सोनी राजदान ने बिल्कुल सही लिखा कि ‘जैसे बत्तख पानी में उतरते ही तैरने लगता है, वैसे ही आप कर लेंगी।’ दरअसल, 7 सालों के बाद किसी फ़िल्म सेट पर लौटीं नीतू कपूर ने अपनी एक तसवीर मेकअप रूम से शेयर की और लिखा, ‘सालों बाद सेट पर लौटी हूँ। यह नई शुरुआत है और सिनेमा का जादू। मैं तुम्हारी मोहब्बत और मौजूदगी महसूस कर रही हूँ। माँ, कपूर साहब और रणबीर हमेशा मेरे साथ रहे। आज मैं यहाँ अकेली हूँ। थोड़ी घबराहट महसूस हो रही है लेकिन मैं जानती हूँ कि तुम हमेशा मेरे साथ हो।’
नीतू कपूर धर्मा प्रोडक्शन की राज मेहता निर्देशित ‘जुग जुग जियो’ का हिस्सा बनकर सेट पर लौटी हैं। इस फ़िल्म में उनके साथ अनिल कपूर, कियारा आडवाणी और वरुण धवन हैं। इसी साल 30 अप्रैल को उनके अभिनेता पति ऋषि कपूर का निधन हुआ। उसके बाद से वह अकेलापन महसूस कर रही हैं। हम सभी जानते हैं कि उनके बेटे रणबीर कपूर मुंबई में ही अलग अपार्टमेंट में रहते हैं और बेटी रिद्धिमा की शादी दिल्ली में हुई है।
नीतू कपूर ने शादी के बाद फ़िल्मों को तिलांजलि दे दी थी। हालाँकि उन्होंने कहा था कि वह अपनी मर्जी से फ़िल्में छोड़ रही हैं, लेकिन तब राज कपूर जीवित थे। कपूर खानदान का यह अघोषित नियम था कि घर की बेटी-बहू फ़िल्मों में काम नहीं करेंगी। करिश्मा कपूर के फ़िल्मों में आने के बाद कपूर खानदान का यह नियम टूट गया था। बाद में करीना कपूर भी आईं और अभी सक्रिय हैं। वह तो इम्तियाज अली ने उन्हें ‘लव आज कल’ की एक भूमिका के लिए राजी कर लिया था, इसलिए वह 2009 में पर्दे पर दिखीं। उसके बाद ‘दो दूनी चार’ (2010), ‘जब तक है जान’ (2012) और ‘बेशर्म’ (2013) में भी वह नज़र आयीं।
फ़िलहाल सात सालों के बाद उनकी यह वापसी हुई है। आख़िरी दो साल ऋषि कपूर की बीमारी और इलाज में गुजरे। वह उनके साथ छाया की तरह रहीं।
आज के फ़िल्म दर्शकों को यह जानना ज़रूरी है कि नीतू कपूर ने बेबी सोनिया के नाम से 8 साल की उम्र में एक्टिंग शुरू कर दी थी। ‘सूरज’ उनकी पहली फ़िल्म थी। इस फ़िल्म में वह राजेंद्र कुमार की बहन बनी थीं। कम लोगों को मालूम होगा कि नीतू कपूर को वैजयंती माला की पारखी नज़रों ने एक डांस स्कूल में पहचाना था। उनकी सलाह पर ही उन्हें पहली फ़िल्म ‘सूरज’ मिली थी। उन्होंने ‘दस लाख’ में काम किया और उन्हें ‘दो कलियाँ’ (1968) से जबरदस्त ख्याति मिली। इस फ़िल्म में उनका डबल रोल था। बाल कलाकार के तौर पर उन्होंने ‘वारिस’ और ‘पवित्र पापी’ अदि फ़िल्मों में काम किया।
सिर्फ़ 15 साल की उम्र में 1973 में उन्हें बतौर नायिका ‘रिक्शावाला’ मिल गई थी, जिसमें रणधीर कपूर उनके हीरो थे। इस फ़िल्म में वह बेबी सोनिया से नीतू सिंह बन गईं। ‘खेल खेल में’ से ऋषि कपूर के साथ उनकी कामयाब जोड़ी बनी। दोनों ने 12 फ़िल्मों में एक साथ काम किया और उनमें से अधिकांश फ़िल्में सफल रहीं। नीतू सिंह ने अपने समय में जितेंद्र, राजेश खन्ना, विनोद खन्ना, अमिताभ बच्चन, शत्रुघ्न सिन्हा, शशि कपूर और रणधीर कपूर के साथ लगातार अभिनय किया। 1973 से 1983 के 10 सालों के एक्टिव फ़िल्मी करियर में उन्होंने लगभग 50 फ़िल्मों में काम किया और उनमें से 25 बेहद कामयाब रहीं।
ऋषि कपूर से 1980 में शादी करने के बाद उन्होंने अपनी कुछ अधूरी फ़िल्में पूरी कीं और फिर ख़ुद को पूरी तरह से घर-परिवार तक ही सीमित कर लिया। वह नीतू सिंह से नीतू कपूर हो गईं। ऋषि कपूर और नीतू सिंह के बीच थोड़े-बहुत तनाव भी रहे, लेकिन नीतू सिंह ने सब कुछ अच्छी तरह से संभाला। उन्होंने ऋषि कपूर के मिजाज और आदतों का ख्याल रखते हुए रिद्धिमा और रणबीर को पाला और बड़ा किया। रणबीर कपूर अपनी माँ के ज़्यादा क़रीब हैं। पिता ऋषि कपूर से उनकी नहीं छनती थी। एक इंटरव्यू में ऋषि कपूर ने स्वीकार किया था कि रणबीर और उनके बीच कांच की दीवार रही। वे दोनों एक-दूसरे को देख तो सकते थे, लेकिन सुन नहीं सकते थे।
नीतू कपूर ने जिस दौर में फ़िल्मों में प्रवेश किया वह दौर हेमा मालिनी जीनत अमान, राखी और रेखा का दौर था। संयोग से ‘बॉबी’ के हिट होने और डिंपल कपाड़िया की तुरंत शादी हो जाने के कारण ऋषि कपूर के लिए हमउम्र नायिका की ज़रूरत को नीतू सिंह ने खूबसूरती से पूरा किया। फ़िल्मों में उनकी सफल नायिका होने के साथ वह कालांतर में उनकी जीवनसंगिनी बन गईं। अधिकांश अभिनेत्रियाँ जिस उम्र में अभिनय शुरू करती हैं, उस उम्र में नीतू सिंह रिटायर हो गई थीं।
62 की उम्र में फिर से बड़े पर्दे पर लौट रहीं नीतू सिंह की यह पारी थोड़ी लंबी और सार्थक हो सकती है।
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