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‘आप’ ही जाने कहाँ चले गए दिल्ली के 30 लाख वोटर?

फ़ोन की घंटी बजती है। फ़ोन उठाने वाले व्यक्ति को दूसरी तरफ़ से यह सूचना दी जाती है कि उसका नाम वोटर लिस्ट से काट दिया गया है। यह भी बताया जाता है कि यह काम बीजेपी ने कराया है। इतना ही नहीं, फ़ोन करने वाला व्यक्ति यह भी बताता है कि मैं आम आदमी पार्टी (आप) से बोल रहा हूँ। 

नाम जोड़ने का दे रहे ‘भरोसा’

फ़ोन करने वाला व्यक्ति (आम आदमी पार्टी का कथित वालंटियर) आगे कहता है, आप चिंता मत कीजिए, हम आपका नाम वोटर लिस्ट में शामिल कराने की पूरी कोशिश कर रहे हैं। आपका नाम ज़रूर वोटर लिस्ट में जुड़ जाएगा और यह आम आदमी पार्टी के प्रयासों से ही होगा। फ़ोन सुनने वाला व्यक्ति आम आदमी पार्टी के कथित वालंटियर को फरिश्ता मान बैठता है और साथ ही उसके दिलो-दिमाग में यह बात अंदर तक पैठ कर लेती है कि सिर्फ़ 'आप' ही उसकी हितैषी है। 

आम आदमी पार्टी के ‘कथित’ वालंटियर का फ़ोन आने के बाद कुछ लोगों को शक हुआ। चूँकि चुनाव आयोग की तरफ़ से आजकल यह प्रचार किया जा रहा है कि आप ड्राफ़्ट लिस्टों में अपने नाम की जाँच कर लें। इसलिए कुछ लोगों ने इसकी जाँच की। तब पता चला कि उनका नाम तो वोटर लिस्ट में शामिल है यानी कटा ही नहीं।

नहीं कटा था नाम

ज़ाहिर है कि आम आदमी पार्टी के नाम से जो फ़ोन किया गया था, वह एक धोखा था। गाँधी नगर के चाँद मुहल्ले में रहने वाली संगीता गुप्ता के पास ऐसा ही फ़ोन आया और अमर मुहल्ले के संतोष झा के पास भी। दोनों ने चेक किया तो उनका नाम नहीं कटा था। मजे की बात यह है कि जब उन्होंने उस नंबर पर संपर्क करने की कोशिश की तो वह फ़ोन नंबर अस्तित्व (नॉट एग्जिस्ट) में ही नहीं था। इन लोगों ने बीजेपी के रघुबरपुरा के निगम पार्षद श्यामसुंदर अग्रवाल की मार्फ़त गाँधी नगर थाने में शिकायत दी है। 

बीजेपी के विधायक मनजिंदर सिंह सिरसा ने भी ऐसी ही शिकायत तिलक नगर थाने में दर्ज कराई है। उन्होंने भी राजौरी गार्डन के उन लोगों के नाम शिकायत में दिए हैं, जिन्हें ऐसे ही फ़ोन आए। जब उन लोगों ने चेक किया तो वोटर लिस्ट में नाम मौजूद थे। हैरानी की बात यह है कि ऐसे फ़ोन या तो वैश्य समाज को या मुसलमानों को या फिर पूर्वांचल के लोगों को ही आ रहे हैं।

आम आदमी पार्टी का कहना है कि हम किसी को फ़ोन नहीं कर रहे हैं और हमें नहीं मालूम कि ऐसा कौन कर रहा है। पार्टी का कहना है कि वह तो उन लोगों के कैम्प लगा रही है जिनके नाम कटे हैं।

कितने वोटर हैं दिल्ली में?

अब एक अहम सवाल यह है कि दिल्ली में कुल कितने वोटर हैं और कितने लोगों का नाम लिस्ट से कट गया है। चुनाव आयोग के ताज़ा आँकड़ों के हिसाब से दिल्ली में 1 करोड़ 36 लाख, 95 हजार 291 वोटर हैं। यह आँकड़ा पहली जनवरी 2019 के आधार पर है। पिछले साल पहली जनवरी को जब वोटर लिस्टों का रिवीजन हुआ था तो दिल्ली के वोटरों की तादाद 1 करोड़ 38 लाख 14 हजार 866 थी। 

ज़ाहिर है कि पिछले एक साल में 30 लाख नहीं बल्कि एक लाख 19 हजार 575 वोट ही कम हुए हैं। चुनाव आयोग का दावा है कि उसके पास हर वोट के जुड़ने और नाम हटने का दस्तावेज़ी सबूत है। अब सवाल यह है कि आम आदमी पार्टी ने कैसे यह आरोप लगा दिया कि दिल्ली में 30 लाख वोटर कम हो गए हैं। इसका हाल भी 2-जी घोटाले जैसे आरोपों का ही लगता है। 

ग़लत है ‘आप’ का गणित

आम आदमी पार्टी का कहना है कि दिल्ली में हर साल 10 लाख वोटर बढ़ जाते हैं। इनमें से 5-6 लाख लोग तो हर साल बाहर से दिल्ली आते हैं और क़रीब 4 लाख लोग ऐसे हैं जो हर पहली जनवरी को 18 साल का होने के कारण नए वोटर बन जाते हैं। 2014 के लोकसभा चुनावों के वक़्त दिल्ली के वोटरों की तादाद एक करोड़ 19 लाख 32 हजार 69 थी। आम आदमी पार्टी के हिसाब से अब तक लगभग 50 लाख वोटर और जुड़ने चाहिए थे जबकि लगभग 15 लाख वोटर ही और जुड़े हैं। इसका मतलब यह है लगभग 30 लाख नाम कट गए। अब वे कौन लोग हैं जिनके नाम कटे, यह सिर्फ़ आम आदमी पार्टी ही जानती है।

