बिहार में पुल चोरी का मामला जितना अजीबोगरीब है उतनी ही अजीबोगरीब अब उस चोरी की कहानी सामने आ रही है।
पुल चोरी हो गया! इस चोरी की जिस अधिकारी ने रिपोर्ट दी अब वही आरोपी निकला। उस सरकारी अधिकारी को गिरफ़्तार कर लिया गया है। गिरफ़्तार अधिकारी कोई और नहीं बल्कि राज्य के जल संसाधन विभाग के एक उपमंडल अधिकारी यानी एसडीओ ही है। वह उन आठ गिरफ्तार लोगों में से एक हैं जिनको रविवार को पकड़ा गया। चोरी करने के आरोपी और चोरी का तरीक़ा ऐसा है कि सोशल मीडिया पर लोग इसको साझा कर टिप्पणी कर रहे हैं।
Unique theft in #Bihar, thieves became officers of the irrigation department and stole a 60 feet long iron bridge
— Siraj Noorani (@sirajnoorani) April 8, 2022
In Nasriganj, Rohtas, thieves posing as officers, with the help of local personnel, 1/2@UtkarshSingh_ 📽️ pic.twitter.com/jhnTbUSYDw
यह मामला बिहार के रोहतास ज़िले में नासरीगंज थाना क्षेत्र के अमियावर का है। एक नहर पर 60 फुट का पुल था जो कि इस्तेमाल में नहीं था। रिपोर्टों में कहा गया है कि 1972 के आसपास लोहे का पुल बनाया गया था। चोरों ने तीन दिन में क़रीब 500 टन वजन के लोहे का पुल ही गायब कर दिया। लेकिन तब ग्रामीणों को लगा कि चूँकि यह पुल इस्तेमाल में नहीं था तो विभाग इसे वापस ले जा रहा होगा।
अब आरोप लग रहा है कि सिंचाई विभाग के कर्मचारियों की मिलीभगत से ही पुल को कटवाया गया और गाड़ियों में भरकर लोहे को ले जाया गया। यह चोरी भी दिनदहाड़े हुई।
एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार जिस दिन पुल को तोड़ने का काम शुरू हुआ उस दिन उप-मंडल अधिकारी ने चोरी के आरोप से बचने के लिए कथित तौर पर बीमार होने का बहाना बनाया था। रिपोर्ट में कहा गया है कि जब पुल को अलग किया जा रहा था तब एक सरकारी इंजीनियर भी मौजूद था।
चोर जेसीबी, पिकअप वैन, गैस कटर और कारों के साथ पहुंचे और तीन दिनों में 50 साल पुराने लोहे के पुल को लेकर गायब हो गए।
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