फ़िल्म का नाम ‘गुल मकई’ है और इसे डायरेक्टर एच.ई. अमजद ने डायरेक्ट किया है। डायरेक्टर अमजद की यह दूसरी फ़िल्म है और इसमें उन्होंने पाकिस्तान की सामाजिक कार्यकर्ता मलाला युसुफजई के संघर्ष भरे जीवन पर रोशनी डालने की कोशिश की है।
स्ट्रीमिंग प्लेटफ़ॉर्म नेटफ्लिक्स पर कुछ दिनों पहले सीरीज़ रिलीज हुई है जिसका नाम है ‘जामताड़ा’। वैसे, जामताड़ा झारखंड का एक ज़िला है और साथ ही इसे फीशिंग का हब यानी साइबर क्राइम में मशहूर भी कहा जाता है।
राजनीतिक मत भिन्न रखने वाले कलाकारों की फ़िल्मों का बहिष्कार इस बात को स्पष्ट कर दे रहा है कि सिर्फ़ मीडिया ही 'गोदी मीडिया' नहीं बना है सिनेमा भी किसी ऐसे ही नाम का इंतज़ार कर रहा है।
दीपिका पादुकोण की फ़िल्म ‘छपाक’ रिलीज़ हो गई। इसके दो दिन पहले अचानक शाम को यह ख़बर आई कि दीपिका पादुकोण जेएनयू के आंदोलनकारी छात्रों के बीच पहुँच गईं। क्यों पहुँचीं?
एसिड अटैक सर्वाइवर लक्ष्मी अग्रवाल पर डायरेक्टर मेघना गुलज़ार फ़िल्म लेकर आई है। जिसका नाम ‘छपाक’ है और यह फ़िल्म शुक्रवार यानी 10 जनवरी को रिलीज हो रही है।
‘गुड न्यूज़’ यानी ख़ुशख़बरी! इस फ़िल्म में भी घर में नए मेहमान के आने की ख़ुशख़बरी का सभी को इंतज़ार है और उसी को लेकर डायरेक्टर ने एक नई कहानी के साथ फ़िल्म बनाई है।
एक शानदार ज़िंदगी पूरी करके शौकत आपा के नाम जानी जाने वाली शौकत कैफ़ी (1928-2019) इंतक़ाल फरमा गयीं। शौकत आपा ने एक शानदार ज़िंदगी जी। वह बेहतरीन अदाकारा थीं।
भारत की पहली समानान्तर फ़िल्म 'भुवन शोम' के 50 साल पूरे हो रहे हैं। आख़िर क्या थी उस फ़िल्म की खूबी कि उसके साथ ही भारतीय फिल्म जगत में एक नए युग की शुरुआत उससे हुई।