छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के राजनीतिक सलाहकार विनोद वर्मा ने गुरुवार को कहा कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की एक टीम ने बुधवार को उनके घर पर "डकैती" डाली। केंद्रीय एजेंसी झूठ बोल रही है कि महादेव ऑनलाइन गेमिंग ऐप मामले में एक मुख्य आरोपी उनसे संबंधित था।
ईडी ने बुधवार को विनोद वर्मा और दो ओएसडी के ठिकानों पर छापा मारा और चार लोगों को गिरफ्तार किया। मनी लॉन्ड्रिंग का मामला महादेव ऐप रैकेट से संबंधित है, जो एक ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफॉर्म है जिस पर कथित तौर पर लोगों को धोखा देने का आरोप है। ईडी ने मीडिया को दी गई सूचना में दावा किया था कि इस गेमिंग प्लेटफॉर्म पर 5,000 करोड़ रुपये के करीब लेनदेन किया गया है।
गिरफ्तार किए गए चार लोगों में छत्तीसगढ़ पुलिस के सहायक उप निरीक्षक चंद्रभूषण वर्मा भी शामिल हैं, जो ईडी के अनुसार, विनोद वर्मा से संबंधित हैं। ईडी ने आरोप लगाया कि विनोद वर्मा के संबंधों का इस्तेमाल करते हुए चंद्रभूषण वर्मा ने छत्तीसगढ़ में वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों और सत्ता में बैठे राजनेताओं को 65 करोड़ रुपये की रिश्वत दी। एजेंसी ने आरोप लगाया कि विनोद वर्मा के माध्यम से एएसआई वर्मा मुख्यमंत्री कार्यालय के संपर्क में थे।
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) के सदस्य, 57 साल के विनोद वर्मा ने गुरुवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि ईडी अफवाहों पर काम कर रही है। मैं 1987 से पत्रकार हूं और कुछ साल पहले राजनीति में आ गया हूं। मेरे पास छिपाने के लिए कुछ भी नहीं है। मेरे घर की धूल भी मेरे पैरों की है। ईडी का कहना है कि मैं 65 करोड़ रुपये के (मनी लॉन्ड्रिंग) मामले में शामिल हूं। मैं कहना चाहता हूं कि मैंने एक पैसे का भी गलत इस्तेमाल नहीं किया है और आरोप महज कुछ साल पहले छपी एक पत्रिका के काल्पनिक समाचार पर आधारित हैं।'
विनोद वर्मा ने कहा- “मैं एएसआई वर्मा से संबंधित नहीं हूं। उनके पास क्या सबूत है कि मेरा उनसे कोई संबंध है? साथ ही, उनके पास क्या सबूत है कि हम संपर्क में थे? ये छापे अफवाहों और मेरे खिलाफ सिर्फ एक व्यक्ति के बयान पर आधारित है। उनके पास कोई सबूत नहीं है।'' वर्मा ने कहा कि वह उस पत्रिका के खिलाफ मानहानि का मामला दायर करेंगे।
उन्होंने कहा- “मैंने अपनी पत्नी द्वारा खरीदे गए गोल्ड के एक जेवर को छोड़कर खरीदे गए गोल्ड के सभी बिल प्रस्तुत किए। लेकिन उन्होंने फिर भी यह कहते हुए गोल्ड जब्त कर लिया कि यह साबित करने की जिम्मेदारी मुझ पर है कि मैंने इन बिलों का भुगतान कैसे किया। उन्होंने मेरे बेटे की शादी के दिन उपहार के रूप में हमें जो कैश मिला था, उसे भी लिफाफे सहित कब्जे में ले लिया। यह डकैती है, लूट है…।”
वर्मा ने कहा कि उन्होंने कुछ साल पहले चंद्रभूषण वर्मा से भी मुलाकात की थी और एएसआई को उनके नाम का दुरुपयोग करने पर कार्रवाई की चेतावनी दी थी। वर्मा ने यह भी कहा कि उन्होंने दिसंबर 2022 में दुर्ग पुलिस को संबंधित गेमिंग ऐप के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए लिखा था।
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