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'स्कैम 1992: द हर्षद मेहता स्टोरी' का पोस्टर।

1992 के बड़े घोटाले को दिखाती है 'स्कैम 1992'

वेब सीरीज- स्कैम 1992: द हर्षद मेहता स्टोरी

डायरेक्टर- हंसल मेहता

स्टार कास्ट- प्रतीक गांधी, श्रेया धनवंतरी, शारिब हाशमी, निखिल द्विवेदी, रजत कपूर, सतीश कौशिक, हेमंत खेर

स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म- सोनी लिव

रेटिंग- 4/5

ओटीटी प्लेटफ़ॉर्म सोनी लिव पर 'स्कैम 1992: द हर्षद मेहता स्टोरी' नाम की वेब सीरीज़ रिलीज़ हुई। साल 1992 में बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज में किये गए घोटाले के चलते हर्षद शांतिलाल मेहता बड़े विवादों में आ गए थे और ये वेब सीरीज़ उसी घोटाले पर आधारित है। इस घोटाले की जितनी चर्चा थी वैसे ही सुर्खियों में यह वेब सीरीज़ भी बनी हुई है। निर्देशक हंसल मेहता हमेशा ही सत्य घटनाओं से प्रेरित कहानियों पर फ़िल्में बनाते आये हैं और अब उन्होंने हर्षद मेहता की कहानी को पर्दे पर लेकर आये है। वेब सीरीज़ 'स्कैम 1992' में प्रतीक गांधी, श्रेया धनवंतरी, शारिब हाशमी, निखिल द्विवेदी, रजत कपूर, सतीश कौशिक, हेमंत खेर और भी कई स्टार्स लीड रोल में हैं। वेब सीरीज़ 'स्कैम 1992' पत्रकार देबाशीष बासु और सुचेता दलाल की किताब ' द स्कैम' पर आधारित है। आइये जानते हैं इसकी कहानी-

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'स्कैम 1992: द हर्षद मेहता स्टोरी' का एक दृश्य।

फ़िल्म की कहानी

कहानी शुरू होती है हर्षद मेहता (प्रतीक गांधी) से जिसके पिता का कपड़े का व्यापार होता है लेकिन वो बंद हो जाता है। घर की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए हर्षद और उसका भाई अश्विन मेहता (हेमंत खेर) सभी छोटे-बड़े काम करने लगते हैं। हर्षद के सपने बड़े हैं वो जल्दी पैसे कमाना चाहता है और इसके लिए वो शेयर मार्केट की तरफ़ रुख करता है। हर्षद बिना किसी उसूल के आगे बढ़ता रहता है और ‘रिस्क है तो इश्क है’ कहते हुए शेयर मार्केट में पैसे लगाने लगता है।  हर्षद काफ़ी जल्दी मार्केट में अपना नाम बनाने में कामयाब हो जाता है और अपने भाई अश्विन के साथ मिलकर अपनी कंपनी भी खोल लेता है। पैसे बनाने के चक्कर में हर्षद मेहता शेयर मार्केट के साथ ही मनी मार्केट का भी बिग बुल बन जाता है। 

मनी मार्केट में आने के बाद हर्षद बैंकों के साथ पैसों का लेन-देन करना शुरू कर देता है। सब कुछ सही चल रहा होता है अचानक टाइम्स ऑफ़ इंडिया की पत्रकार सुचेता दलाल (श्रेया धनवंतरी) को टिप मिलती है कि सबसे बड़े बैंक एसबीआई में पांच सौ करोड़ रुपये का घोटाला हुआ है। पत्रकार सुचेता दलाल जाँच करती हैं और अख़बार में आर्टिकल लिखती हैं। इसके बाद ही मामला तूल पकड़ लेता है और इस स्कैम की जाँच सीबीआई को सौंपी जाती है। सीबीआई ऑफिसर माधवन (रजत कपूर) मामले की जाँच शुरू करते हैं। बैंक से शुरू हुआ यह घोटाला राजनीतिक मोड़ लेता है और इसमें प्रधानमंत्री पी.वी. नरसिम्हाराव का नाम भी आने लगता है। वेब सीरीज़ 'स्कैम 1992' में अंत में क्या सामने आता है और हर्षद मेहता के साथ क्या होता है? यह सब जानने के लिए आपको सोनी लिव पर वेब सीरीज़ 'स्कैम 1992: द हर्षद मेहता स्टोरी' देखनी पड़ेगी। यह 10 एपिसोड की सीरज़ है।

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'स्कैम 1992: द हर्षद मेहता स्टोरी' का एक दृश्य।

क्या था 1992 का घोटाला?

