राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) नेता तेजस्वी यादव ने सोमवार को पीएम मोदी से भावनात्मक अपील की। तेजस्वी ने कहा- "मुझे प्रधानमंत्री से केवल यही कहना है... और मैं यह हाथ जोड़कर कहता हूं। कृपया वास्तविक मुद्दों पर बात करें और नफरत की इस राजनीति को छोड़ दें। देश के युवा और बुजुर्ग, किसान और व्यापारी, और माताएं और बहनें ...सभी लोगों के मुद्दे समान हैं,''
बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी ने कहा- "हर कोई गरीबी से उबरने और जीवन यापन के लिए नौकरियां ढूंढना चाहता है... इसलिए मैं फिर से प्रधानमंत्री से इन वास्तविक मुद्दों पर चर्चा करने और हमें बताने के लिए कहता हूं कि पिछले 10 वर्षों में, आपने देश के लिए क्या किया है और बिहार के लिए क्या किया?"
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तेजस्वी ने पटना में पत्रकारों से कहा. "बिहार...देश के लिए आपका (मोदी) वास्तविक दृष्टिकोण क्या है? वह इस बारे में बात नहीं कर रहे हैं और इसके बजाय, मंदिरों और मुसलमान के बारे में शोर मचा रहे हैं। यह अच्छा नहीं है...। मोदी के राजस्थान में दिए गए साम्प्रदायिक भाषण पर अकेले तेजस्वी ने ही प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं की है। इससे पहले कांग्रेस सांसद राहुल गांधी, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, समाजवादी पार्टी के प्रमुख और यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी प्रधानमंत्री मोदी के भाषण को "झूठ" का पुलिंदा बताया।
राजस्थान में मोदी ने क्या कहा?: रविवार को बांसवाड़ा में मोदी ने कहा था, "ये 'अर्बन नक्सली' (कांग्रेस और राहुल गांधी) मानसिकता वाले माताओं और बहनों, वे आपके 'मंगलसूत्र' को भी नहीं छोड़ेंगे। वे उस स्तर तक जा सकते हैं ... कांग्रेस के घोषणापत्र में कहा गया है कि वे आपके गोल्ड का हिसाब करेंगे माताओं और फिर उस संपत्ति को किसको बांटेंगे। मोदी ने खुद ही इसका जवाब दिया - मनमोहन सिंह की सरकार ने कहा था कि संपत्ति पर पहला अधिकार मुसलमानों का है।'' "पहले, जब उनकी (कांग्रेस) सरकार सत्ता में थी, तो उन्होंने कहा था कि देश की संपत्ति पर पहला अधिकार मुसलमानों का है। इसका मतलब है कि यह संपत्ति किसे वितरित की जाएगी? यह उन लोगों में वितरित की जाएगी जिनके अधिक बच्चे हैं। क्या आपकी मेहनत की कमाई घुसपैठियों के पास जानी चाहिए? हालांकि मोदी का यह भाषण तथ्यहीन और फर्जी पाया गया। देश के सभी मीडिया ने खबर प्रकाशित की है कि पूर्व पीएम डॉ मनमोहन सिंह ने ऐसा भाषण या ये बातें कभी नहीं कही थीं। लेकिन मोदी का बयान झूठा साबित होने के बाद मोदी ने अलीगढ़ में सोमवार को नए सिरे से कांग्रेस पर हमला किया। वो मुसलमानों का नाम लेते-लेते संभल गए।
मोदी और भाजपा ने पहले भी कांग्रेस के चुनावी घोषणापत्र पर "मुस्लिम लीग छाप" और "झूठ का पुलिंदा" होने का आरोप लगाया था। प्रधानमंत्री ने उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में एक चुनावी रैली में कहा था, "कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में झूठ का पुलिंदा जारी किया है... हर पन्ने पर भारत को तोड़ने की कोशिशों की बू आती है। यह आजादी से पहले मुस्लिम लीग के विचारों को दर्शाता है।" हालांकि पीएम मोदी का यह आरोप सही नहीं था। कांग्रेस के घोषणापत्र का मुस्लिम लीग से लेना-देना ही नहीं था।
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इस टिप्पणी पर कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की। भाजपा और उसके वैचारिक गुरु, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर कड़ा प्रहार करते हुए उन्होंने कहा, "हर कोई जानता है कि कैसे श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने 1940 के दशक में मुस्लिम लीग से गठबंधन कर बंगाल, सिंध और एनडब्ल्यूएफपी (उत्तर पश्चिम सीमांत प्रांत) में अपनी सरकारें बनाईं।"
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