छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव के लिए मतदान हो चुका है। इस चुनाव में एक अज़ीब बात हुई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तसवीर बीजेपी के बैनर-पोस्टरों से ग़ायब रही। चुनाव मुख्यमंत्री रमन सिंह के आसपास ही सिमटकर रह गया। विधानसभा चुनाव में पीएम ने इस बार कुल चार सभाओं को संबोधित किया जबकि पिछली बार उन्होंने राज्य में एक दर्ज़न सभाएँ की थीं।
सियासी गलियारों में है चर्चा
सियासी गलियारों में इस बात की चर्चा जोरों पर है कि आख़िर क्यों पीएम मोदी ने इतनी कम सभाएँ कीं। और तो और पार्टी की प्रचार सामग्री में इक्का-दुक्का को छोड़ दें तो ज्यादातर विज्ञापनों और बैनर-पोस्टरों में मोदी जी की तसवीर नहीं दिखी।अब ऐसा क्यों हुआ इसका सही जवाब तो बीजेपी के नेता ही दे सकते हैं। राज्य की बीजेपी इकाई की इस बारे में दलील है कि पिछली बार नरेंद्र मोदी पीएम इन वेटिंग थे, लेकिन इस विधानसभा चुनाव में वे प्रधानमंत्री पद की व्यस्तताओं के चलते उतना वक़्त नहीं दे पाए। पार्टी की यह भी दलील है कि प्रधानमंत्री की इस तरह से तुलना करना ठीक नहीं है क्योंकि पीएम बनने के बाद वे कई बार छत्तीसगढ़ आए हैं।
बहरहाल बीजेपी की यह दलीलें विरोधी दलों के राजनेताओं को नागवार गुज़र रही हैं। उनका कहना है कि मोदी का जादू अब दिनों दिन खत्म हो रहा है और नोटबंदी, कालाधन, जीएसटी, महँगाई, डीजल-पेट्रोल के दामों में वृद्धि और अन्य कारणों के चलते आम जनता के बीच उनकी साख काफ़ी गिरी है। विपक्षी नेताओं के अनुसार, लिहाज़ा प्रधानमंत्री के बैनर-पोस्टरों से कहीं बीजेपी को ख़ामियाज़ा न भुगतना पड़ जाए, इसलिए पार्टी ने मुख्यमंत्री रमन सिंह को ही छत्तीसगढ़ में मुख्य स्टार प्रचारक के तौर पर प्रोजेक्ट किया। रमन सिंह ने चुनाव में 123 जनसभाओं को संबोधित किया जबकि पीएम मोदी ने सिर्फ़ चार सभाओं को। इसे लेकर राज्य की राजनीति में तरह-तरह की चर्चाएँ हैं। ख़ैर, चुनाव परिणाम 11 दिसंबर को आएँगे। शायद तभी इस सवाल का जवाब मिलेगा।
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