हर्षद मेहता को स्टॉक मार्केट का बिग बुल और अमिताभ बच्चन कहा जाता था। इसके साथ ही अख़बारों और मैगज़ीन में भी हर्षद के बारे में आये दिन आर्टिकल छपा रहता था। परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण हर्षद मेहता कई छोटे-बड़े काम करते रहते थे लेकिन फिर हर्षद ने ‘द न्यू इंडिया एश्योरेंस’ कंपनी में नौकरी शुरू की। इसी नौकरी के दौरान हर्षद मेहता की स्टॉक मार्केट में दिलचस्पी बढ़ी थी। कुछ दिनों तक नौकरी करने के बाद हर्षद मेहता ने 1981 में अपनी कंपनी खोली और बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज में बतौर ब्रोकर मेंबरशिप ले ली। मार्केट में शेयर बेचने व खरीदने के लिए बड़ी राशि का लेन-देन होता था और बैंकिंग सिस्टम की कमज़ोर कड़ियों को पकड़कर हर्षद ने भारी हेर-फेर किया था। बैंकों को जब ज़रूरत पड़ती थी तो वो सरकारी बॉन्ड को गिरवी रखकर पैसे लेते थे और यह काम बिचौलियों के ज़रिए किया जाता था। बैंकों से पैसे लेकर हर्षद शेयर बाज़ार में लगा दिया करता था। टाइम्स ऑफ़ इंडिया की पत्रकार सुचेता दलाल बिग बुल हर्षद मेहता का सच सामने लेकर आई थीं। सुचेता को पता चल गया था कि हर्षद मेहता बैंक से 15 दिन का लोन लेता था और उसे स्टॉक मार्केट में लगा देता था। साथ ही 15 दिन के भीतर वो बैंक को मुनाफे के साथ पैसा लौटा देता था।

वीडियो में देखिए इस वेब सीरीज़ की समीक्षा

जब यह मामला सामने आया तो बैंकिंग सिस्टम हिल गया और जाँच कमेटी बिठाई गई। इस केस की जाँच सीबीआई को सौंपी गई। उस वक़्त यह घोटाला काफ़ी बड़ा था और पूरा देश हिल गया था। लोग हैरान तो उस वक़्त हो गये जब 1993 में हर्षद मेहता ने पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव पर केस से बचाने के लिए 1 करोड़ रुपये रिश्वत लेने का आरोप लगाया था। हर्षद मेहता ने इस बारे में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में खुलासा किया था और इसमें उनका साथ जाने-माने वकील स्व. राम जेठमलानी ने दिया था। हर्षद मेहता पर 72 आपराधिक मामले और 600 से ज़्यादा दीवानी मामले दर्ज किये गए थे और उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था। 31 दिसंबर 2001 को दिल का दौरा पड़ने से हर्षद मेहता की मौत हो गई थी। इस घोटाले को सामने लाने के लिए पत्रकार सुचेता को 2006 में पद्मश्री अवार्ड से सम्मानित किया गया था।

निर्देशन

‘ओमर्टा’,’ शाहिद’ और ‘अलीगढ़’ जैसी फ़िल्में बना चुके निर्देशक हंसल मेहता को उनकी अलग सोच और कहानियों के लिए जाना जाता है। हंसल मेहता ने इस बड़े स्कैम को बड़े ही सलीके से पर्दे पर उतारा है और इस ढंग से निर्देशन किया है कि वेब सीरीज़ 'स्कैम 1992' की कहानी कही भी कमज़ोर नहीं पड़ती है। इस वेब सीरीज़ में बैकग्राउंड म्यूजिक, डायलॉग्स और सिनेमैटोग्राफ़ी सब कुछ काफ़ी अच्छा है। कास्टिंग डायरेक्टर मुकेश छाबड़ा ने वेब सीरीज़ 'स्कैम 1992' में स्टार्स की कास्टिंग की है और जो कि काफ़ी शानदार है।

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'स्कैम 1992: द हर्षद मेहता स्टोरी' का एक दृश्य।

एक्टिंग

हर्षद मेहता के किरदार में प्रतीक गांधी ने बेहतरीन अभिनय किया है। उनकी बॉडी लैंग्वेज, डायलॉग डिलीवरी और एक्टिंग ने किरदार के साथ पूरा न्याय किया है। सुचेता दलाल के किरदार में श्रेया धनवंतरी ने अच्छी एक्टिंग की है। शारिब हाशमी का किरदार सीरीज़ में भले ही छोटा रहा हो लेकिन उन्होंने भी एक अलग छाप छोड़ी। इसके अलावा सतीश कौशिक, हेमंत खेर, रजत कपूर, जय उपाध्याय, चिराग बोहरा, अंजलि बैरोत, अनंथ नारायण, निखिल द्विवेदी और अन्य स्टार्स ने भी शानदार अभिनय किया।

सभी को इतिहास जानना चाहिये फिर वो चाहे अच्छा हो या बुरा और वेब सीरीज़ 'स्कैम 1992: द हर्षद मेहता स्टोरी' में उस वक़्त हुए सबसे बड़े घोटाले की कहानी को दिखाया गया है। भले ही आपको शेयर बाज़ार की ज़रा भी जानकारी न हो तब भी यह सीरीज़ आपको बोर नहीं करेगी, बल्कि शेयर मार्केट और मनी मार्केट में क्या होता है, इसके बारे में आपको पता चल जायेगा। सीरीज़ के पहले ही एपिसोड से आप कहानी के साथ बंध जायेंगे और इसे ख़त्म किये बिना नहीं छोड़ेंगे। सीरीज़ 'स्कैम 1992: द हर्षद मेहता स्टोरी' में स्टार्स की परफॉर्मेंस के साथ ही डायलॉग्स भी कमाल के हैं। सीरीज़ में पत्रकार का रोल सबसे बड़ा दिखाया गया है और साथ ही इसके ज़रिये यह भी देखने को मिलेगा कि उस दौर की पत्रकारिता में कितनी पारदर्शिता होती थी। पत्रकार की कलम वो कर सकती थी जो बड़े-बड़े लोग नहीं कर पाते थे। सीरीज़ के कुल 10 एपिसोड हैं, जिसे थोड़ा सा छोटा किया जा सकता था।
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दीपाली श्रीवास्तव
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