दिल्ली महिला आयोग में संविदा पर काम करने वाले 223 कर्मचारियों को उपराज्यपाल वीके सक्सेना की मंजूरी के बाद तत्काल प्रभाव से हटा दिया गया है।
आयोग की पूर्व अध्यक्ष स्वाति मालीवाल के कार्यकाल में इनकी नियुक्तियां हुई थी। आरोप है कि इनकी नियुक्ति नियमों के खिलाफ जाकर और बिना एलजी की अनुमति के हुई थी।
महिला एवं बाल विकास विभाग के एडिशनल डायरेक्टर की तरफ से जारी इस आदेश में कहा गया है कि इन नियुक्तियों से पहले जरूरी पदों का मूल्याकंन नहीं किया गया था और आयोग ने अतिरिक्त वित्तीय बोझ की अनुमति भी नहीं ली थी।
इन्हें हटाने के लिए जारी सरकारी आदेश में कहा गया है कि दिल्ली महिला आयोग नियमों के तहत सिर्फ 40 कर्मचारियों को ही रख सकता है। आयोग ने बिना एलजी की मंजूरी के 10 सितंबर 2016 को एक आदेश जारी कर 223 नए पद सृजत किए थे।
जबकि दिल्ली महिला आयोग कानून 2013 के मुताबिक ऐसी नियुक्ति करने से पहले एलजी की मंजूरी लेनी थी। आयोग के पास संविदा के आधार पर कर्मचारियों की नियुक्ति करने का अधिकार नहीं है।
अंग्रेजी अखबार द इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने दिल्ली महिला आयोग में 223 संविदा कर्मचारियों की नियुक्ति को अनियमित और अवैध मानते हुए इन्हें हटाने की मंजूरी दे दी है।
दिल्ली महिला और बाल विकास विभाग ने बीते 29 अप्रैल को इन्हें तत्काल हटाने के लिए एक दिल्ली महिला आयोग को एक आधिकारिक पत्र लिख कर आदेश दिया था।
इसमें कहा गया है कि सरकार की मंजूरी से डीसीडब्ल्यू को सभी संविदा कर्मचारियों की सेवा तत्काल प्रभाव से बंद करने के लिए सूचित किया जाता है। इन्हें डीसीडब्ल्यू द्वारा अपनी शक्तियों से परे जाकर और निर्धारित प्रक्रियाओं का पालन किए बिना नियुक्त किया गया था।
द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट कहती है कि यह मामला पूर्व विधायक बरखा सिंह शुक्ला की शिकायत पर दर्ज किया गया था, जिन्होंने स्वाती मालीवाल के कार्यकाल के दौरान डीसीडब्ल्यू में अनियमितताओं के आरोप लगाए थे।
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स्वाति मालीवाल ने किया पलटवार
दिल्ली महिला आयोग के इन कर्मचारियों को हटाने के आदेश पर आयोग की पूर्व अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने पलटवार करते हुए सवाल उठाए हैं।उन्होंने सोशल मीडिया साइट एक्स पर एक पोस्ट लिख कर कहा है कि एलजी साहब ने डीएसडब्लू के सारे कॉंट्रैक्ट स्टाफ को हटाने का एक तुग़लकी फ़रमान जारी किया है।
आज महिला आयोग में कुल 90 स्टाफ है जिसमें सिर्फ़ 8 लोग सरकार द्वारा दिये गये हैं, बाक़ी सब 3 - 3 महीने के कॉंट्रैक्ट पे हैं। अगर सब कॉंट्रैक्ट स्टाफ हटा दिया जाएगा, तो महिला आयोग पे ताला लग जाएगा। ऐसा क्यों कर रहे हैं ये लोग?
खून पसीने से बनी है ये संस्था। उसको स्टाफ और सरंक्षण देने की जगह आप जड़ से ख़त्म कर रहे हो? मेरे जीते जी मैं महिला आयोग बंद नहीं होने दूंगी। मुझे जेल में डाल दो, महिलाओं पे मत ज़ुल्म करो।
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