शाहरुख़ ख़ान की फ़िल्म पठान पर विवाद हुआ था। सोशल मीडिया पर इस फिल्म के बहिष्कार के लिए ट्रेंड कराया गया। दक्षिणपंथी विचार वाले नेता से लेकर मंत्री तक ने इसका विरोध किया था। तो आखिर इस विरोध का क्या असर हुआ?
इस सवाल का जवाब तो पहले की कई फिल्मों के बहिष्कार के असर से भी मिल सकता है। पहले की फ़िल्मों के बहिष्कार और इसका क्या असर हुआ है, यह जानने से पहले यह जान लें कि आख़िर शाहरुख की फ़िल्म पठान का बहिष्कार क्यों किया गया।
दरअसल, हाल ही में पठान के टीज़र में इसका पहला गाना 'बेशरम रंग...' रिलीज किया गया। इसमें शाहरूख ख़ान और दीपिका पादुकोण ने बेहद बोल्ड सीन दिए हैं। इसको लेकर और अभिनेताओं की वेशभूषा को लेकर विरोध किया गया। सोशल मीडिया पर लोगों ने गाने में शाहरुख और दीपिका पादुकोण के हरे और केसरिया परिधान पर आपत्ति जताई। कुछ लोगों ने शाहरुख की आने वाली फिल्म के बहिष्कार का आह्वान करते हुए उनके पुराने वीडियो भी निकाले। विरोध करने वालों में मंत्री तक शामिल थे।
मध्य प्रदेश के गृहमंत्री और राज्य सरकार के प्रवक्ता नरोत्तम मिश्रा ने चेतावनी दी थी, ‘पठान फ़िल्म के गाने में अभिनेत्री की वेशभूषा और दृश्यों को ठीक करें, नहीं तो फिल्म को प्रदेश में अनुमति दी जाए अथवा नहीं, इस पर फैसला किया जाएगा।’
कुछ लोग आपत्ति जताते रहे हैं कि सिनेमा में अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर हिंदू धर्म की हमेशा नकारात्मक छवि पेश की गई है। हालाँकि बहिष्कार करने वाले हर बार नयी-नयी वजहें बताते हैं।
फ़िल्म 'ब्रह्मास्त्र' को बायकॉट करने के लिए रणबीर कपूर का 11 साल पहले दिया गया एक बयान सामने लाया गया जिसमें रणबीर ने खुद को बिग बीफ़ बॉय कहा था। वहीं, आलिया ने भी एक इंटरव्यू में अंहकारी अंदाज में कहा था कि यदि लोग उन्हें पसंद नहीं करते तो न देखें। वैसे दोनों अभिनेता नेपोटिज़्म को लेकर निशाने पर भी रहे। ब्रह्मास्त्र का बहिष्कार करने के पीछे सोशल मीडिया पर इन्हीं वजहों को बताया गया।
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तो अब सवाल है कि आख़िर 'ब्रह्मास्त्र' के बहिष्कार का फ़िल्म पर किस तरह का असर पड़ा? इस सवाल का जवाब सटीक तौर पर तो नहीं दिया जा सकता है, लेकिन इसके प्रदर्शन से अंदाज़ा लगाया जा सकता है।
'शमशेरा'
रणबीर कपूर की ही एक और फिल्म 'शमशेरा' फ्लॉप हो गई थी। हालाँकि, इस फिल्म के लीड एक्टर रणबीर कपूर फिल्म के कंटेंट को ज्यादा जिम्मेदार मानते हैं। एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था, 'यदि आप अच्छी फिल्म, अच्छा कंटेंट देते हैं, जिससे कि लोग एंटरटेन होते हैं, तो वो सिनेमाघरों तक फिल्म देखने जरूर जाते हैं।'
रणबीर कपूर ने कहा था, 'यदि शमशेरा बॉक्स ऑफिस पर नहीं चली, तो इसका मतलब है कि लोगों को ये पसंद नहीं आई। क्योंकि रिलीज से पहले फिल्म को लेकर मुझे कोई नेगेटिविटी नहीं नजर आई थी। इसके बावजूद शमशेरा बॉक्स-ऑफिस पर नहीं पसंद की गई। यदि आपकी फिल्म नहीं चलती है तो इसके पीछे सिर्फ एक कारण है कि फिल्म का कंटेंट अच्छा नहीं है। इसके अलावा दूसरा कारण नहीं समझ आता।'
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'छपाक' क्यों नहीं चली?
यह फ़िल्म बुरी तरह फ्लॉप तो नहीं हुई थी, लेकिन अच्छा भी नहीं कर पाई थी। इसके साथ रिलीज हुई 'तानाजीः द अनसंग वॉरियर' ने अच्छी कमाई की थी। इसने जहाँ तीसरे हफ्ते में 200 करोड़ से ज़्यादा की कमाई कर ली थी वहीं छपाक तीन हफ़्ते में 50 करोड़ रुपये भी कमाई नहीं कर पाई थी। कुछ लोग दोनों फिल्मों के साथ रिलीज होने को भी छपाक के लिए नुक़सान की वजह मानते हैं।
जिन फिल्मों का बहिष्कार नहीं, उनका कैसा प्रदर्शन?
बॉलीवुड अभिनेता और दक्षिणपंथी विचार वाले लोगों के चहेते अभिनेता अक्षय कुमार की फिल्म सम्राट पृथ्वीराज काफ़ी चर्चा में रही थी। कहा जा रहा था कि उनकी फ़िल्म जबरदस्त चलेगी, लेकिन वैसा नहीं हुआ। 15 दिन बाद यह फिल्म 70 करोड़ रुपये भी नहीं कमा पाई थी, जबकि इस फ़िल्म को बनाने में ही 200 करोड़ रुपये से ज़्यादा ख़र्च हुए थे।
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अक्षय कुमार की ही एक अन्य फ़िल्म 'रक्षाबंधन' बॉक्सऑफिस पर फ्लॉप हुई थी। 10 दिन में यह फ़िल्म क़रीब 42 करोड़ रुपये ही कमाई कर पाई थी जबकि इसको बनाने में खर्च ही 70 करोड़ रुपये हुए थे।
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दक्षिणपंथी विचार वाली अभिनेत्री कंगना रनौत की धाकड़ भी औंधे मुंह गिरी थी। क़रीब 100 करोड़ रुपए के बजट में बनी यह फिल्म 8 दिन में सिर्फ 5 करोड़ रुपए ही कमा पाई थी। यह फिल्म इसलिए भी चर्चा में रही थी कि रिलीज के 8वें दिन भारत में फिल्म के सिर्फ 20 टिकट ही बिके थे, जिससे 'धाकड़' की कमाई सिर्फ 4,420 रुपए ही हुई थी। 'धाकड़' कंगना के करियर की सबसे बड़ी फ्लॉप फिल्मों में से एक है।
वैसे इन आँकड़ों से कुछ भी संकेत मिलता हो लेकिन सचाई यह है कि बहिष्कार से नुक़सान भी हुआ है। बहिष्कार के चलते कई मेगा बजट फिल्में ठंडे बस्ते में डाल दी गईं। कई फिल्मों की शूटिंग रोक दी गई है, तो कई का रिलीज डेट आगे बढ़ाने पर विचार करने पर मजबूर हुए हैं। वैसे, फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े कई लोग मानते हैं कि कंटेंट ठीक हो तो बहिष्कार का असर नहीं होता। ज़रूरत इस बात की बताई जा रही है कि बॉलीवुड में बहुत बड़ा बदलाव आए। इसके कंटेंट से लेकर क्रिएशन तक में बदलाव किए जाने की वकालत की जा रही है।
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