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श्री बाबू की जयंती के बहाने बिहार कांग्रेस क्यों कर रही है लालू यादव का गुणगान 

बिहार के पहले मुख्यमंत्री श्रीकृष्ण सिंह की 136वीं जयंती पर कांग्रेस ने गुरुवार को पटना स्थित अपने प्रदेश मुख्यालय में भव्य समारोह आयोजित किया।
 श्रीकृष्ण सिंह स्वतंत्रता सेनानी होने के साथ ही बिहार के बड़े नेताओं में से रहे हैं लेकिन इससे पूर्व उनका जयंती समारोह बस खानापूर्ति के तौर पर मनाया जाता था। 
यह समारोह पहली बार इतने भव्य तरीके से मनाया गया है कि बिहार में चर्चा का विषय बन चुका है। इसकी खास बात यह रही कि भले ही समारोह श्रीकृष्ण सिंह की जयंती पर था लेकिन इसमें राजद सुप्रीमों लालू प्रसाद यादव का गुणगन जमकर हुआ। उन्हें जन-जन का नेता बताया गया। 
खुद बिहार प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अखिलेश सिंह ने अपने संबोधन में लालू यादव की खूब तारीफें की हैं। 
उन्होंने कहा है कि लालू जी और उनके परिवार को भी भाजपा सरकार के इशारे पर सीबीआई और ईडी प्रताड़ित करने का काम कर रही है। लालू जी का स्वास्थ्य सही रहा तो निश्चित रुप से इंडिया गठबंधन मोदी जी का बिहार में खाता भी नहीं खुलने देगा। 
लालू यादव को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी का एक - एक कार्यकर्ता इस लड़ाई में आप के साथ है। आप जब आगे चल दीजियेगा तो मोदी जी को जगह नहीं मिलेगी। मुझे आप पर भरोसा है।  
इस जयंती समारोह के कारण ही लालू यादव करीब 8 वर्ष के बाद बिहार कांग्रेस मुख्यालय पहुंचे थे। उनके पहुंचने को लेकर राजनैतिक चर्चाओं का बाजार गर्म है। ऐसे में बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि  श्रीकृष्ण सिंह की इस भव्य जयंती समारोह मनाने के पीछे क्या कोई राजनैतिक मकसद है?
 लालू यादव कांग्रेस के इस समारोह में बतौर मुख्य अतिथि क्यों पहुंचे थे ? बिहार प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अखिलेश सिंह ने मंच से लालू यादव का इतना गुणगान क्यों किया, क्या इसके पीछे भी कोई राजनीति है ? 
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जयंती समारोह के बहाने भूमिहार वोट पर है नजर 

बिहार में कांग्रेस एक मात्र ऐसी पार्टी है जिसका अब कोई भी मजबूत वोट बैंक नहीं है। कभी सवर्ण कांग्रेस के परंपरागत वोट बैंक माने जाते थे। आज स्थिति यह है कि सवर्ण भाजपा की तरफ जा चुके हैं। सवर्ण गरीबों को केंद्र सरकार ने 10 प्रतिशत आरक्षण देकर अपनी ओर खींचने में बड़ी सफलता हासिल की है। 
ऐसे में श्रीकृष्ण सिंह की जयंती समारोह के जरिये कांग्रेस ने राज्य के भूमिहार समाज को अपनी ओर लाने की कोशिश की है। भूमिहार जाति सवर्णों में एक बड़ा वोट बैंक है। अखिलेश सिंह खुद इस जाति से आते हैं। उन पर दबाव यह भी है कि कम से कम उनकी जाति का कुछ वोट प्रतिशत भी कांग्रेस के तरफ आये। 
इसके लिए वे लगातार प्रयास करते रहे हैं।  श्रीकृष्ण सिंह की जयंती को बड़े स्तर पर मना कर वह भूमिहार समाज को संदेश देना चाहते हैं कि कांग्रेस पार्टी उनकी जाति से आने वाले महापुरुषों को याद करती रहती है। 
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लालू के गुणगान के पीछे अखिलेश का उनसे पुराना जुड़ाव है

अखिलेश सिंह आज भले ही बिहार प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष हैं लेकिन बिहार की राजनीति में उन्हें लालू यादव के विश्वासपात्र करीबी के तौर पर जाना जाता है। 
उन्होंने अपनी राजनीति लालू यादव के देखरेख में ही शुरु की थी। लालू की पार्टी में वह रह भी चुके हैं और लालू ने उन्हें बिहार सरकार में मंत्री भी बनाया था। 
ऐसे में माना जाता है कि कांग्रेस में वह लालू सबसे नजदीकी व्यक्ति हैं। समय-समय पर अखिलेश सिंह इस बात को स्वीकार भी करते रहे हैंं। 

सीट बंटवारे में लालू का सहारा मिलने की है उम्मीद

अखिलेश सिंह द्वारा कांग्रेस के कार्यक्रम में लालू यादव को मुख्य अतिथि के तौर पर बुलाना और उनके गुणगान करने की वजह को राजनैतिक विश्लेषक आगामी लोकसभा चुनाव में सीटों के बंटवारे से जोड़कर देख रहे हैं। माना जा रहा है कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार राज्य में कांग्रेस को कोई खास महत्व नहीं दे रहे हैं। 

कांग्रेस के कोटे से दो और नेताओं को राज्य मंत्रीमंडल में मंत्री बनाया जाना था लेकिन यह आज तक हो नहीं पाया है। कांग्रेस पार्टी के एजेंडे राज्य सरकार में हाशिये पर हैं। ऐसे में बिहार कांग्रेस अध्यक्ष अखिलेश सिंह पर अब सबसे बड़ा दबाव यह है कि आगामी लोकसभा चुनाव में होने वाले सीट बंटवारे में पार्टी को अधिक सीट दिला सकें।
 सीट बंटवारे में नीतीश कुमार और लालू यादव अपनी-अपनी पार्टी के लिए अधिक से अधिक चाहेंगे। बिहार की राजनीति पर नजर रखने वालों का मानना है कि सीटों के बंंटवारे में बड़े फैसले भले ही कांग्रेस आलाकमान करेगा लेकिन राज्य के कांग्रेस अध्यक्ष की भी इसमें बड़ी भूमिक होगी।
 ऐसे समय में अखिलेश को लालू यादव से मदद मिलने की उम्मीद है। उन्हें भरोसा है कि उनके पुराने मार्गदर्शक रहे लालू यादव उस समय कांग्रेस को बिहार से अधिस सीट दिलवाने में सहायता कर सकते हैं। 
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क़मर वहीद नक़वी
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