देश के उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों के 29 प्रतिशत पद खाली हैं। केंद्र सरकार इसे भरने के लिए 122 प्रस्तावों पर कार्रवाई कर रही है।
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक गुरुवार को यह जानकारी कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने राज्यसभा में दी है।
न्यायाधीशों की नियुक्ति को कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच "एक सतत और सहयोगात्मक प्रक्रिया" बताते हुए, उन्होंने कहा कि उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के 1,114 स्वीकृत पदों में से 324 खाली थे और सरकार इनमें से 122 को भरने के लिए प्रक्रिया में है।
न्यायपालिका में रिक्तियों पर कांग्रेस सांसद शक्तिसिंह गोहिल ने सवाल पूछा था। इसका उत्तर देते हुए, मेघवाल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट 34 की अपनी पूर्ण स्वीकृत शक्ति के साथ कार्य कर रहा है।
उन्होंने राज्यसभा को बताया कि उच्च न्यायालयों के संबंध में, 1,114 न्यायाधीशों की स्वीकृत शक्ति के मुकाबले 790 न्यायाधीश अभी कार्यरत हैं और न्यायाधीशों के 324 पद रिक्त हैं।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक उन्होंने कहा कि इस साल विभिन्न हाईकोर्ट कॉलेजियम के कुल 292 प्रस्तावों में से 110 न्यायाधीशों की नियुक्ति की गई थी। 60 सिफारिशें सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की सलाह पर उच्च न्यायालयों को भेजी गई थीं। वहीं 4 दिसंबर तक 122 प्रस्ताव प्रक्रिया में हैं।
उन्होंने कहा कि शेष रिक्तियों के लिए, सरकार को अभी तक संबंधित एचसी कॉलेजियम से सिफारिशें प्राप्त नहीं हुई हैं।
अपने लिखित उत्तर में, न्यायाधीशों की नियुक्ति को कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच एक सतत और सहयोगात्मक प्रक्रिया बताते हुए, मेघवाल ने कहा कि उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को छह महीने पहले एचसी न्यायाधीश की रिक्ति को भरने के लिए प्रस्ताव शुरू करना आवश्यक है। हालांकि, इस समय-सीमा का अक्सर उच्च न्यायालयों द्वारा पालन नहीं किया जाता है।
उच्च न्यायालय कॉलेजियम द्वारा अनुशंसित सभी नाम सरकार के विचारों के साथ सलाह के लिए सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम को भेजे जाते हैं। हालांकि, सरकार केवल उन्हीं व्यक्तियों को उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों के रूप में नियुक्त करती है जिनकी सिफारिश सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम द्वारा की जाती है।
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जजों की कमी के कारण मुकदमें रहते हैं पेंडिंग
देश में जजों की कमी विभिन्न अदालतों में लगातार बनी रहती है। लंबे समय के बाद सुप्रीम कोर्ट में जजों के सभी रिक्त पद अब भरे गए हैं। जबकि देश के विभिन्न हाईकोर्ट में अब भी 29 प्रतिशत पद खाली हैं।निचली अदालतों में भी बड़ी संख्या में जजों के पद रिक्त हैं।
जजों के पद रिक्त होने के कारण केसों की सुनवाई में लंबा समय लग जाता है। काफी संख्या में ऐसे केस देश की विभिन्न अदालतों में लंबित हैं जो दशकों पुराने हैं।
प्राप्त जानकारी के मुताबिक देश की अलग-अलग अदालतों में अभी करीब पांच करोड़ केस ऐसे हैं जिनपर फैसला आना बाकी है। जजों की कमी के कारण अदालतों में केस वर्षों लटके रहते हैं।
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