छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ आदिवासी नेता और 77 वर्षीय पूर्व सांसद नंद कुमार साय, जिन्होंने एक दिन पहले भाजपा छोड़ दी थी, सोमवार को राज्य की सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए।
राज्य भाजपा के पूर्व नेता प्रतिपक्ष साय ने छत्तीसगढ़ में आदिवासियों के धर्मांतरण के खिलाफ सक्रिय रूप से आवाज उठाई। वह सीएम पद के संभावित उम्मीदवारों में से थे, लेकिन ऐन वक्त पर बीजेपी नेतृत्व ने रमन सिंह को उनके स्थान पर चुना गया था। इसके बाद कई आदिवासी संगठनों ने बीजेपी पर आरोप लगाया था कि पार्टी हमेशा उच्च जाति के सवर्णों को पसंद करती है और दलित, आदिवासियों के नेताओं को मौके नहीं देती है।
साय आदिवासी क्षेत्रों में शिक्षा के प्रसार में सक्रिय रूप से शामिल रहे हैं। शराबबंदी के प्रबल समर्थक रहे नंद किशोर साय आदिवासियों के शोषण और उनके खिलाफ अत्याचार का विरोध करने के लिए विभिन्न आंदोलनों में सबसे आगे रहे हैं।
नंद कुमार साय के भाजपा छोड़ने का घटनाक्रम ऐसे समय आया है जब छत्तीसगढ़ में इसी साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं। आदिवासी नेता नंद कुमार ने कहा है कि भाजपा में राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता चरम पर है और उन्हें पार्टी में झूठे आरोपों का सामना करना पड़ा।
उल्लेखनीय है कि नंदकुमार साय 2003-05 के बीच छत्तीसगढ़ भाजपा प्रमुख थे और 2000 में मध्य प्रदेश से छत्तीसगढ़ के अलग होने से पहले वह 1997 से 2000 तक मध्य प्रदेश भाजपा प्रमुख थे। 2017 में साय को राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति (NCST) आयोग का प्रमुख बनाया गया था। वो पूर्व दो बार लोकसभा सांसद और तीन बार विधायक भी रह चुके हैं।
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