आरजेडी नेता तेजस्वी यादव के ख़िलाफ़ मोर्चा खोल चुके राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (आरएलएसपी) के प्रमुख और पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा ने अपने नये क़दम का एलान कर दिया है। उन्होंने कहा कि आरएलएसपी अब बिहार में बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) और जनवादी पार्टी (सोशलिस्ट) के साथ मिलकर चुनाव लड़ेगी। उन्होंने कहा कि ‘अबकी बार-शिक्षा वाली सरकार’ के नारे के साथ हम लोग चुनाव मैदान में जाएंगे।
इस मौक़े पर कुशवाहा ने एक बार फिर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर जोरदार हमला बोला। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि महागठबंधन के वर्तमान नेतृत्व को बदलने की ज़रूरत है लेकिन आरजेडी इसके लिए तैयार नहीं थी।
महागठबंधन में सीटों के बंटवारे या मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर लंबे घमासान के बाद भी कोई सहमति नहीं बनने के कारण कुशवाहा नाराज चल रहे थे। कुशवाहा के अलावा कांग्रेस से लेकर जीतन राम मांझी और विकासशील इंसान पार्टी के प्रमुख मुकेश सहनी भी लंबे समय से इन मुद्दों को उठा रहे थे।
आरजेडी का हठ
कुशवाहा ने कुछ दिन पहले भी कहा था कि तेजस्वी यादव का नेतृत्व उन्हें स्वीकार नहीं है और उनके पास सारे विकल्प खुले हैं। लेकिन आरजेडी का साफ कहना है कि मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के अलावा किसी और के बारे में चर्चा भी उसे स्वीकार नहीं है। जानकारों का कहना है कि आरजेडी के हठ से नाराज होकर ही मांझी के बाद कुशवाहा भी चले गए।
कुशवाहा पिछले लोकसभा चुनाव से ठीक पहले एनडीए छोड़कर महागठबंधन में आए थे। बताया जाता है कि आरजेडी 243 में से 160 सीटों पर खुद लड़ना चाहती है। ऐसे में कांग्रेस और दूसरे दलों का नाराज होना लाजिमी है।
कांग्रेस भी तेजस्वी पर तैयार नहीं
महागठबंधन में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस का भी कहना है कि मुख्यमंत्री पद के चेहरे को लेकर अब तक फ़ैसला नहीं हुआ है। इसका मतलब यह है कि इन दलों के बीच में आपस में किसी तरह की बातचीत ही नहीं हो रही है। ऐसे में जब 28 अक्टूबर को पहले चरण का मतदान होना है, महागठबंधन के भीतर हालात ठीक नहीं होने का अंदाजा लगाया जा सकता है।महागठबंधन के चेहरे को लेकर बिहार के कांग्रेस प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल ने ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ से हाल ही में कहा कि आरजेडी द्वारा तेजस्वी को मुख्यमंत्री का चेहरा बनाने पर कोई आपत्ति नहीं है लेकिन जब बात गठबंधन की आती है, तो हमें दूसरे दलों से भी बात करनी होती है। गोहिल ने कहा कि हमें छोटी बातों और अपने अहंकार को दूर रखना चाहिए जिससे सत्ता विरोधी वोटों का बंटवारा न हो।
पहले मांझी और अब कुशवाहा के जाने से यह साफ होता है कि महागठबंधन में हालात ठीक नहीं है। चुनाव मुंह के सामने हैं लेकिन एक के बाद एक सहयोगी साथ छोड़ रहे हैं। मुकेश सहनी और वाम दलों की नाराज़गी की भी ख़बरें हैं।
बिहार की 243 सीटों पर चुनाव तीन चरणों में होगा और 10 नवंबर को चुनाव नतीजे आएंगे। पहले चरण में 16 जिलों की 71 सीटों पर, दूसरे चरण में 17 जिलों की 94 सीटों पर और तीसरे चरण में 15 जिलों की 78 सीटों पर चुनाव होगा। पहले चरण का मतदान 28 अक्टूबर को, दूसरे चरण का मतदान 3 नवंबर को और तीसरे चरण का मतदान 7 नवंबर को होगा। पहले चरण के मतदान में एक महीना ही बचा है।
मुश्किल में महागठबंधन
यह साफ है कि कांग्रेस भी तेजस्वी यादव को आसानी से मुख्यमंत्री के चेहरे के रूप में स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं है। पिछले लोकसभा चुनाव में औंधे मुंह गिर चुके महागठबंधन ने शायद कोई सबक नहीं लिया, वरना उसे अब तक सीटों के बंटवारे और मुख्यमंत्री के चेहरे को बहुत पहले ही सुलझा लेना चाहिए था।
इससे विपक्ष के द्वारा नीतीश कुमार के ख़िलाफ़ बनाया गया चुनावी माहौल कमजोर पड़ता दिख रहा है। बिहार में लॉकडाउन के दौरान लौटे मजदूरों के रोज़गार या क्वारेंटीन सेंटर्स की बदहाली, बाढ़ से परेशान लोगों के मुद्दों को उठाकर विपक्ष ने थोड़ा बढ़त बनाने की कोशिश की थी लेकिन इसके साथ ही चुनाव लड़ने के लिए बेहद ज़रूरी कि सीटों के बंटवारे और चेहरे पर फ़ैसला हो, उस पर वह नाकाम रहा।
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