फ़िल्म- ‘क्लास ऑफ 83’
डायरेक्टर- अतुल सभरवाल
स्टार कास्ट- बॉबी देओल, अनूप सोनी, जॉय सेन गुप्ता, विश्वजीत प्रधान, हितेश भोजराज, भूपेंद्र जादावत, समीर परांजपे, पृथ्विक प्रताप, निनद महाजानी
स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म- नेटफ्लिक्स
रेटिंग- 3.5/5
‘पुलिस सिस्टम ऐसे सिक्के की तरह होता है, जिसके दो पहलू हैं- एक लॉ और दूसरा ऑर्डर। पुलिस को ऑर्डर बनाए रखने के लिए कभी-कभी लॉ की बलि चढ़ानी पड़ती है। ऑर्डर बना रहे तो सिस्टम सही चलता है और इस सिस्टम की असली पढ़ाई पुलिस के सिलेबस से बाहर होती है।’
'क्लास ऑफ 83' की कहानी
मुंबई पुलिस का एक काबिल अफ़सर विजय सिंह (बॉबी देओल) कुछ माफिया गैंग के पीछे लगा हुआ है। वह नेता पाटकर (अनूप सोनी) की आंखों में किरकिरी बन जाता है। विजय को मुंबई से हटाकर नासिक के ट्रेनिंग सेंटर का डीन बना दिया जाता है। डीन विजय सिंह जिसे फील्ड में काम करना पसंद था और गुनहगारों को पकड़कर सज़ा दिलवाना चाहता था, वह अब युवाओं को ट्रेनिंग देने लगा।'क्लास ऑफ 83' में ख़ास क्या है?
यहां पर 'क्लास ऑफ 83' का मतलब महाराष्ट्र पुलिस के 1983 बैच से पासआउट हुए कुछ एनकाउंटर स्पेशलिस्ट की टीम से है और महाराष्ट्र पुलिस के पूर्व डीजीपी अरविंद इनामदार की कहानी है। एनकाउंटर स्पेशलिस्ट प्रदीप शर्मा को तो शायद ही कोई भूल सकता है। प्रदीप और उनके साथ के ही कुछ लोगों को अरविंद इनामदार ने ट्रेनिंग दी थी। पत्रकार एस. हुसैन जैदी की किताब ‘क्लास ऑफ 83: द पनिशर्स ऑफ मुंबई पुलिस’ पर आधारित फ़िल्म में 80 के दशक के मुंबई को दिखाया गया है।निर्देशन
निर्देशक अतुल सभरवाल ने फ़िल्म 'क्लास ऑफ 83' का बेहतरीन निर्देशन किया है और उन्होंने कहानी में सच के साथ कल्पना को भी मिलाया है और एक रोचक कहानी तैयार की है। इसके साथ ही फ़िल्म में ज़बरदस्ती का एक्शन या ड्रामा भी नहीं दिखाया गया है। फ़िल्म की कहानी अतुल सभरवाल और अभिजीत देशपांडे ने मिलकर लिखी है। फ़िल्म के डायलॉग, बैकग्राउंड म्यूजिक और साथ ही जो कलर इस्तेमाल किये गये है 80 के दश्क को दिखाने के लिए वो कमाल का है।एक्टिंग
बॉबी देओल ने विजय सिंह के किरदार को शानदार तरीके से पर्दे पर पेश किया है। कभी हम बॉबी देओल को लंबे बालों वाले रोमांटिक हीरो के रूप में देखते थे, लेकिन अब बॉबी देओल ने दूसरी पारी खेलनी शुरू कर दी है और इसी के आधार पर उन्होंने अभिनय किया। विश्वजीत प्रधान ने अपने किरदार को अच्छे से निभाया।फ़िल्म 'क्लास ऑफ 83' एक पुलिस ड्रामा कहानी है जो आपको निराश नहीं करेगी। पहले भी ऐसी कई फ़िल्में बन चुकी है, लेकिन इस फ़िल्म में ज्यादा ड्रामा नहीं दिखाया गया है और न ही बेवजह खींचा गया है।
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