विधायक दुर्गेश पाठक ने आरोप लगाया कि उपराज्यपाल सक्सेना 1400 करोड़ के घोटाले में शामिल हैं।
पार्टी के प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज ने कहा कि बीजेपी कहती है कि जांच में क्या दिक्कत है इसलिए आम आदमी पार्टी मांग कर रही है कि उपराज्यपाल पर लगे आरोपों की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए।
क्या है मामला?
आम आदमी पार्टी की विधायक अतिशी मारलेना ने विधानसभा परिसर में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि जब देश नोटबंदी के दौरान लाइनों में लगा था तब उपराज्यपाल सक्सेना खादी और ग्रामोद्योग आयोग के तत्कालीन चेयरमैन थे और वह काले धन को सफेद बनाने में लगे थे।
आतिशी ने कहा कि आयोग के कैशियर संजीव कुमार और प्रदीप यादव ने बयान दिया है कि सक्सेना ने तबादले की धमकी देकर पुराने नोटों को नए नोटों में बदलवाया।
विधायक दुर्गेश पाठक ने कहा कि सीबीआई ने इस मामले में मुकदमा भी दर्ज किया था लेकिन उपराज्यपाल के नाम को एफआईआर में शामिल नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि उपराज्यपाल के घर पर छापेमारी भी नहीं की गई और पूरे मामले को दबा दिया गया। जबकि विधायक भारद्धाज ने कहा कि दोनों कैशियर ने कहा है कि खादी विभाग के दो अधिकारियों अजय गुप्ता और एके गर्ग ने उन्हें डराया कि ये पैसा विनय सक्सेना का है।
ऑपरेशन लोटस का आरोप
दूसरी ओर, बीजेपी और आम आदमी पार्टी के बीच घमासान जारी है। आम आदमी पार्टी ने बीते कई दिनों में लगातार प्रेस कॉन्फ्रेंस कर आरोप लगाया है कि बीजेपी उसके विधायकों को खरीदने की कोशिश कर रही है। आम आदमी पार्टी की ओर से कहा गया था कि उसके 4 विधायकों को 20-20 करोड़ रुपए का ऑफर दिया गया।
आम आदमी पार्टी का कहना है कि दिल्ली में बीजेपी का ऑपरेशन लोटस फेल हो गया है।
विधायक सौरभ भारद्वाज ने कहा था कि बीजेपी वाले 20-20 करोड़ देकर 40 विधायकों को तोड़ना चाहते थे। उन्होंने पूछा कि इनके पास 800 करोड़ का काला धन कहां से आया। क्या सीबीआई और ईडी इसकी जांच करेंगी?
उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा था कि बीजेपी की ओर से उन्हें ऑफर आया है कि अगर वह आम आदमी पार्टी छोड़कर बीजेपी में आ जाएं तो उनके खिलाफ दर्ज सभी मुकदमों को खत्म कर दिया जाएगा।
बता दें कि पिछले कई महीने से दिल्ली में नई आबकारी नीति को लेकर बीजेपी और आम आदमी पार्टी के बीच घमासान चल रहा है। कांग्रेस भी इस मामले में आम आदमी पार्टी पर हमलावर है।
दिल्ली में मजबूत है आप
भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन से निकली आम आदमी पार्टी ने पिछले तीन चुनावों में दिल्ली में बीजेपी को धूल चटाई है। 2013 के विधानसभा चुनाव के बाद आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बनाई थी जबकि 2015 और 2020 के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को अपने दम पर बड़ी जीत मिली थी। 2015 के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को 70 सदस्यों वाली दिल्ली में 67 सीटों पर जीत मिली थी जबकि 2020 में यह आंकड़ा 62 सीटों का था।
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