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फ़ाइल फोटो

ईडी की चार्जशीट में आया भूपेश बघेल का नाम, अब जल्द मिल सकता है समन 

महादेव सट्टा ऐप से जुड़े भ्रष्टाचार के मामले में छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल फंसते नजर आ रहे हैं। 
इस केस में उनका नाम तो छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के समय ही आया था लेकिन अब ईडी की चार्जशीट में भी उनका नाम शामिल किया गया है। 
ईडी की चार्जशीट में कहा गया है कि छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के दौरान भूपेश बघेल को महादेव सट्टा एप के प्रमोटरों द्वारा 508 करोड़ रुपए दिए गए थे। ईडी की चार्जशीट में नाम आने के बाद अब माना जा रहा है कि जांच एजेंसी द्वारा उन्हें कभी भी पूछताछ के लिए समन भेजा जा सकता है। 
एनडीटीवी की एक रिपोर्ट कहती है कि महादेव सट्टा ऐप केस में आरोपी असीम दास ने अपने बयान में बघेल का नाम लिया है। उसने बताया है कि बघेल को चुनाव के दौरान महादेव ऐप प्रोमोटर्स की ओर से 508 करोड़ रुपये दिए गए थे। इस बीच मुंबई से इस केस में पहली गिरफ़्तारी हो गई है। 
मुंबई क्राइम ब्रांच की एसआईटी ने दीक्षित कोठारी नाम के आरोपी को गिरफ़्तार किया है। पुलिस ने बताया है कि कोठारी एक बेटिंग एप्लिकेशन का मुख्य संचालक है। उस पर विदेश में डोमेन रजिस्टर करवाकर भारत में बेटिंग ऐप चलाने का आरोप है।
एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक आरोपी असीम दास के ठिकाने से ईडी ने 5 करोड़ 39 लाख रुपये बरामद किए गए थे। ईडी की तरफ से दाखिल चार्जशीट में असीम दास के अलावा शुभम सोनी, अमित अग्रवाल, रोहित गुलाटी, भीम सिंह के भी नाम दर्ज हैं। 
सूत्रों के मुताबिक ईडी की करीब 1,700-1,800 पन्नों की नई चार्जशीट एक जनवरी को दायर की गई थी। इसमें पांच लोगों को आरोपी के रूप में नामित किया गया है। इनमें कथित कैश कूरियर असीम दास, पुलिस कांस्टेबल भीम सिंह यादव, ऐप से जुड़े एक प्रमुख कार्यकारी शुभम सोनी और अन्य शामिल हैं। 
ईडी के वकील सौरभ पांडे ने बताया कि पीएमएलए अदालत द्वारा 10 जनवरी को इस चार्जशीट पर संज्ञान लेने की उम्मीद है। 
ईडी की चार्जशीट के बाद छत्तीसगढ़ के पूर्व डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव ने कहा है कि ईडी ने विधानसभा चुनाव के समय राज्य में चुनाव को प्रभावित करने के लिए भूपेश बघेल का नाम लिया था। उन्होंने कहा कि, जिस असीम दास के बयान के आधार पर उनका नाम जोड़ा गया उस असीम दास ने खुद कहा था कि उससे ये बयान दबाव डालकर लिया गया है। 
भ्रष्टाचार से जुड़े दूसरे केसों में अरविंद केजरीवाल, हेमंत सोरेन समेत विपक्ष के कई नेताओं पर ईडी की जांच पहले से ही चल रही है। इसी कड़ी में अब भूपेश बघेल का नाम भी शामिल हो चुका है। 
अब माना जा रहा है कि वह अरविंद केजरीवाल और हेमंत सोरेन की तरह ईडी भूपेश बघेल को भी समन भेज कर पूछताछ के लिए कभी भी बुला सकती है। ऐसे में भूपेश बघेल की मुसीबतें बढ़ती नजर आ रही है। 
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बघेल ने आरोपों का किया खंडन 

वहीं इस पूरे मामले पर छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि ईडी अपने राजनैतिक आकाओं के इशारे पर साजिश रच रही है। 
उन्होंने सोशल मीडिया साइट एक्स पर लिखा है किप्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने अपने सप्लीमेंट्री चार्जशीट में जिस तरह से मेरा नाम लिखा है, वह पूरी तरह से राजनीतिक षड्यंत्र का हिस्सा है। ईडी अपने राजनीतिक आकाओं के इशारे पर कूटरचना कर लोगों को गिरफ़्तार कर रही है और उनसे दबावपूर्वक मेरे और मेरे सहयोगियों के ख़िलाफ़ बयान दिलवा रही है। इन बयानों में जो पैसों के लेनदेन के आरोप लगाए गए हैं उनका कोई आधार नहीं है।
उन्होंने एक्स पर लिखा है कि, जिस असीम दास के पास से रुपए बरामद हुए थे उसने जेल से अपने हस्तलिखित बयान में कह दिया है कि उन्हें भी धोखे में रखकर फंसाया गया है और उन्होंने कभी किसी राजनेता व उनसे जुड़े लोगों को पैसा नहीं पहुंचाया। अब ईडी दावा कर रही है कि उसने यह बयान भी वापस ले लिया है। यह किस दबाव में हो रहा है, उसे सब जानते हैं।

अब सवाल यह है कि ईडी ने जिस दिन कथित रूप से असीम दास से रुपए बरामद किए थे उस घटना की पूरी रिकॉर्डिंग ईडी के पास है।

इसका मतलब है कि पूरी घटना पूर्व नियोजित थी और इसका मतलब यही है कि इसकी कूटरचना ईडी ने ही की थी।

भूपेश बघेल ने एक्स पर लिखा है कि, ईडी ने दावा किया है कि चंद्रभूषण वर्मा ने भी अपना पहले का बयान वापस ले लिया है। हम तो शुरुआत से कह रहे हैं कि ईडी मारपीट से लेकर धमकी देने तक हर हथकंडे अपनाकर मेरा व मेरे सहयोगियों का नाम लेने का दबाव बना रही है। ईडी के नए दस्तावेज से यह और स्पष्ट हो गया है।

महादेव ऐप के घोटाले की जाँच मैंने ही मुख्यमंत्री रहते हुए खुद शुरू की थी। मैं चाहता था कि इस पूरे गिरोह का भंडाफोड़ हो और युवाओं को जुआखोरी की ओर धकेल रहे इस अपराध पर रोक लगे।

छत्तीसगढ़ सरकार की इस जांच के आधार पर ही ईडी धन-शोधन का मामला बनाकर जाँच कर रही है लेकिन दुर्भाग्य है कि ईडी ने जाँच को अपराध की बजाय राजनीतिक दबाव व बदनामी का हथियार बना लिया है।

महादेव ऐप के पूरे मामले को जिस तरह से राजनीतिक रंग दिया गया है उससे साफ है कि इसका उद्देश्य अब असली अपराधियों को बचाने और राजनीतिक दुष्प्रचार कर भाजपा को फायदा पहुँचाने का ही रह गया है।
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क़मर वहीद नक़वी
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