डिज़्नी हॉटस्टार पर आई फ़िल्म ‘ए थर्सडे’ की समीक्षा में पढ़िए कैसे आम महिला के दुखद, पीड़ादायक अतीत, उसके साथ हुए जघन्य अपराध, अन्याय और अपराधियों के छुट्टा घूमते रहने पर पैदा हुए ग़ुस्से को कैसे पेश किया गया है।
महेश भट्ट् वूट सेलेक्ट पर वेब सीरीज़ ‘रंजिश ही सही’ में फिर अपनी और परवीन बाबी की प्रेम कहानी को ओटीटी के दर्शकों के लिए नये रंगरूप में सामने लेकर आये हैं।
सावरकर को ‘वीर’ कहने और अंग्रेजों से उनकी माफ़ी का मुद्दा जब राष्ट्रवादी विमर्श के बहाने गरमाया हुआ है, इसी बीच शूजीत सरकार की फ़िल्म सरदार उधम आई हुई है। पढ़िए, फ़िल्म समीक्षा कैसे उन्होंने माफ़ी की सलाह ठुकरा फाँसी के फंदे पर झूल गए थे।
‘द फ़ादर’ डिमेंशिया के मरीज़ और उनकी बेटी के रिश्ते की कहानी है। इनके किरदार में आपको किसी परिचित बुज़ुर्ग की झलक दिखाई दे यह बहुत मुमकिन है। पढ़िए ‘द फ़ादर’ फ़िल्म की समीक्षा।
बेलबॉटम के निर्माताओं ने फ़िल्म को सच्ची घटना से प्रेरित बताया है। लेकिन फ़िल्म के दृश्यों में ऐसे तथ्य दिखाए गए हैं जो सच नहीं लगती हैं। पढ़िए फ़िल्म की समीक्षा की आख़िर कैसी है यह फ़िल्म।
फ़िल्म अभिनेता नसीरुद्दीन शाह ने कहा है कि नात्सी के समय के जर्मनी की तरह ही सत्तारूढ़ दल की विचारधारा का प्रोपेगैंडा करने वाली फ़िल्में बनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।