बिहार की नीतीश कुमार सरकार को शायद कोरोना काल में उसकी विफलताओं को सामने लाने वाले लोग रास नहीं आ रहे हैं। कोरोना संक्रमण के डर से जब लोग घरों में बंद हैं तो जन अधिकार पार्टी के अध्यक्ष और पूर्व सांसद पप्पू यादव सरकार को बता रहे थे कि ज़मीन पर क्या हालात हैं। लेकिन मंगलवार सुबह पटना पुलिस ने उन्हें गिरफ़्तार कर लिया और इसके पीछे कारण बताया गया है कि उन्होंने लॉकडाउन के नियमों को तोड़ा है।
नीतीश जी
— Pappu Yadav (@pappuyadavjapl) May 11, 2021
प्रणाम
धैर्य की परीक्षा न लें।अन्यथा जनता अपने हाथों में व्यवस्था लेगी,तो आपका प्रशासन सारा लॉकडाउन प्रोटोकॉल भूल जाएगा
मेरा एक माह पहले ऑपेरशन हुआ है।तब भी अपना जीवन दांव पर लगा जिंदगियां बचा रहे हैं।अभी मेरा टेस्ट हुआ,कोरोना निगेटिव आया।आप पॉजिटिव कर मारना चाहते हैं
राजेश रंजन उर्फ़ पप्पू यादव ने कोरोना काल में पटना, आरा, छपरा सहित कई जगहों के अस्पतालों में जाकर सोशल मीडिया पर दिखाया कि मरीज किस परेशानी से गुजर रहे हैं। इससे शायद नीतीश सरकार परेशान है और सबसे बड़ा धमाका पप्पू यादव ने तब किया जब उन्होंने बीजेपी के सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री राजीव प्रताप रूडी के घर के पीछे बेकार खड़ी कई दर्जनों एंबुलेंस को मीडिया को दिखाया।
ऐसे वक़्त में जब लोग एंबुलेंस के लिए मारे-मारे घूम रहे हैं और जहां 1000 रुपये चुकाने हों, वहां उनसे इसके कई गुना पैसे वसूले जा रहे हैं तो इतनी एंबुलेंस के बेवजह खड़े होने की ख़बर से देश भर में भूचाल आना लाजिमी था।
सोशल मीडिया पर इस ख़बर को लेकर जबरदस्त प्रतिक्रिया हुई और बिहार और केंद्रीय स्तर पर बीजेपी से जवाब देते नहीं बना। पप्पू यादव ने इस मामले को और जोर-शोर से उठाने की बात कही थी। लेकिन उससे पहले ही उन्हें गिरफ़्तार कर लिए जाने से यह पता चलता है कि नीतीश सरकार और उसकी सहयोगी बीजेपी को पप्पू यादव की ओर से इस मामले को उठाया जाना रास नहीं आया है।
पप्पू यादव की गिरफ़्तारी की ख़बर मिलते ही उनके समर्थक पटना में जुटने लगे हैं और बिहार के अन्य जिलों में भी लोग सोशल मीडिया पर नीतीश सरकार की इस क़दम के लिए आलोचना कर रहे हैं।
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