रेलवे की परीक्षा में घपले के आरोप के बाद छात्रों का प्रदर्शन उग्र हो गया है। छात्रों ने बिहार के गया और आरा में एक ट्रेन में आग लगा दी और कुछ ट्रेनों में पथराव किया है। पुलिस उग्र छात्रों से निपटने की लगातार कोशिश कर रही है। छात्रों ने कई जगहों पर ट्रेनों में तोड़फोड़ भी की है। छात्रों के प्रदर्शन के वीडियो और फोटो सोशल मीडिया पर वायरल हुए हैं।
उधर, रेलवे ने बुधवार को एनटीपीसी और लेवल 1 की परीक्षाओं को स्थगित कर दिया है। इन परीक्षाओं को लेकर जोरदार विरोध हुआ है। रेलवे ने इस मामले में एक कमेटी बना दी है जो प्रदर्शनकारियों की बातों को सुनेगी।
क्या है मामला?
रेलवे भर्ती बोर्ड की जिस भर्ती परीक्षा के रिजल्ट को लेकर इतना बवाल मचा है उसे आम तौर पर एनटीपीसी या नन-टेक्निकल पॉपुलर कैटगरी का इम्तिहान कहा जाता है। आन्दोलन करने वालों का कहना है कि 2019 में रेल मंत्रालय ने 35277 पदों के लिए स्नातक स्तरीय परीक्षा की वैकेंसी निकाली थी। इसके लिए दिसंबर 2020 से अप्रैल 2021 तक अलग-अलग तारीखों में परीक्षा ली गयी। इस साल 14 जनवरी को इसकी प्रारंभिक परीक्षा- पीटी का रिजल्ट आया है।पहले यह बताया गया था कि पदों की जितनी संख्या है उससे बीस गुना उम्मीदवारों को मुख्य परीक्षा के लिए मौका दिया जाएगा। इस लिहाज से हर पद के लिए क़रीब 7 लाख उम्मीदवारों को मुख्य परीक्षा के लिए कामयाब करार दिया जाना चाहिए। बोर्ड ने ऐसा ही किया है लेकिन इसमें एक खेल भी कर दिया है। इन 7 लाख कामयाब उम्मीदवारों में क़रीब 4 लाख ऐसे हैं जो एक से अधिक पदों पर कामयाब हुए हैं।
उम्मीदवारों ने रेलवे रिक्रूटमेंट बोर्ड के उस फैसले का भी विरोध किया है जिसमें परीक्षाएं दो भागों में कराने की बात कही गई है। छात्रों का कहना है कि फाइनल सलेक्शन के लिए जो दूसरा चरण है वह उन छात्रों के साथ धोखे जैसा है, जिन लोगों ने पहला चरण पास कर लिया है।
अपनी राय बतायें