देश की राजधानी दिल्ली में कोरोना संक्रमण के मामले बीते दिनों में तेजी से बढ़े हैं। शुक्रवार को ऐसा पहली बार हुआ जब राजधानी में संक्रमण के 1 हज़ार से ज़्यादा मामले आए। शुक्रवार को कुल 1106 मामले सामने आए और 13 लोगों की मौत हुई। हालात बिगड़ते देख दिल्ली के उपमुख्यमंत्री सामने आए और उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस से घबराने की कोई ज़रूरत नहीं है।
देश में कोरोना संक्रमित राज्यों की संख्या में दिल्ली अब तीसरे स्थान पर पहुंच गई है। पहले पर महाराष्ट्र और दूसरे स्थान पर तमिलनाडु है। राजधानी में संक्रमण के अब तक कुल 17,386 मामले सामने आए हैं और 398 लोगों की मौत हुई है।
दिल्ली में लगातार बढ़ रहे संक्रमण को देखकर पड़ोसी राज्यों ने भी राजधानी से लगती अपनी सीमाओं को सील कर दिया है। पहले उत्तर प्रदेश और फिर हरियाणा ने यह क़दम उठाया है। इन दोनों ही राज्यों का कहना है कि दिल्ली से आने वाले लोग उनके राज्य में संक्रमण बढ़ा सकते हैं।
‘द इंडियन एक्सप्रेस’ के मुताबिक़, सफदरजंग अस्पताल के कम्युनिटी मेडिसिन विभाग के प्रमुख डॉ. जुगल किशोर ने कहा, ‘दिल्ली की आबादी को देखते हुए यहां लोगों में संक्रमण का ख़तरा ज़्यादा है। इसलिए संक्रमण के मामले और बढ़ सकते हैं। हमें इस पर ध्यान देना होगा कि डेथ रेट न बढ़े।’ एम्स में एमएस डीके शर्मा ने अख़बार से कहा कि एम्स में ही 195 स्वास्थ्य कर्मी अब तक कोरोना पॉजिटिव हो चुके हैं।
दिल्ली हाई कोर्ट ने जताई नाराजगी
दिल्ली हाई कोर्ट ने गुरुवार को कहा है कि वह राजधानी के अस्पतालों, शवगृहों और श्मशानों में कोरोना से मारे गए लोगों के शवों के ढेर को देखकर दुखी है। जस्टिस राजीव सहाय एंडलॉ और आशा मेनन की पीठ ने इन हालात को बेहद असंतोषजनक और मृतकों के अधिकारों का अतिक्रमण बताया। अदालत ने मानवाधिकारों के उल्लंघन का स्वत: संज्ञान लेने का फैसला किया और इस बारे में दिल्ली सरकार के साथ-साथ नगर निगमों को भी नोटिस जारी किया है।
दिल्ली सरकार का कहना है कि वर्तमान में 2100 मरीज अस्पतालों में भर्ती हैं और उसने 5 हज़ार बेड की व्यवस्था की है। लेकिन कुछ दिन पहले दिल्ली पुलिस के एक कांस्टेबल को उसके दोस्त कई अस्पतालों में इलाज के लिए ले गए लेकिन किसी भी अस्पताल ने उसे भर्ती नहीं किया और उसकी मौत हो गई।
लॉकडाउन 4.0 में जैसे ही केजरीवाल सरकार ने बसों, ऑटो को शुरू किया और बाज़ारों को खोला, कोरोना संक्रमण के मामलों में तेज़ी आई है। ऐसे में सरकार को इस बात का ध्यान रखना होगा कि घनी आबादी वाले इस महानगर में ज्यादा छूट देना कहीं महंगा न पड़ जाए।
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