हैं, प्रिंस कहता है कि यह 33 लाख हैं तो दूसरी ओर से फोन पर बात करने वाला शख्स कहता है कि अगर कुछ ऐसा है तो वह कल इसे दिखवा लेगा। यहां से एक शख्स कहता है कि विधायक जी को बता देना कि 2 लाख कम हैं और यह 33 लाख रुपए हैं।
एमसीडी का चुनाव जीतने के लिए बीजेपी, आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के अलावा छोटे दलों ने भी पूरी ताकत झोंक दी है। लेकिन मुख्य मुक़ाबला बीजेपी और आम आदमी पार्टी के बीच माना जा रहा है।
2017 में जब एमसीडी के 272 वार्डों में चुनाव हुआ था तो बीजेपी को 181 वार्डों में जीत मिली थी जबकि आम आदमी पार्टी को 48, कांग्रेस को 30 और अन्य को 11 वार्डों पर जीत मिली थी।
साल 2012 तक दिल्ली में एकीकृत नगर निगम था लेकिन दिल्ली की तत्कालीन शीला दीक्षित सरकार ने इसे उत्तरी, दक्षिणी और पूर्वी नगर निगमों में बांट दिया था। लेकिन केंद्र सरकार ने इसे फिर से एक कर दिया है और वार्डों के परिसीमन के बाद अब एमसीडी में 250 वार्ड बनाए गए हैं।
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