बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार सरकार में दो उप मुख्यमंत्री बनाए जाने की संभावनाओं को पूरी तरह खारिज कर दिया है। बता दें कि बिहार की सियासत में इस बात की जोरदार चर्चा है कि जेडीयू के संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा नीतीश कैबिनेट में आना चाहते हैं और उनकी नजर उप मुख्यमंत्री की कुर्सी पर है।
उपेंद्र कुशवाहा के डिप्टी सीएम बनने की चर्चा उनके एक हालिया बयान से तेज हुई थी जिसमें उन्होंने कहा था कि वह राजनीति में लोगों की सेवा करने के लिए आए हैं और यह स्वाभाविक है कि कोई इसलिए कुर्सी चाहता है क्योंकि वह लोगों की सेवा कर सके।
इसके अलावा एक न्यूज़ चैनल के साथ बातचीत में जब पूर्व केंद्रीय मंत्री कुशवाहा से पूछा गया था कि क्या वह राज्य की जेडीयू-आरजेडी सरकार में मंत्री बनने की दौड़ में हैं, तो उन्होंने इसके जवाब में कहा कि वह किसी मंदिर के संन्यासी नहीं हैं। हालांकि उन्होंने कहा था कि इस बारे में अंतिम फैसला मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ही लेंगे।
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लेकिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दो उप मुख्यमंत्री बनाए जाने से इनकार किया है। बता दें कि आरजेडी के नेता और तेजस्वी यादव राज्य की जेडीयू-महागठबंधन सरकार में उप मुख्यमंत्री हैं।
ऐसी चर्चा है कि 14 जनवरी को खरमास खत्म होने के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपनी कैबिनेट का विस्तार कर सकते हैं।
फालतू चर्चा बताया
इन दिनों बिहार में समाधान यात्रा निकाल रहे नीतीश कुमार ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि उप मुख्यमंत्री वाली चर्चा बिल्कुल फालतू है। उन्होंने कहा कि वह तो पिछली बार बीजेपी ने राज्य सरकार में 2 नेताओं को उप मुख्यमंत्री बना दिया था वरना उससे पहले तो एक ही उप मुख्यमंत्री होता था।
याद दिलाना होगा कि साल 2020 के विधानसभा चुनाव के बाद बनी बीजेपी-जेडीयू सरकार में बीजेपी की ओर से रेणु देवी और तारकिशोर प्रसाद को उप मुख्यमंत्री बनाया गया था। जबकि उससे पहले बीजेपी-जेडीयू सरकार में सुशील कुमार मोदी उप मुख्यमंत्री थे।
यानी आमतौर पर सरकार चाहे जेडीयू-बीजेपी की रही हो या फिर जेडीयू और महागठबंधन की, उप मुख्यमंत्री सिर्फ एक ही नेता को बनाया जाता रहा है। लेकिन पिछले दिनों उपेंद्र कुशवाहा के उप मुख्यमंत्री बनने की चर्चाओं ने राज्य की सियासत में यह सवाल खड़ा किया कर दिया था कि क्या एक बार फिर बिहार में दो उप मुख्यमंत्री होंगे।
बीते साल अगस्त में नीतीश कुमार ने एनडीए का साथ छोड़कर महागठबंधन के साथ मिलकर बिहार में सरकार बनाई थी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार सरकार में 7 दल शामिल हैं और इसमें सभी राजनीतिक दलों से सब कुछ तय करके ही मंत्रिमंडल का विस्तार किया जाएगा। उन्होंने कांग्रेस की ओर से मंत्री बनाए जाने की भी बात कही। बिहार सरकार में कांग्रेस के दो मंत्री हैं।
आरजेडी ने उठाया था सवाल
इस मामले में आरजेडी के प्रवक्ता शिवानंद तिवारी ने कहा था कि बिहार में लगभग 80 विधायकों वाली जो पार्टी है उसका सिर्फ एक उप मुख्यमंत्री बनेगा और जिस पार्टी के पास 43-44 विधायक हैं उसे मुख्यमंत्री का पद भी मिलेगा और उप मुख्यमंत्री का पद भी। उन्होंने सवाल उठाया था कि क्या यह कहीं से व्यावहारिक है।
अब जब नीतीश कुमार ने यह साफ कर दिया है कि बिहार सरकार में दो उप मुख्यमंत्री नहीं होंगे तो सवाल सबसे बड़ा यही है कि पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा क्या करेंगे। क्या वह जेडीयू में बने रहेंगे?
एनडीए में लौटने की थी चर्चा
पिछले साल अक्टूबर-नवंबर में इस बात की चर्चा चली थी कि उपेंद्र कुशवाहा एनडीए में वापस लौट सकते हैं और वह बीजेपी के शीर्ष नेताओं के संपर्क में हैं। लेकिन कुशवाहा ने ऐसी खबरों को खारिज कर दिया था और कहा था कि बीजेपी के साथ जाने की बात सोचना भी अपराध है।
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नीतीश के पुराने साथी हैं कुशवाहा
उपेंद्र कुशवाहा लंबे वक्त तक मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के ही साथ थे। लेकिन मार्च 2013 में उन्होंने नीतीश का साथ छोड़कर राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (आरएलएसपी) का गठन किया था और कुछ साल एनडीए में रहने के बाद वह 2021 में जेडीयू में वापस आ गए थे। मार्च 2021 में कुशवाहा ने अपनी पार्टी आरएलएसपी का जेडीयू में विलय कर दिया था। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उपेंद्र कुशवाहा को विधान परिषद का सदस्य बनाने के साथ ही जेडीयू के संसदीय बोर्ड का अध्यक्ष बनाया था।
लेकिन पिछले कुछ महीनों से बिहार के सियासी गलियारों में ऐसी चर्चा थी कि उपेंद्र कुशवाहा नीतीश कुमार की कैबिनेट में जगह न मिलने की वजह से नाराज हैं और उप मुख्यमंत्री की कुर्सी हासिल करने के लिए जोड़-तोड़ कर रहे हैं।
जिंदा होगी रालोसपा?
खबरों के मुताबिक, उपेंद्र कुशवाहा ने कुछ दिन पहले अपनी पुरानी पार्टी रालोसपा के टिकट पर पिछला लोकसभा और विधानसभा चुनाव लड़ने वाले नेताओं के साथ बैठक की है और माना जा रहा है कि वह रालोसपा को फिर से जिंदा करेंगे।
उपेंद्र कुशवाहा एनडीए में रहकर लोकसभा का चुनाव लड़ चुके हैं और मोदी सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव में सीट बंटवारे से नाखुश होकर उन्होंने एनडीए छोड़ दिया था लेकिन बदले सियासी हालात में क्या कुशवाहा आरएलएसपी को फिर से खड़ा करके एनडीए में वापस लौटेंगे। देखना होगा कि कुशवाहा का अगला राजनीतिक कदम क्या होगा?
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