पटना के फुलवारी शरीफ में दो संदिग्ध आतंकियों के पकड़े जाने के मामले में पटना के एसएसपी के बयान को लेकर नया विवाद खड़ा हो गया है। पटना के एसएसपी ने आरएसएस की शाखाओं में दी जाने वाली ट्रेनिंग की तुलना पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया यानी पीएफआई के द्वारा दी जाने वाली ट्रेनिंग से की है। इसके बाद बीजेपी ने पटना एसएसपी को हटाने की मांग की है।
राज्य सरकार की ओर से पटना के एसएसपी से अगले 48 घंटे में जवाब मांगा गया है।
बता दें कि बिहार पुलिस और केंद्रीय एजेंसियों ने पटना के फुलवारी शरीफ के नया टोला इलाके से दो संदिग्ध आतंकियों को गिरफ्तार किया है। इनके नाम अतहर परवेज़ और मोहम्मद जलालुद्दीन हैं।
पुलिस का कहना है कि अभियुक्तों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 12 जुलाई के बिहार दौरे के दौरान उन्हें निशाना बनाने की योजना बनाई थी
कर रहे थे ब्रेनवॉश
इसी मामले में पत्रकारों से बातचीत करते हुए पटना के एसएसपी मानवजीत सिंह ढिल्लों ने कहा कि इस मामले में पकड़े गए लोग पीएफआई और उसकी राजनीतिक शाखा एसडीपीआई के सदस्य हैं। उन्होंने कहा कि पुलिस को जानकारी मिली थी कि अन्य राज्यों से 10-12 लोगों को फुलवारी शरीफ में ट्रेनिंग दी गई है। उन्होंने कहा कि इन लोगों को हथियारों का प्रशिक्षण नहीं बल्कि शारीरिक प्रशिक्षण दिया गया और जिस तरह आरएसएस अपनी शाखाएं लगाता है और लाठी का प्रशिक्षण देता है उसी तरह से यह लोग भी शारीरिक प्रशिक्षण दे रहे थे और इसके जरिए अपने एजेंडे और प्रोपेगेंडा से युवाओं का ब्रेनवॉश कर रहे थे।
एसएसपी का ये बयान वायरल होते ही राज्य में जेडीयू के साथ मिलकर सरकार चला रही बीजेपी एक्शन में आ गई और उसने एसएससी को हटाने की मांग की।
बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और बीजेपी नेता सुशील कुमार मोदी ने ट्वीट कर कहा कि पटना के एसएसपी को ऐसा बयान तुरंत वापस लेना चाहिए और इसके लिए माफी मांगनी चाहिए।
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धर्मनिरपेक्ष भारत को इस्लामिक देश बनाने की साजिश में लिप्त पीएफआई के संदिग्ध आतंकियों की गिरफ्तारी के बाद इस प्रतिबंधित संगठन से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जैसे देशभक्त संगठन की तुलना करना नितांत निंदनीय और अज्ञानतापूर्ण है।
सुशील कुमार मोदी, पूर्व उपमुख्यमंत्री, बिहार
एसएसपी ने सही कहा: आरजेडी
आरजेडी ने भी इस मामले में ट्वीट किया है। आरजेडी ने ट्वीट कर कहा है कि पटना के पुलिस अधीक्षक ने संघ की मोडस ऑपेरंडी के बारे में बिल्कुल सही कहा कि ये लोग शारीरिक प्रशिक्षण के नाम पर अपना प्रोपेगैंडा और घृणा फैलाते हैं।
पटना के वरीय पुलिस अधीक्षक ने संघ की मोडस ऑपेरंडी के बारे में बिल्कुल सही कहा कि ये लोग शारीरिक प्रशिक्षण के नाम पर अपना प्रोपेगैंडा और घृणा फैलाते हैं!
— RJD Patna (@patna_RJD) July 14, 2022
और किसी क्षेत्र में पाँव जमने पर दंगे, मॉब लिंचिंग और अन्य सामाजिक सौहार्द विरोधी गतिविधियों को अंजाम देते हैं! pic.twitter.com/SFoLMYIZ6S
राज्य सरकार में सहयोगी जीतन राम मांझी की पार्टी हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा ने अफसर का बचाव किया है। पार्टी के प्रवक्ता दानिश रिजवान ने कहा कि पटना के एसएसपी ने इतना ही कहा है कि जिस तरह आरएसएस अपनी शाखा लगाता है, पीएफआई वाले भी ऐसा ही करते हैं। उन्होंने कहा कि एसएसपी का यह मतलब नहीं था कि आरएसएस आतंकी संगठन है।
बताना होगा कि आरएसएस बीजेपी का मातृ संगठन है और बीजेपी की तमाम बड़ी बैठकों में संघ से जुड़े पदाधिकारी भी शामिल होते हैं।
क्या है पूरा मामला?
फुलवारी शरीफ के एएसपी मनीष कुमार ने गुरूवार को बताया था कि पकड़े गए संदिग्ध आतंकियों के पास से 8 पेज का एक दस्तावेज भी मिला है जिसमें ‘इंडिया विजन 2047’ लिखा गया है।
एक अभियुक्त मोहम्मद जलालुद्दीन झारखंड पुलिस का रिटायर्ड अफसर है जबकि अतहर परवेज़ स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया यानी सिमी का सदस्य रहा है। पुलिस ने बताया कि परवेज़ वर्तमान में पीएफआई और एसडीपीआई का भी सदस्य है।
पुलिस ने कहा कि गिरफ्तार किए गए दोनों अभियुक्तों को पाकिस्तान, बांग्लादेश, तुर्की जैसे कई इस्लामिक देशों से फंडिंग होती थी।
एएसपी ने कहा था कि 6 से 7 जुलाई को मार्शल आर्ट के नाम पर फुलवारी शरीफ में स्थानीय लोगों को तलवारों और चाकुओं का इस्तेमाल करना सिखाया गया था। उन्होंने कहा कि लोगों को धार्मिक हिंसा के लिए उकसाया गया था और इससे जुड़ी सीसीटीवी फुटेज पुलिस को मिली है। एएसपी ने कहा था कि परवेज ने लाखों रुपए का चंदा हासिल किया था और ईडी इसकी जांच कर रही है।
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