छत्तीसगढ़ के बस्तर में हफ़्ते भर में हुए तीसरे बड़े हमले में बीजेपी विधायक भीमा मंडावी समेत उनकी सुरक्षा में तैनात चार जवानों की मौत के बाद छत्तीसगढ़ की राजनीति गरमा गयी है। छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह ने इस घटना के लिए राज्य की कांग्रेस सरकार को ज़िम्मेदार ठहराया है। उन्होंने तो यहाँ तक कह दिया है कि राज्य सरकार की ओर से माओवादियों को संरक्षण मिल रहा है। फ़िलहाल कांग्रेस की ओर से बीजेपी के आरोपों पर प्रतिक्रिया तो नहीं मिल पायी है, लेकिन चुनावी मौसम में मामला तूल पकड़ सकता है।
इसी हफ़्ते नक्सलियों ने बस्तर में दो और ख़ूनी वारदातों को अंजाम दिया है। इस तरह से नक्सली हमले में मारे गए लोगों की तादाद लगातार बढ़ती जा रही है।
ताज़ा घटना के बाद मतदान कर्मियों से लेकर मतदाताओं की साँसें फूली हुई हैं। बस्तर में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के लिए बड़ी तादाद में पुलिस और केंद्रीय सुरक्षाबलों की तैनाती की गई है। इसके बावजूद नक्सली हिंसक वारदातों को अंजाम दे रहे हैं।
प्रचार में जुटे थे मंडावी
बताया जाता है कि विधायक भीमा मंडावी की बुलेटप्रूफ़ गाड़ी को उड़ाने के लिए नक्सलियों ने भारी मात्रा में विस्फोटक का इस्तेमाल किया था। इसके चलते इस बुलेटप्रूफ़ गाड़ी के परखच्चे उड़ गए। दंतेवाड़ा के एसपी अभिषेक पल्लव ने विस्फोट की पुष्टि करते हुए बताया कि मौक़े पर अतिरिक्त बल रवाना किया गया। उनके मुताबिक़ विधायक भीमा मंडावी लोकसभा चुनाव के प्रचार में जुटे थे। इसी दौरान कुआकोंडा क्षेत्र के नकुलनार-बचेली मार्ग पर नक्सलियों ने इस वारदात को अंजाम दिया। इस घटना के बाद छत्तीसगढ़ में राजनैतिक माहौल गरमाने के आसार हैं।
बताया जाता है कि विस्फोट की चपेट में आए जवानों की मौक़े पर ही मौत हो गई। भीमा मंडावी हाल ही में दंतेवाड़ा विधानसभा सीट से विधायक बने थे। उन्होंने कांग्रेस की आदिवासी नेता देवकी कर्मा को भारी मतों से पराजित किया था। बस्तर की बारह विधानसभा सीटों में से दंतेवाड़ा ही एकमात्र ऐसी सीट थी जो बीजेपी के खाते में दर्ज हुई थी। यहाँ शेष ग्यारह विधानसभा सीटों पर कांग्रेस का कब्ज़ा है।
बीजेपी और कांग्रेस की नीतियाँ अलग
दरअसल, नक्सली उन्मूलन अभियान को लेकर बीजेपी और कांग्रेस की नीति में काफ़ी फ़र्क है। पिछले दौर में जहाँ राज्य की तत्कालीन बीजेपी सरकार नक्सलियों के ख़िलाफ़ रणनीतिक तौर पर काफ़ी आक्रामक थी। वहीं मौजूदा कांग्रेस सरकार अभी तक नक्सली हिंसा को लेकर कोई ठोस रणनीति नहीं बना पाई है। इसके उलट कांग्रेस सरकार की दलील है कि यह आर्थिक सामाजिक समस्या है। इसलिए इलाक़े के लोगों से मिलकर कोई फ़ैसला लिया जाएगा। राज्य सरकार के इस क़दम के बाद बस्तर में नक्सली उन्मूलन अभियान ठप्प पड़ गया है। पुलिस और केंद्रीय सुरक्षाबलों ने पिछले चार माह में कोई बड़े ऑपरेशन नहीं किए हैं। ज़्यादातर इलाक़ों में सिर्फ़ रोड ओपनिंग पार्टी की औपचारिकताएँ पूरी कर पुलिस और केंद्रीय सरक्षाबलों के जवान अपने बैरकों में लौट जाते हैं। इसके चलते नक्सलियों के हौसले बुलंद हैं और वे एक के बाद एक बड़ी नक्सली वारदातों को अंजाम दे रहे हैं।
कांग्रेस सरकार ज़िम्मेदार: रमन सिंह
छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह ने इस घटना के लिए राज्य की कांग्रेस सरकार को ज़िम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की ओर से माओवादियों को मिल रहे संरक्षण के चलते बस्तर में नक्सलियों की तूती बोल रही है। नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने माँग की है कि बस्तर में चुनाव स्थगित किया जाए। उन्होंने इस घटना के लिए कांग्रेस को ज़िम्मेदार ठहराया है। उधर इस घटना को लेकर कांग्रेस की ओर से कोई अधिकृत बयान अभी नहीं आया है। हालाँकि लोक भा चुनाव प्रचार को लेकर दौरे में गए भूपेश बघेल ने इस घटना की ख़बर लगते ही अपने सभी कार्यक्रम रद्द कर दिए। उन्होंने मुख्यमंत्री निवास में एक उच्च स्तरीय बैठक बुलाई। इसमें पुलिस और केंद्रीय सुरक्षा बलों के आला अफ़सरों ने हिस्सा लिया।
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