आम आदमी पार्टी के इस प्रचार के खिलाफ बीजेपी कोर्ट में भी गई है और अब अदालत भी समझना चाहती है कि आख़िर बीजेपी कैसे किसी का नाम कटवा सकती है और आम आदमी पार्टी कैसे उसे शामिल करा सकती है। 

फ़ोन कॉल को भ्रामक बताया

इस मामले में विवाद बढ़ने के बाद दिल्ली के मुख्य चुनाव अधिकारी ने ट्वीट किया कि दिल्ली के लोगों के पास वोटर लिस्ट से नाम कटने को लेकर आ रहे फ़ोन कॉल पूरी तरह भ्रामक हैं। मतदाताओं से मतदाता हेल्पलाइन नंबर पर कॉल करने व कुछ अन्य उपाय बताए गए हैं, जिससे वह अपने नाम की जाँच कर सकते हैं।

इस पर जवाब देते हुए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सवाल पूछा कि क्या तेलंगाना में कैसे 22 लाख नाम कट गए? मशहूर खिलाड़ी ज्वाला गुट्टा और उनके परिवार का नाम कैसे कट गया जबकि चुनाव आयोग की वेबसाइट पर वोटर लिस्ट में उनका नाम था। 

केजरीवाल ने अगले ट्वीट में कहा, 'चुनाव आयोग ने हमें 4 साल में काटे गए 24 लाख लोगों की लिस्ट दी थी। दिल्ली सरकार ने वोटर लिस्ट से हटाए गए नामों की जाँच की और ग़लती पकड़ ली। लेकिन चुनाव आयोग उन ऑफ़िसर को बचाने की कोशिश कर रहा है।' केजरीवाल ने कहा कि जो तेलंगाना में हुआ वह हम दिल्ली में नहीं होने देंगे। 

केजरीवाल ने एक और ट्वीट कर कहा कि चुनाव आयोग हमारे लोकतंत्र का अहम स्तंभ है और इसे किसी भी राजनीतिक दल का एजेंट नहीं बनना चाहिए। अमित मिश्रा नाम के ट्विटर यूजर ने जब शिकायत की कि उसके पूरे परिवार के लोगों का नाम वोटर लिस्ट से काट दिया गया है तो केजरीवाल ने चुनाव आयोग से पूछा कि दिल्ली के ऐसे हजारों लोगों के सवालों का उसके पास क्या जवाब है?

‘आप’ ने किया दिमाग का इस्तेमाल

माजरा यह है कि दिल्ली में दो महीने पहले वोटर लिस्टों का ड्राफ़्ट सामने आया। ड्राफ़्ट देखकर आम आदमी पार्टी को ‘नई तरह की राजनीति’ सूझी। पार्टी ने अपने दिमाग से हिसाब लगाकर यह आरोप जड़ दिया कि दिल्ली की वोटर लिस्टों से 30 लाख वोट कट गए हैं। यही नहीं, उन्होंने एक और एक ग्यारह करते हुए यह भी आरोप लगा दिया कि यह सारा काम बीजेपी ने कराया है और इसके लिए पार्टी के पास तर्क भी हैं।

‘आप’ ने यह हिसाब भी बता दिया कि वोटर लिस्ट से कटे 30 लाख में से कितने मुसलिम हैं, कितने वैश्य हैं और कितने पूर्वांचली हैं। पार्टी को यह भी पता है कि ये सारे लोग आजकल बीजेपी से नाराज हैं और वे लोकसभा चुनावों में उसे वोट नहीं देंगे।
‘आप’ को लगता है कि बीजेपी ने इसी डर से इन सभी का नाम वोटर लिस्टों से कटवा दिया गया है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का 6 दिसंबर का ट्वीट इसका पूरा खु़लासा करता है। इस ट्वीट में उन्होंने कहा है कि दिल्ली की वोटर लिस्टों से बीजेपी ने 30 लाख वोट कटवा दिए हैं। इनमें से 4 लाख बनिए हैं, 8 लाख मुसलिम हैं और 15 लाख पूर्वांचल के वोट हैं। बाक़ी 3 लाख वोट सभी जातियों के हैं।

‘आप’ ने वजह भी बता दी 

आम आदमी पार्टी के नेताओं ने एक नहीं कई बार खुलकर यह आरोप लगाए हैं कि नोटबंदी और जीएसटी के कारण वैश्य समाज बीजेपी से नाराज़ है, मुसलिम वैसे ही बीजेपी को पसंद नहीं करते। पार्टी के मुताबिक़, पूर्वांचल के लोगों का बीजेपी वाले अक्सर अपमान करते रहते हैं। इसलिए बीजेपी ने इन सभी को अपना दुश्मन मानकर उनका वोटिंग का हक़ ही छीन लिया है।

सच साबित होंगे या आएगा माफ़ीनामा

अब एडिशनल चीफ़ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट समर विशाल की स्पेशल कोर्ट यह तय करेगी कि असलियत क्या है। केजरीवाल हिट एंड रन में माहिर हैं। रॉबर्ट वाड्रा पर उनके आरोपों की गंभीरता आज भी पूछी जा रही है। जहाँ वह साबित नहीं कर पाते, वहां उनका माफ़ीनामा पहुँच जाता है। कई मामले वह अदालतों में जीते भी हैं। अब देखना यह है कि वोटर लिस्टों के मामले में वह सच्चे साबित होते हैं या फिर माफ़ीनामा आता है।

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क़मर वहीद नक़वी
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