भारतीय डॉक्यूमेंट्री फ़िल्म 'द एलीफ़ेंट व्हिसपरर्स' ने ऑस्कर अवॉर्ड हासिल कर इतिहास रच दिया। तो क्या भारत में डॉक्यूमेंट्री का पुनरुत्थान शुरू हो रहा है?
भारत में सिनेमा उद्योग बहुत बड़ा है, लेकिन केवल मुंबई से चलने वाले वॉलिबुड को ही पूरे सिनेमा उद्योग का प्रतिनिधि मान लिया जाता है। जबकि हर भाषा का अपना एक सिनेमा उद्योग है। सोमवार को मिले ऑस्कर का बॉलिवुड से कोई लेना देना नहीं है।
नाटू-नाटू से पहले भी भारत को ऑस्कर अवॉर्ड मिलते रहे हैं। लेकिन इनकी संख्या इतनी कम है कि इन्हें उंगलियों पर गिना जा सकता है। इसलिए नाटू-नाटू और द एलिफेंट व्हिस्परर्स का जश्न तो बनता है।
सतीश कौशिक दिल्ली से फोर्टिस अस्पताल ले जाए गए थे इसलिए दिल्ली पुलिस ने उनका पोस्टमॉर्टम दिल्ली के हरिनगर के दीन दयाल अस्पताल में मेडिकल बोर्ड द्वारा कराया था। पुलिस सूत्रों ने बताया कि जो लोग सतीश कौशिक को अस्पताल लेकर गए पुलिस उनसे संपर्क में है।
बॉलीवुड एक्टर-डायरेक्टर सतीश कौशिक का यूं चले जाना सभी को शोक में डाल गया है। आज उनके मिस्टर इंडिया में निभाए गए कैलेंडर चरित्र और कालजयी फिल्म जाने भी दो यारो के संवाद याद आ रहे हैं।
पठान फिल्म क्या शाहरुख ख़ान की लोकप्रियता से सुपरहिट हुई? क्या फिल्म इतनी बेहतरीन है या फिर बहिष्कार के आह्वान से फिल्म ने 1000 करोड़ की कमाई कर ली? दरअसल, सचाई कुछ और है। जानें फिल्म कैसे सुपरहिट हुई।
मुगल इतने ही बुरे थे तो
फिर लालकिला, ताजमहल जैसी और भी न जाने कितनी चीजें हैं जो उन्होंने बनाईं उन्हें भी मिटा देना चाहिए। अगर
मुगल सभी बुरी चीजों के प्रतीक थे, तो फिर इनका सबकुछ मिटा देना चाहिए।
अक्षय कुमार के पास कनाडा का पासपोर्ट है या नहीं? यह विवाद अब नहीं उठेगा। जानिए, आख़िर अक्षय कुमार ने ऐसा क्या कह दिया कि अब और पुष्टि की ज़रूरत ही नहीं।
फिल्म गांधी गोडसेः एक युद्ध फिल्म पर बहस जारी है। इसके लेखक असगर वजाहत ने इस पर अपनी सफाई पेश की है। उन्होंने लिखा है कि लोग पहले फिल्म देखें, फिर टिप्पणी करें। सोशल मीडिया पर इस फिल्म की धज्जियां उड़ रही हैं।
'गांधी गोडसे एक युद्ध' के बहाने आख़िर लेखक असगर वजाहत और निर्देशक राजकुमार संतोषी क्या कहना चाहते हैं? क्या गोडसे को गांधी के बराबर लाकर खड़ा करने की कोशिश है?
पठान फिल्म बॉलीवुड में रोजाना नए रेकॉर्ड बना रही है। नई-नई संभावनाएं पैदा हो रही हैं। हालांकि कट्टरपंथी ताकतों को करारा जवाब मिल चुका है लेकिन इसके बावजूद यह तबका रोजाना कुछ न कुछ खुराफात में लगा हुआ है।